रासबिहारी। मोदी के मुकाबले सब यानी एक के मुकाबले सौ। यह नारा पिछले लंबे अरसे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सभी विपक्षी दल दे रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, वामदलों के नेता सीताराम युचेरी और डी राजा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बहुजन समाजपार्टी की अध्यक्ष मायावती, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविन्द केजरीवाल, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्लाह समेत तमाम दलों के नेता अगले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को रोकने का दम भर रहे हैं। पिछले एक महीने में ही विपक्षी दलों के नेता तीन बार इकट्ठे होकर मोदी के खिलाफ हमला बोला चुके हैं।
इस दौरान लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का कुनबा बढ़ता जा रहा है। 2014 के मुकाबले एनडीए के सहयोगी दलों की संख्या बढ़ गई है। बिहार में जनता दल यू पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए में नहीं था। महाराष्ट्र में बदले हालातों में भाजपा और शिवसेना का समझौता हो गया है। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक से भाजपा का सीटों पर तालमेल हो गया है। कुलमिलाकर 40 दल एनडीए के हिस्सेदार है। दूसरी तरफ कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ अभी तक सीटों को लेकर कोई फार्मूला ही तय नहीं कर पा रही है।
पिछले दिनों राकांपा प्रमुख शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास पर राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू, प.बंगाल ममता बनर्जी और फारूख अब्दुल्ला ने मिलकर मोदी को रोकने की योजना बनाई। मोदी को रोकने के लिए सब एकजुट हैं पर अपने-अपने राज्यों में दूसरे दल को जगह देने के लिए तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से सपा-बसपा 37-37 पर उम्मीदवार उतारेंगे। दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं और चार अन्य दलों के लिए। मायावती ने तो भाजपा के साथ कांग्रेस को भी निशाने पर रखा है। राष्ट्रीय लोकदल के अजित सिंह को लेकर भी अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। कांग्रेस सभी सीटों पर लड़ेगी।
तय है कि उत्तर प्रदेश में दंगल तगड़ा होगा। बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए राजग में तो सीटों का बंटवारे का फार्मूला बन गया पर महागठबंधन में अभी तक कुछ तय नहीं हो पा रहा है। राजद कांग्रेस के लिए ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं है। महागठबंधन में दलों की बढ़ती संख्या भी सीटों के तालमेल में बाधा बन रही है। तीन वाम दल भाकपा, भाकपा और माले भी मैदान में हैं। इन दलों का कोई आधार नहीं है पर उम्मीदवार कई हैं। इसी तरह झारखंड की सीटों को लेकर झारखंड विकास पार्टी और कांग्रेस में बात नहीं बन पा रही है। कांग्रेस के नेता लालू यादव की पार्टी राजद को ज्यादा तरजीह देने के पक्ष में नहीं हैं।
विपक्ष की अगुवाई कर रही ममता बनर्जी ने तो खुद पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वामदलों को हाशिये पर रख दिया है। ममता कह रही हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर तालमेल करेंगे प्रदेश स्तर पर नहीं। पश्चिम बंगाल में भाजपा और ममता के खिलाफ कांग्रेस और वामदल एकजुट होने की बात कर रहे हैं पर सीटों के बंटवारे को लेकर हायतौबा मची हुई है। वामदलों से दोस्ती पर कांग्रेस के कुछ नेताओं को भी एतराज है। दिल्ली में ममता आप और कांग्रेस की दोस्ती कराना चाहती हैं पर प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने केजरीवाल को पूरी तरह नकार दिया है।
महाराष्ट्र की 48 सीटों के लिए कांग्रेस-राकांपा की दोस्ती हो रही है पर भाजपा-शिवसेना के गठबंधन के मद्देनजर शरद पवार ने मनसे से तालमेल की बात कही है। हरियाणा में भी नए-नए गठबंधन बन रहे हैं। जींद उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस के भीतर लड़ाई और तेज हो गई है। बसपा ने ओमप्रकाश चौटाला से गठबंधन तोड़ दिया और एक नए दल के साथ हाथ मिला लिया। चौटाला अब एक बार फिर से भाजपा की शरण में जाना चाहते हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अकेले ही मैदान में उतरेगी। दक्षिण भारत के राज्यों में भाजपा नए समीकरण बनाने की तैयारी में हैं। कर्नाटक में जनता दल सेक्यूलर और कांग्रेस के बीच क्या समीकरण बनेंगे, अभी तय नहीं है। इसी तरह भाजपा के खिलाफ पूर्वोत्तर में कोई गठबंधन कारगर नहीं हो पा रहा है।
इसी दौरान तेलगांना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव ने गैर भाजपा- गैर कांग्रेसी गठबंधन बनाने के लिए जोर लगा दिया है। उन्होंने कहा है कि बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस के साथ बसपा और सपा भी इस नए गठबंधन का हिस्सा हो सकते हैं। राव का मानना है कि क्षेत्रीय दल अपने हिसाब से रणनीति तैयार करेंगे। ऐसे हालातों में महागठबंधन के उभरने की उम्मीद कम ही है।
URL: Who is more than Modi NDA’s rise in power,, big coalition collapses!
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