इतिहास के पन्नों से : अंग्रेजों ने गुरुकुल परम्परा को तबाह किया!
“भारत से ही हमारी सभ्यता की उत्पत्ति हुई थी। संस्कृत सभी यूरोपियन भाषाओं की माँ है। हमारा समूचा दर्शन संस्कृत से उपजा है। हमारा गणित इसकी देन है। लोकतंत्र और स्वशासन भी भारत से ही उपजा है।” विल डुरांट (1885-1981)
विल डुरांट अपनी किताब ‘स्टोरी ऑफ़ सिविलाइजेशन’ के लिए जाने जाते हैं। इन्होंने 1930 में एक किताब लिखी थी ‘द केस फॉर इंडिया’। निष्पक्ष रूप से लिखी इस किताब में उन्होंने विस्तार से बताया कि भारत ब्रिटिश शासन से पहले कैसा था? ब्रिटिशों ने कैसे भारत को लूटा और कैसे भारत की आत्मा की ही हत्या कर डाली? संस्कृत के बारे में उन्होंने ऐसा क्यों कहा होगा? ऐसा क्या पाया होगा कि उन्हें यूरोपियन भाषाओं की जननी संस्कृत नज़र आई। किताब के पहले पेज पर उन्होंने भारत के लिए निजी रूप से एक ‘सम्बोधन’ छोड़ा है। उसका अनुवाद यहाँ दे रहा हूँ।
इस अध्याय में कहना चाहता हूँ कि भारत के बारे में पुख्ता ढंग से लिखने के मामले में मैं बहुत गरीब सिद्ध हुआ हूँ। किताब लिखने से पूर्व मैंने दो बार भारत के पूर्व और पश्चिम की यात्राएं की। उत्तर से लेकर दक्षिण में बसे शहर देखे। इसके बाद भारत के बारे में उपलब्ध जानकारी के बारे में बहुत पढ़ने के बाद मैं किताब लिखने के लिए तैयार हुआ। अध्ययन के बाद मैंने पाया कि पांच हज़ार साल पुरानी सभ्यता के सामने मेरा ज्ञान बहुत तुच्छ और टुकड़े भर का है। उस सभ्यता के सामने, जिसका दर्शन, साहित्य, धर्म और कला का विश्व में कोई सानी नहीं है। इस देश की अंतहीन धनाढ्यता इसकी धवस्त हो चुकी शान और ‘स्वतंत्रता के लिए शस्त्रहीन संघर्ष’ से अब भी झांकती है।
ये सब मैं इसलिए लिख पा रहा हूँ क्योंकि भारत को मैंने बहुत गहराई से महसूस किया है। मैंने यहाँ मेहनती और महान लोगों को अपने सामने भूख से मरते देखा। ये लोग अकाल ये जनसँख्या वृद्धि से नहीं मर रहे थे। इनको ब्रिटिश शासन तिल-तिल कर मार रहा था। ब्रिटेन ने भारत के लोगों के साथ घिनौना अपराध किया है जो इतिहास में दर्ज हो चुका है। ब्रिटिश भारत को साल दर साल मारते रहे और इसके लिए उन्होंने हिन्दू शासकों का ही सहारा लिया। एक अमेरिकन होते हुए मैं ब्रिटिशों के इस अत्याचार की निंदा करता हूँ।
किताब में विल ने जिक्र किया है कि भारत कोई छोटा-मोटा द्वीप नहीं है। ये एक विशाल देश है, जहाँ पर तीन करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। जब ब्रिटिश भारत आए तो ये देश राजनीतिक रूप से कमज़ोर और आर्थिक रूप से बहुत सक्षम था। मैंने तिरुचिरापल्ली में एक गाइड से सवाल किया कि सैकड़ों साल पहले राजा इतने भव्य मंदिर कैसे बना लेते थे। धन की व्यवस्था कैसे की जाती थी? उस गाइड ने कहा राजा आर्थिक रूप से इतने सक्षम होते थे कि जनता पर बोझ डाले बिना ये काम कर सके। राजा टैक्स लेते थे लेकिन ब्रिटिशों की तरह भारी कर नहीं लगाया जाता था।
जब ब्रिटिश भारत आए तो देश में शिक्षा का एक सुगठित ढांचा हुआ करता था। बच्चे गुरुकुल में पढाई करते थे। ब्रिटिशों ने इस प्राचीन शिक्षा व्यवथा को ध्वस्त कर दिया। इसके बदले में उन्होंने व्यावसायिक स्कूलों को बढ़ावा दिया। ब्रिटिश शासन के समय भारत के सात लाख से भी ज्यादा गांवों में एक लाख से कम स्कुल बचे थे। अंग्रेजों ने देश की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का आधा हिस्सा तो आते ही तबाह कर दिया था। इसके बाद भारत में शिक्षा आमजन के लिए आसानी से सुलभ नहीं रही।
ये किताब इंटरनेट पर पीडीएफ माध्यम में उपलब्ध है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि ब्रिटिशों ने कैसे सोने की चिड़िया को लूट लिया। किताब में आंकड़ों के साथ लेखक ने अपनी बात साबित की है।
URL: Why and how the British destroyed the Gurukul system of India
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Is Lekh Ka koi sabboot nahi.. sab jhot par bana lekh hai…agar us samay Education itane lakho ki sankhya me tha to log anpd ganwar kaise rah gaye