विपुल रेगे। गीतकार गुलज़ार की बेटी मेघना गुलज़ार की नई फिल्म आ रही है। उनकी ये फिल्म जनरल सैम मानेकशा के जीवन पर आधारित होगी। फिल्म का नाम ‘सैम बहादुर’ है। इसमें विकी कौशल, फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा मुख्य भूमिकाओं में दिखाई देंगे। ‘सैम बहादुर’ भविष्य में विवादों में फंस सकती है। चूँकि मेघना की पिछली फिल्म ‘राज़ी’ में पाकिस्तान पर नरमी दिखाई गई थी और इस बार भी ऐसा नहीं होगा, इसकी कोई गारंटी भी नहीं है।
मेघना गुलज़ार की ‘राज़ी’ रिलीज हुई, उस समय फ़िल्मी गलियारों में एक अफवाह बराबर तैरती रही। कुछ पत्रकारों ने चुपके से बताया था कि ‘राज़ी’ का क्लाइमैक्स बदलने के लिए मेघना पर दबाव डाला गया था। दबाव डालने वाले कोई और नहीं बल्कि आलिया भट्ट के निर्देशक पिता महेश भट्ट थे। सूत्रों के अनुसार भट्ट नहीं चाहते थे कि फिल्म प्रदर्शित होने के बाद पाकिस्तान के विरुद्ध दर्शकों का मानस बन जाए।
‘राज़ी’ की कहानी एक भारतीय महिला जासूस के जीवन पर आधारित थी। इस जासूस ने पाकिस्तान में जाकर बहुत समय तक भारत के लिए कार्य किया था। आलिया भट्ट की ‘राज़ी’ इसी महिला की कहानी बताती थी। फिल्म के अंत में दिखाया गया था कि जब वह वापस लौटती है तो उसे बहुत दुःख होता है। दुःख इसलिए होता है कि उसके कारण कुछ पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे।
फिल्म के अंत में दिखाया गया वह दृश्य उस साहसी भारतीय महिला के गौरवपूर्ण कारनामे पर बट्टा लगाता प्रतीत होता है। चूँकि महेश भट्ट की बेटी इस फिल्म में केंद्रीय भूमिका में थी इसलिए उन्होंने कहानी में परिवर्तन करवाया। वैसे भी भट्ट के पाकिस्तानी रिश्तों के बारे में तो दुनिया जानती है। बॉलीवुड में पाकिस्तानी कलाकार और गायक लाने का चलन महेश भट्ट ने ही शुरु किया था।
उनके और सलमान खान के पाकिस्तान प्रेम के चलते हमारे भारतीय कलाकारों को काम मिलना बंद हो गया था। ये हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि मेघना की नई फिल्म में पाकिस्तान प्रेम नहीं दिखाया जाएगा। चूँकि फिल्म सैम मानेकशा पर आधारित है, इसलिए चिंता आवश्यक हो जाती है। यदि फिल्म में कुछ आपत्तिजनक कंटेंट निकलता है या पाकिस्तानी प्रेम दिखाया जाता है तो भी भारत सरकार के पास वे शक्तियां ही नहीं हैं, जो वे कुछ कार्रवाई कर सके।
हाँ ये अवश्य है कि भारतीय सेंसर बोर्ड इसके विषय पर आपत्ति ले। देशभक्ति पर बनी एक फिल्म पर भी संदेह होता है तो इसके पीछे की वजह खुद बॉलीवुड है। बॉलीवुड ने सैकड़ों बार देश, सेना और धर्म के नाम पर दर्शकों को चोट पहुंचाई है। बॉलीवुड को देशभक्ति की फिल्मों में ‘इंसानियत’ दिखाने का बहुत बड़ा कीड़ा होता है। यही इंसानियत आलिया भट्ट की ‘राज़ी’ में दिखाई गई थी और स्क्रिप्ट के अनुसार फिट नहीं बैठती थी।
शत्रु देश के सैनिकों को मारने के बाद नायिका का दुःखी होना तर्कसंगत नहीं लगा था। देशभक्ति और सेना के नायकों पर जब ये वर्ग फिल्म बनाता है तो चिंता आवश्यक हो जाती है। साफ़ बात है कि इनकी नियत एस एस राजामौली और जेपी दत्ता की तरह पवित्र नहीं है।