अर्चना कुमारी। वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। उसे मार दिया गया या फिर वह हुलिया बदलकर भारत छोड़कर भागने में सफल रहा है, यह ज्ञात नहीं हो पाया है। उसके चाहने वालों ने विदेश में भी भारतीय दूतावास पर तोड़फोड़ कर अमृतपाल के समर्थन में अलग खालिस्तान राज्य की मांग की और इस पर विरोध प्रकट करते हुए सिख समाज के लोगों ने दिल्ली में अपनी आवाज बुलंद की है।
लेकिन फिलहाल पंजाब पुलिस पूरे राज्य में उसकी तलाश कर रही है। बताया जाता है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी की आठ टीमें पंजाब पहुंच गईं और इन टीमों ने अमृतसर, तरनतारन, जालंधर, गुरदासपुर, जालंधर जिलों में जांच शुरू कर दी है। उधर, अमृतपाल के चाचा तथा अन्य हार्डकोर खालिस्तान समर्थकों को पंजाब से असम के डिब्रूगढ़ सेंटर जेल शिफ्ट किया गया है और उसके पिता ने अदालत की शरण ली है।
सूत्रों का कहना है कि पंजाब में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के मुखी अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. जहां अपने अधिकारिक बयान में पंजाब पुलिस ने कहा कि अमृतपाल सिंह अभी भी फरार है वहां अमृतपाल के समर्थकों का कहना है कि पुलिस ने ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखी को गिरफ्तार किया हुआ है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पंजाब में लगातार धरपकड़ जारी है और सैकड़ों लोगों को हिरासत में रखा गया है।
जबकि कई जिलों में अशांति भंग होने की आशंका के मद्देनजर इंटरनेट सेवा को ठप कर दिया गया है। बताया जाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर अमृतपाल सिंह दुबई से भारत आया और यहां पर आते हुए उसने खालिस्तान के पक्ष में जोरदार माहौल बनाते हुए पंजाब तथा आसपास के इलाकों में भ्रमण किया तथा सैकड़ों समर्थकों को अपने साथ एकजुट किया था जो खालिस्तान राज्य की इच्छा रखते हैं।
इसके लिए पाकिस्तान से करोड़ों रुपए फंडिंग की गई और गुरुग्राम से दलजीत कलसी नामक फाइनेंसर के गिरफ्तार किए जाने के बाद इसकी पुष्टि भी की गई है। पहले तो इस खालिस्तानी को पंजाब में पनपने दिया गया और बाद में इसके खिलाफ अभियान चलाया गया जबकि बताया जाता है कि वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया और इन लोगों पर लगातार नकेल कसा जा रहा है ।
जबकि इस बीच अमृतपाल तथा उसके समर्थकों ने हथियारों तथा बुलेट प्रूफ जैकेट की भारी खेप जमा कर ली थी ताकि पंजाब में अशांति फैलाया जा सके। सूत्र बताते हैं जो बुलेटप्रूफ जैकेट और राइफलें बरामद हुई हैं उन पर और अमृतपाल सिंह के घर के गेट पर एकेएफ लिखा हुआ था। ‘आनंदपुर खालसा फौज’ नाम से एक जत्थेबंदी बनाने की कोशिश की गई थी और इस फौज के जरिए ही पंजाब को खालिस्तान अलग राज के तौर पर बदलने की कोशिश की जा रही थी।