छत्तीसगढ़, राजेश शुक्ला। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के 10वीं के पाठ्यक्रम में डेढ़ करोड़ के इनामी रहे नक्सली लीडर मल्लारजुल कोटेश्वर राव उर्फ किशन जी उर्फ श्रीधर की विचारधारा पढ़ाई जा रही है। एनसीईआरटी से प्रकाशित ‘सोशल साइंस डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2’ किताब के पृष्ठ 76 पर ‘ए मॉरल फोर्स इन पॉलिटिक्स’ शीर्षक से यह पाठ है। इसमें जल, जंगल और जमीन को लेकर माओवादी विचारधारा का बखान करते हुए किशन जी को देश में चल रहे आंदोलनकारी समूहों व संगठनों का मार्गदर्शक बताया गया है। इसके साथ ही विचारधारा समर्थक 4 और महिला कार्यकर्ताओं का नामजद उल्लेख है।
किशनजी का महिमा-मंडन करती इस किताब के प्रकाशक मंडल में कोलकाता के प्रो. हरि वासुदेवन, दिल्ली के प्रो. योगेंद्र यादव, पुणे के सुभाष पालसीकर और हैदराबाद के केसी सूरी हैं। पहला संस्करण मार्च 2007 में प्रकाशित हुआ। तब से आज तक केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय के अलावा सैकड़ों प्राइवेट स्कूलों में इसे पढ़ाया जा रहा है। संशोधित संस्करण में यह जो़ड़ा गया है कि किशनजी अब हमारे बीच नहीं हैं।
यह पढ़ाया जा रहा है बच्चों को किताब में स्केच बनाकर
महिला कार्यकर्ताओं करणा, सुधा, शाहीन व ग्रेसी को ओडिशा के एक गांव में किशन जी की विचारधारा का गुणगान करते उल्लेखित किया गया है। लिखा है- किशन जी की मान्यता है कि वर्तमान परिदृश्य में जो राजनीतिक दल काम कर रहे हैं, वे अब महत्वपूर्ण नहीं रह गए।’ नई पार्टी, शक्ति अथवा नए संगठन के रूप में तीसरी शक्ति तैयार करने का जिक्र है। अंत में इन चारों एक्टिविस्ट के बारे में आपकी क्या राय है, इन्हें क्या करना चाहिए? ये भी पूछा गया है। किशन जी कुख्यात नक्सली नेता नक्सल क्षेत्र में अरसे तक कार्यरत रहे एक आईपीएस अफसर ने नाम न छापने का आग्रह करते हुए बताया कि किशन जी पर छत्तीसगढ़ सरकार के 50 लाख के साथ महाराष्ट्र, ओडिशा, प.बंगाल व झारखंड सहित सभी राज्यों की इनामी राशि को जो़ड़ी जाए तो लगभग डेढ़ करो़ड़ होती है। ऐसे नक्सली लीडर को पाठ्यक्रम में शामिल करना आश्चर्यजनक है। किशन जी उर्फ श्रीधर 26 सितंबर 2011 को प. बंगाल के लालग़़ढ में मुठभेड़ में मारा गया था। इसके अलावा कोई अन्य किशन जी हो तो नहीं पता।
साभार: जागरण.कॉम