किसान बिल को लेकर सिख समुदाय के कुछ खालिस्तानी समर्थक लोग दिल्ली के बॉर्डर पर हैं लेकिन आरके पुरम इलाके में गुरुद्वारे के अंदर हुए झगड़े के दौरान मारपीट में एक ग्रंथी की हत्या कर दी गई, जबकि उनकी पत्नी गंभीर रुप से जख्मी है। मृतक की शिनाख्त रविंद्र सिंह के तौर पर हुई है। पुलिस मामले की सूचना मिलने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मॉर्चरी में रखवा दिया है।
फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है। लेकिन आरोपी नहीं पकड़ा जा सका है। सवाल तो यह उठता है कि ग्रंथी रविंद्र सिंह को न्याय कौन दिलवा पाएगा। वह लोग जो सिखों के लिए खालिस्तान की मांग करते हैं या फिर अकाल तख्त का जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, दिलजीत दोसांझ ,जैजी बैंस या सिखों का कथित रहनुमा सिख फॉर जस्टिस।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ग्रंथी हत्या की यह वारदात शुक्रवार सुबह सेक्टर छह गुरुद्वारा आरके पुरम की है। जांच कार्रवाई में पता चला है कि ग्रंथी रविंद्र सिंह ओर दर्शन सिंह के बीच किसी बात को लेकर तब झगड़ा हो गया जब दोनों पाठ व कीर्तन कर रहे थे। बताया जाता है कि झगड़े के दौरान बात इतनी बढ गई कि गुस्से में आए दर्शन सिंह ने तबला से रविंद्र के ऊपर हमला कर दिया।
जिस कारण वह गंभीर रुप से जख्मी हो गया। यह भी पता चला है कि वारदात के समय रविंद्र सिंह की पत्नी मनिंद्र कौर बचाने के लिए आई तो आरोपी ने उनकी भी आंख पर हमला कर दिया। इस घटना के बाद घायल पति पत्नी को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया । इस बीच पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच जांच की और मौके से क्राइम टीम ने सबूत एकत्रित किए। मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 308 के तहत केस दर्ज किया था लेकिन आज घायल रविंद्र सिंह ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, जिस कारण मामले में हत्या की धारा को भी शामिल किया गया।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस केस में आरोपी दर्शन सिंह की तलाश है। मृतक और आरोपी का परिवार स्टाफ क्वाटर गुरुद्वारे में ही रहता है। मृतक की बेटी का कहना है कि उसके पिता आरोपी से बड़े ग्रंथी थे। आरोपी चाहता था कि वह अपने हिसाब से काम करे। कई बार पहले भी झगडा हो चुका था, जिसे लेकर पुलिस में शिकायत भी की गई थी। लेकिन तब मामले में समझौता करा दिया गया था। पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। लेकिन आरोपी दर्शन सिंह अभी तक नहीं पकड़ा जा सका है ।
इससे पहले भी कुछ दिनों पहले राजधानी दिल्ली के विकासपुरी इलाके में गुरुद्वारा गुरु हरगोविंद साहिब आनंदपुर धाम के प्रधान आत्मा सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी ,जिसके हत्यारे भी अब तक नहीं पकड़े जा सके हैं। घटना के बारे में पुलिस ने दावा किया था कि जब सेवादार आत्मा सिंह अपने घर के बाहर कार से उतर रहे थे। उसी दौरान दो अज्ञात बाइक सवार उन्हें गोली मारकर वहां से फरार हो गए और यह घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई थी।
हैरत की बात तो यह है कि इन दोनों हत्याओं के बाद भी कोई सिख नेता का बयान मृतक परिवार के प्रति सहानुभूति प्रकट करने के लिए नहीं आया जो किसान बिल की आड़ में अनाप-शनाप बक रहे हैं। लेकिन ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत जब आतंकी भिंडरावाले की मौत हुई तो कई सिख नेता अब तक घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।
भिंडरावाले को कांग्रेसियों ने ही बढ़ावा दिया और उनको बढ़ावा देने के पीछे मक़सद ये था कि अकालियों के सामने सिखों की मांग उठाने वाले किसी ऐसे शख्स को खड़ा किया जाए जो उनको मिलने वाले समर्थन में सेंध लगा सके। भिंडरावाले की हत्या की कीमत उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुकाई और सिखों का बाद में खासकर दिल्ली में कत्लेआम किया गया, जिस के आरोप में कई कांग्रेसी नेता जेल में अब तक बंद है और उसी कांग्रेसियों के बदौलत किसान बिल को लेकर सिख आंदोलन पर आमादा है। वैसे भी इतने बड़े कत्लेआम के बावजूद सिखों ने कांग्रेस को सत्ता दी, उन्हें किसान बिल के बारे में समझाना कोई आसान काम नहीं है