मुख्य बिंदु
* द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के मसूरी बुलाने पर रक्षा मंत्रालय ने दिया जांच का आदेश* नक्सल समर्थकों को बुलाए जाने पर गृह मंत्रालय ने भी आगे से सचेत रहने का दिया आश्वासन
यह सवाल इसलिए मौजूं है क्योंकि सिद्धार्थ वरदराजन न केवल नक्सल समर्थक है बल्कि वे भारतीय सेना को बदनाम करने के लिए भी बदनाम है। इतना ही नहीं वरदराजन अपनी पत्नी नंदिनी सुंदर के साथ एक व्यक्ति की हत्या के आरोपी भी हैं। अगर ऐसे व्यक्ति को आईएएस अधिकारियों को संबोधित करने के लिए बुलाया जाएगा तो फिर सवाल तो उठेगा ही।
गौरतलब है कि लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी जैसी भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्था में नक्सल समर्थक पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन को आईएएस अधिकारियों को संबोधित करने के लिए बुलाया गया था। ऐसी संस्थाओं में ऐसे लोगों को बुलाना एक प्रकार से अपराध कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह वही पत्रकार है जो भारतीय सेना को बदनाम करता रहा है।उनकी पत्नी नंदिनी सुंदर, जो कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं, सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत पर बाहर है। उनपर छत्तीसगढ के बस्तर जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता की हत्या करने का आरोप है । सिद्धार्थ वरदराजन देश में चल रहे नक्सली आंदोलन तथा अर्बन नक्सल के समर्थक रहे हैं। ऐसे लोगों को भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्था में बोलने के लिए बुलाना अपराध नहीं तो और क्या है?
इस बात की जानकारी मिलने के बाद जब लीगल राइट्स ऑब्जरवेटरी बडी के संचालक विनय जोशी ने इसकी शिकायत संबंधित मंत्रालय से की तो गृह मंत्रालय में वाम पंथी झुकाव वालों ने वरदराज को बुलाने का मामला उठाने पर उन्हीं पर सवाल खड़ा कर दिया। लेकिन अंत में गृहमंत्रालय ने आगे से ध्यान रखने का आश्वासन दिया।
जब इस बात की शिकायत की गई तो भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। रक्षा मंत्रालय ने तो डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री इंटेलिजेंस (डीजीएमआई) से इस मामले की जांच करने का आदेश भी दे दिया है। लेकिन इस मामले में जब वरदराजन से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिसपर रिस्पांस किया जाए।
विनय जोशी ने संबंधित मंत्रालयों को भेजी अपनी शिकायत में सिद्धार्थ वरदराजन पर कई और आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि वरदराजन दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर के पति हैं। वहीं नंदिनी सुंदर जो छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के सामाजिक कार्यकर्ता सामनाथ बघेल की हत्या मामले की मुख्य आरोपी है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है। हाल ही में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सल माओवादी कमांडर पोडियम पांडा ने भी यह स्वीकार किया है कि नंदिनी सुंदर बस्तर के घने जंगलों के बीच उनसे मिली थी, वह भी एक बार नहीं बल्कि कई बार। इससे साफ हो जाता है ये लोक नक्सल समर्थक नहीं बल्कि इनका नक्सलियों से गहरा लिंक है।
जोशी ने दूसरा आरोप लगाया है कि सिद्धार्थ वरदराज अपनी वेबसाइट ‘द वायर’ में देश और सेना को बदनाम करने वाली अनाप शनाप खबरें और स्टोरी प्रकाशित करते रहते हैं। ये लोग देश को बदनाम करने के लिए मोदी सरकार के खिलाफ बेसिर पैर के आरोप लगाते रहते हैं। ये लोग सेना और पुलिस को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ इनकाउंटर, बलात्कार आदि प्रकार के आरोप लगाकर उनके मनोबल को कम करने के षड्यंत्र रचते रहते हैं। वरदराजन अपनी पत्नी नंदिनी सुंदर के साथ मिलकर सीआरपीएफ के खिलाफ नाबालिगों के साथ बलात्कार करने जैसा घिनौना आरोप लगाने वाली रिपोर्ट प्रकाशित करते हैं जबकि मेडिकल रिपोर्ट में उनके सारे आरोप गलत साबित हो चुके हैं।
देश और सेना को बदनाम करने वाले व्यक्ति को लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी जैसी संस्था में बोलने के लिए बुलाना अपराध नहीं तो और क्या कहा जा सकता है? इसलिए ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि फिर भविष्य में ऐसी गलती न हो पाए।
URL: Who invites Pro-Naxal Sidharth Varadarajan in Lal Bahadur Shastri Academy of Administration