अर्चना कुमारी। इसे केंद्र और राज्य सरकारों की अदूरदर्शिता नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे। केंद्र और राज्य सरकार की कारगुजारी के चलते पश्चिम बंगाल के दंपति को बेंगलुरु की जेल में गुजराने पड़े 301 दिन और हैरत की बात तो यह है कि बांग्लादेशी समझकर पुलिस ने किया था उन दोनों को गिरफ्तार। बताया जाता है कि दंपत्ति बच्चे के साथ मजदूरी करने गया हुआ था।
सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि इस देश में जहां बांग्लादेशी जगह-जगह अवैध रूप से घुसपैठ कर भारत की नागरिकता ले चुके हैं वहीं भारतीय दंपत्ति को अपने ही देश में अपमानित होना पड़ा । पश्चिम बंगाल के बर्दवान के एक दंपति (पलाश और शुक्ला अधिकारी) को बांग्लादेशी होने के शक में 301 दिन तक बेंगलुरु के जेल में बंद रहना पड़ा।
दोनों मजदूरी करने बेंगलुरु गए थे। इन्हें अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी समझ लिया गया था। कोर्ट से बेल मिलने के बाद वे जेल से निकल पाए और अपने घर लौट सके। लेकिन चौंकाने वाली इस घटना को लेकर केंद्र सरकार और ना ही राज्य सरकार खेद प्रकट किया है। यदि कोई खेद भी प्रकट करता है तो जो अपराध किया ही नहीं ,उसके चलते दंपत्ति में जेल में जो समय बिताया है उसकी भरपाई कैसे की जाएगी।
जिस समय दंपत्ति को पकड़ा गया उस समय से केंद्र में अभी तक भाजपा की सरकार है जबकि राज्य में भी भाजपा की सरकार थी लेकिन दोनों सरकारों में तालमेल का कितना ज्यादा अभाव था इसका नमूना इस घटना को लेकर पेश आया है। बताया जाता है कि दंपत्ति पलाश और शुक्ला अधिकारी की परेशानी जुलाई 2022 में शुरू हुई थी। दोनों अपने दो साल के बेटे के साथ बेंगलुरु गए थे। पुलिस को शक हुआ कि ये बांग्लादेशी हैं। पुलिस ने इन्हें बिना कोई गहन आंतरिक तहकीकात के गिरफ्तार कर लिया।
इनके खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। दंपति ने पुलिस को समझाने की कोशिश की कि वे पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। पूर्व बर्दवान के जमालपुर थाना क्षेत्र के तेलपुकुर में उनका घर है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बताया जाता है कि बाद में बेंगलुरु पुलिस की एक टीम ने पूर्वी बर्दवान स्थित पलाश के घर की जांच की। टीम ने जमालपुर के बीडीओ से भी मुलाकात की और दस्तावेजों की जांच की। पलाश के परिजन भी बेंगलुरु पहुंचे और वकील की मदद से जमानत याचिका दायर की।
पलाश के रिश्तेदार सुजॉय हलदर ने कहा दंपति को 28 अप्रैल को जमानत मिली थी, लेकिन उन्हें 24 मई को रिहा किया गया। तुरंत जमानत बांड नहीं भरने से यह देर हुई। जमानत बांड के लिए स्थानीय गारंटर को अपनी जमीन के दस्तावेज जमा करने होते हैं। इसके चलते जमानत बांड वक्त पर नहीं भरा जा सका। जेल से निकलने के बाद दंपति दुरंतो एक्सप्रेस में सवार होकर हावड़ा के लिए रवाना हुए। वे शुक्रवार को अपने घर पहुंचे। इस घटना में पीड़ित का दर्द छुपा है और
पलाश की बहन साथी अधिकारी ने अपनी कमाई उन्हें जेल से निकालने में खर्च कर दी। वह ब्यूटी पार्लर में काम करती हैं। साथी अधिकारी ने कहा, “मेरे पास 24 मई की रात 9.30 बजे एक कॉल आया था। पता चला कि दादा (बड़े भाई) और बौदी (भाभी) को जेल से रिहा कर दिया गया। मैंने उनसे वीडियो कॉल पर बात की। दोनों दोनों कमजोर दिख रहे थे। मेरी मां दोनों की स्थिति देख रोने लगीं। इस घटना के बाद दंपत्ति भी मर्म आहत और दुखी है और केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार को कोस रहे हैं।