विपुल रेगे। आर्यन खान को मासूम और उसकी माँ गौरी को शेरनी कहने वाले इस दौर में एक अदद आम भारतीय नागरिक ने विद्युत् मोहन का नाम तो कतई नहीं सुना होगा। विद्युत् मोहन 29 वर्ष के भारतीय युवा हैं। वे इस कारण से चर्चा में है क्योंकि इस युवा इंजीनियर विद्युत मोहन को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का यंग चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ 2020 चुना गया है।
वे उन लोगों में से है जो पृथ्वी के पर्यावरण को संतुलित करने में अहम् भूमिका निभा रहे हैं। किसी देश का रोल मॉडल कैसा होना चाहिए, इसमें उस देश के मीडिया की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारे देश के मीडिया ने विद्युत् को छोड़ आर्यन खान को हीरो बनाया है। आर्यन की आयु की ही एक युवती हैं हैमंती सेन। हैमंती मुंबई के कांदिवली स्टेशन के स्कॉयवाक पर निर्धन बच्चों को पढ़ाती दिखाई देती हैं।
24 वर्ष की शरण्या को हमने नायिका नहीं बनाया। 7 अगस्त 2020 को एयर इंडिया का विमान कोझीकोड की एक खाई में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। उस समय कोझीकोड जनरल अस्पताल में शरण्या की आस्कमिक ड्यूटी लगाई गई। शरण्या उससे पूर्व नीट की परीक्षा के लिए नौकरी छोड़ना चाहती थी। इस हादसे के बाद उन्होंने एक वर्ष तक अस्पताल में अपनी सेवाएं दी। अब वे अपनी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। शरण्या बहुत चर्चित हुई किन्तु आर्यन जैसी लोकप्रियता उन्हें नहीं मिली।

भर्गसेतु शर्मा को कितने लोग जानते होंगे। भर्गसेतु मात्र 21 वर्ष की हैं और एनसीसी कैडेट हैं। सन 2018 में उन्होंने माहीसागर नदी में डूब रहे एक व्यक्ति को बचाया। ने केवल इस व्यक्ति को बल्कि कई पशुओं की जान भी बचाई। उनको तत्कालीन रक्षा मंत्री ने ‘रक्षा मंत्री पदक’ से सम्मानित किया था। आज देश के अधिकांश युवाओं को मालूम ही नहीं है कि ऐसा कोई वीरता पदक भी होता है। भारत में गूगल से हीरोज के बारे में पूछा जाए तो वह सर्च को बॉलीवुड अभिनेताओं पर ले जाता है।
ये हाल है हमारे देश का। मीडिया की सहानुभूति नशे के अपराध में लिप्त आरोपियों के साथ होती है। एक बहुत तेज़ चैनल तो इसलिए ही बदनाम है कि विवादास्पद लोगों को हीरो बनाने में उसका कोई सानी नहीं है। पिछले वर्ष सुशांत केस में फंसी रिया चक्रवर्ती का एक घंटे का इंटरव्यू अब भी देश के लोग भूले नहीं होंगे। इस देश का दुर्भाग्य है कि वह अपने असली नायकों को पहचान नहीं पाता। आज देश के युवा वैश्विक स्तर पर नाम ऊंचा कर रहे हैं। वे दुनिया से पुरस्कार छीनकर ला रहे हैं।
वे पर्यावरण के क्षेत्र में नई मिसाल कायम कर रहे हैं। और हम क्या देख रहे हैं ? आर्यन ने रात को जेल का खाना खाया। एनसीबी ने घर का खाना लौटाया। रात को सो नहीं सके आर्यन। कभी-कभी मैं पाता हूँ कि भारतीय मीडिया , विशेष रुप से इलेक्ट्रानिक मीडिया ठेठ गंवारों सा व्यवहार करता है।
कोट-पेंट-टाई पहने ये सजीले गुड्डे जब सामने वाले के मुंह में माइक घुसेड़कर अपना मुंह खोलते हैं तो उनके गँवारूपन का अनुमान सहज ही हो जाता है। सोचना तो होगा कि देश की युवा पीढ़ी को विरासत में कैसा मीडिया मिलना चाहिए। क्या ऐसा कि एक चरस पीने वाले को नायक बना दिया जाए।