हिंदू भक्तों के दान को कथावाचक मोरारी बापू कहां खर्च कर रहे हैं, उन्हीं की जुबानी सुनिए!
जैसे कभी फारस का राज परिवार पारसी से मुस्लिम बना और पूरा फारस ईरान बन गया, उसी तरह भारत के हिंदुओं के नेता, धर्मगुरु, संस्था के अंदरूनी कन्वर्जन का काम ‘अब्राहमिक एकॉर्ड’ का हिस्सा है ताकि एकसाथ हिंदुओं के बड़े कन्वर्जन को सफल किया जा सके!
अमेरिका के नेतृत्व में चल रहे abrahamic accords के तहत पहले चरण में सभी अब्राहमिक मजहब- यहूदी, ईसाई व इस्लाम को एक साथ लाना है, फिर दूसरे चरण में दुनिया भर के काफिरों का उस समाज के प्रभावशाली नेता, धर्मगुरु, अभिजात वर्ग आदि के जरिए सामूहिक कन्वर्जन को अंजाम देना है ताकि ‘अब्राहमिक कयामत’ घट सके!
आधुनिक भारत में बाबा साहब अंबेडकर, मीनाक्षीपुरम आदि की सामूहिक कन्वर्जन की घटना याद कीजिए। यह तो धन्यवाद है कि बाबा साहब इन अब्राहमिकों की चाल को समझ गये और अब्राहमिक रिलीजन की जगह भारतीय बौद्ध धर्म को अपनाया, अन्यथा सोचिए यदि वह इस्लाम-इसाईयत के ऑफर को मान लेते तो आज क्या होता?
लेकिन आज के नेता, कथावाचक, धर्मगुरु, संस्था प्रमुख, अभिजात्य इतने नैतिक चरित्र वाले नहीं हैं! ये सभी बुरी तरह से कंप्रोमाइज्ड हो चुके हैं। अतः किसी की अंधभक्ति की जगह अर्जुन की तरह प्रश्न पूछने की आदत विकसित कीजिए! हर घटना पर सोचिए! आंखें खोलिए! ‘अब्राहमिक एकॉर्ड’ का गंभीरता से अध्ययन कीजिए, सच आप स्वयं ही समझ जाएंगे, यदि आप सोते रहने का पाखंड न कर रहे हों तो!