कान खोलकर हिंदू सुन लें , दो ही तरह से रहना है ;
या तो डर – कर मरना है , या लड़ करके जीतना है ।
और नहीं है कोई रास्ता , बीच का मार्ग कहीं न है ;
सिस्टम है गुंडों का साथी , तेरी रक्षा कहीं न है ।
हर हालत में अपनी रक्षा , अब तुझको ही करनी है ;
हिंदू – नेता डीएनए मिलाता , उसकी नानी मरनी है ।
नागों को जो दूध पिलाते , उन्हींको दंश से मरना है ;
नागों के फन को जो कुचले , उसी को जीवित रहना है ।
दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है खतरा , हिंदू अब भी गफलत में ;
अधिसंख्य लोकसेवक हैं धिम्मी,उनका हित है मतलब में ।
बड़े मतलबी – यार हैं सारे , दंगे पर ये न आयेंगे ;
बड़ी मशक्कत से जब आयें , पिटकरके सब भग जायेंगे ।
अस्त्र – शस्त्र बेकार हैं इनके , इनको केवल पिटना है ;
अब तैयारी हिंदू करलें , उनको कैसे रहना है ?
अस्त्र-शस्त्र हर हिंदू – घर में , इन्हें चलाना सारे सीखें ;
पिछले इतिहास को आगे रखकर,हत्यारों से लड़ना सीखें।
जिसने लड़ना सीख लिया है,समझो जीना सीख लिया है;
शौर्य का कोई विकल्प नहीं है , शौर्य की सारी दुनिया है ।
हर हिंदू का आवाहन है , अस्त्र-शस्त्र सब घर में लाओ ;
बेचबांच कर सारा सोना , अब तो केवल लोहा लाओ ।
फरसा,कुल्हाड़ी,बल्लम,भाला , धार हो चार इंच से कम ;
ये सब हैं कानून से बाहर , इनके रहते तुम्हें न गम ।
हर आराध्य को ध्यान से देखो,अस्त्र-शस्त्र हैं सबके पास ;
तभी पूर्ण हो तेरी पूजा , अस्त्र-शस्त्र हों तेरे पास ।
हर हिंदू को शान से जीना , देश को हिंदू राष्ट्र बनाना ;
एक नया हिंदू दल लाना , उसी की अब सरकार बनाना ।
या फिर वर्तमान दल से ही , सारे धिम्मी दूर हटाना ;
दूर हटा कर सारे धिम्मी , साहस- शौर्य को वापस लाना ।
सबके साथ की लानत छोड़ो ,गुंडों का विकास न करना ;
गुंडे व जज का डीएनए , एक ही होता तो क्या करना ?
हर अपराधी सजा पायेगा , कुछ भी उसका डीएनए हो ;
कोई गद्दार रह न सकेगा , कुछ भी उसका मजहब हो ।
केवल हो कानून का शासन ,जोकि है इंसाफ का आसन ;
यह सब कुछ तब होगा संभव ,जब छायेगा धर्म सनातन ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”