कोरेगांव हिंसा की आड़ में प्रधानमत्री मोदी को मारने की साजिश पर से पर्दा उठा ही था कि झारखंड के जंगलों से भारत की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए विदेशी कारतूसों का ज़खीरा मिला है। माना जा रहा है कि यह कारतूस हथियारों की तस्कारी के तहत लाये गए हैं। हथियारों की तस्करी वैसे इस क्षेत्र के लिए कोई नई घटना नहीं है लेकिन मिले हुए कारतूसों की मारक क्षमता बेहद चिंतनीय है। सर्बिया में बने इन कारतूसों से बुलेट- प्रूफ जेकेट्स को भी भेदा जा सकता है।
2019 के चुनावों के मद्देनजर भारत में जिस तरह के राजनैतिक हालत बने हुए हैं और समूचा विपक्ष, वामपंथी मीडिया, मुल्ले मौलवी, कैथोलिक चर्च प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ लाम बंद हुए है और उसके बाद बुलेट प्रूफ जेकेट्स के आर पार होने वाली गोलियों का मिलना किसी भयंकर षड्यंत्र की ओर इशारा कर रहे हैं! मोदी सरकार के आने के बाद नक्सलियों पर काफी हद तक नियंत्रण हो गया है! अभी कुछ दिन पहले भारतीय सुरक्षा एजेसियों ने इनके सूचना तंत्र पर प्रहार करते हुए इनके आईटी हेड अभय देवदास को गिरफ्तार किया था! शायद इसी से तिलमिलाए माओवादी किसी बड़ी कार्यवाही को अंजाम देना चाहते हों!
अभिमन्यु जायसवाल द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट।
झारखण्ड के चतरा और लातेहार जिला पुलिस की संयुक्त अभियान में पुलिस को चतरा जिला अंतर्गत लावालौंग थाना क्षेत्र के जंगलों से विदेशी कारतूस का जखीरा मिला है। सभी कारतूसों में मेड इन सर्बिया लिखा हुआ है। कारतूसों की संख्या करीब 1520 बतायी जाती है। इतने बड़े पैमाने में विदेशी गोली पहली बार पुलिस ने बरामद की है। लातेहार एसपी प्रशांत आनंद को गुप्त सूचना मिली थी। जिसके बाद चतरा पुलिस के साथ मिलकर एक संयुक्त ऑपरेशन चलाया जा रहा था। ऑपरेशन लावालौंग के जंगलों में चलाया जा रहा था, तभी यह ज़खीरा जमीन में गड़ा हुआ मिला। विदेशी कारतूस देखकर एकाएक पुलिस के अधिकारी भी अचंभित हो गए। फिलहाल पुलिस या जानकारी जुटाने में जुटी है कि यह गोली आई कहां से थी किस के मार्फत यह गोली यहां तक पहुंची थी।
विदेशी कनेक्शन पुलिस विभाग के लिए बड़ा खतरा
सभी कारतूस विदेश से मंगाए गए थे। संभावना जतायी जा रही है कि यह कारतूस माओवादियों ने अपने लिए मंगाया था। माओवादियों का विदेशियों के साथ संपर्क में आना पुलिस विभाग और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जायेगी। यह एक बड़ा सवाल खुफिया एजेंसी और सुरक्षा एजेंसी दोनों के लिए है कि इतना बड़ा जखीरा देश में आ गया और दोनों को मालूम भी नहीं चल पाया।
कारतूस का बंदूक नहीं है भारत में
पुलिस ने जो कारतूस बरामद किया है उसका अर्थ उसको चलाने के लिए जो बंदूक उपयोग में आती है वह बंदूक पूरे भारत में कहीं नहीं है। भारतीय सेना जो लगभग सभी प्रकार के बंदूकों का उपयोग करती है उनके पास भी इस गोली को चलाने वाली बंधूक नही है।
मारक क्षमता इतनी तेज, बुलेट प्रूफ जैकेट को भी कर दे छेद
जो गोली बरामद किया गया है। इसके बारे में एक्सपर्ट बताते है कि यह गोली सर्बिया में बनता है। इसकी मारक क्षमता इतनी है कि यह गोली बुलेट प्रूफ जैकेट को भी छेद कर सकता है। इस गोली का इस्तेमाल भारत मे कभी नही किया गया है। यहाँ तक कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी इस प्रकार का गोली यूज़ नही किया गया था।
माओवादियों का आतंकियों से भी हो सकता है कनेक्शन
जिस प्रकार से सर्बियन कारतूस लावालौंग जैसे जंगलों से बरामद हो रहे हैं इससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उग्रवादी संगठनों की पहुंच आतंकी संगठनों तक हो गई है। संभावना जतायी जा रही है कि उनके सहयोग से ही इस प्रकार की गोली को भारत में लाया गया। यदि संभावना हकीकत है तो फिर यह देश सुरक्षा और सुरक्षा प्रहरियों के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
नेपाल के रास्ते लायी गयी होगी कारतूस
संभावना यह है कि गोली नेपाल के रास्ते भारत मे गोली लायी गयी होगी। भारत से 6 हजार किमी दूर स्थित सर्बिया से गोली भारत तक लायी गयी वो भी इतना भयानक मारक क्षमता वाली इस कारतूसों ने सुरक्षा एजेंसियों के भी होश उड़ा दिए है।
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