राजनीति और कूटनीति में संकेतों का बड़ा महत्व है! बिना कहे संकेतों से बड़ी-बड़ी बातें कह दी जाती है। संकेतों का पूरा मनोविज्ञान है राजनीति में।
इन्हीं संकेतों को तो समझ कर हिमंता विस्वशर्मा ने कांग्रेस छोड़ी थी! उन्हें सीधे कुछ कहा थोड़े न गया था? गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोली छेदीदार टोपी न पहन कर अपने मतदाताओं को संकेत ही तो दिया था न?
अब कल के संकेत को समझने का प्रयास करते हैं। देश के सबसे बड़े प्रदेश उप्र और भाजपा के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर ट्वीटर पर एक साथ प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा बधाई न देना, राजनीति की मामूली समझ रखने वालों को भी चौंकाएगा!
1) यह ठीक है कि दूसरे कोविड काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी नेता को जन्मदिन की बधाई ट्वीटर पर नहीं दी है। तो उनके लिए यह समझा जा सकता कि उन्होंने योगी को भी बधाई नहीं दी।
2) परंतु गृहमंत्री अमित शाह ने तो 18 मई को थावरचंद गहलोत को ट्वीटर पर जन्मदिन की बधाई दी थी, फिर? (देखें screen shot)
3) भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तो 27 मई को नितिन गडकरी जी को जन्मदिन की बधाई दी थी, फिर? (screen shot देखें)
फिर? एकाएक क्या हुआ कि जिस प्रदेश में अगले वर्ष चुनाव होने हैं, जिस प्रदेश की सीटों से देश की राजनीति तय होती है, जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री की लोकप्रियता भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों में सर्वाधिक हो, जो हिंदुत्व की राजनीति में सबको पीछे छोड़कर आगे निकल रहा हो- उसके जन्मदिन के प्रति एकाएक भाजपा नेतृत्व की सार्वजनिक उदासीनता मूर्खों को ही नहीं चौंकाएगी, परंतु जिसे जरा भी राजनीति की समझ है उसे जरूर चौंकाएगी।
अब आते हैं कि आखिर मोदी सरकार के कौन से महत्वपूर्ण मंत्री हैं जिन्होंने योगी को जन्मदिन पर खुलकर बधाई दी और जिसे योगी ने आफिस ट्वीटर हैंडल की जगह अपने निजी ट्वीटर हैंडल से जवाब दिया…
1) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
2) परिवहन मंत्री नितिन गडकरी
2005 से 2009 और 2013-2014 की संघ-भाजपा की राजनीति पर नजर रखने वाले आसानी से अनुमान लगा सकते हैं कि राजनाथ सिंह और गडकरी भाजपा के अंदर संघ के सबसे प्रिय नेताओं में से हैं।
अब पिछले कुछ दिनों में और आज भी दिल्ली से लखनऊ तक और बनारस से अयोध्या तक उप्र को लेकर हो रही बैठकों के दौर पर नजर डालेंगे तो कुछ-कुछ धुंधलापन साफ हो जाएगा।
एक बात और, योगी को मुख्यमंत्री बनाने में सबसे बड़ी भूमिका स्वयं संघ प्रमुख मोहन भागवत जी की थी। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने दो-दो उप मुख्यमंत्री देकर योगी के प्रति अपना संकेत बाद में स्वयं ही स्पष्ट कर दिया था।
भाजपा के तत्कलीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या का तो हक बनता था, लेकिन ये दिनेश शर्मा ऐसा क्या थे कि पैराशूट से लाकर उनको उपमुख्यमंत्री बना दिया गया? और कौन लेकर आया था इनको?
आज एक नौकरशाह अरविंद शर्मा को थोपने की तैयारी कहां से चल रही है? ऐसा क्या कर दिया अरविंद शर्मा ने कि अखबारों से लेकर न्यूज चैनल तक एकाएक उसका गुणगान होने लगा है?
उप्र में तो जलती चिताओं और बहते शवों की रिपोर्टिंग हो रही थी, लेकिन उसी यूपी से काटकर ‘काशी मॉडल’ की अलग से चर्चा शुरू कर दी गई थी, जैसे काशी मंगल ग्रह पर हो? और हां, बहते लाशों वाले फेक न्यूज में कहीं काशी के गंगा की फोटो आपको दिखी थी?
बता दूं कि PMO से भेजे गये वही अरविंद शर्मा काशी के स्वतंत्र प्रभारी बन कर काम कर रहे थे, जिनके काशी मॉडल पर दिल्ली की मीडिया अचानक लहालोट हो उठी थी!
राजनीति में कभी दो दूना चार नहीं होता! जिसको मानना है माने, न मानना है न माने। मैं 2003 से राजनीति को एक पत्रकार के रूप में कवर कर रहा हूं, उस नाते बता सकता हूं कि योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर भाजपा शीर्ष नेतृत्व की उदासीनता स्वाभाविक तो नहीं ही है? जय रामजी की।
नोट:- प्रमाण में दिए Screen shot देख लें।
#SandeepDeo
भाजपा का इतिहास रहा है जो भी नेता शीर्ष पर पहुंचता है वह बहुत ही सेक्युलर हो जाता है! यदि गुजरात से हो तो गाँधी और उसका बन्दर बन जाता है| भाजपा में जो भी हिन्दू हक़ की बात करता है उसको किनारे लगा दिया जाता है| योगी जी के साथ भी वही हो रहा है| गुजरात दंगो के बाद ‘हिन्दू योद्धा’ मोदी की सरकार में एक-एक ठिकाने लगा दिए गए| केंद्र में मोदी आने के बाद सभी हिन्दू संगठनों को ठिकाने लगा दिया गया! जबसे मोदी जी आप्संख्यकों के नेता बन गए हैं योगी उनकी आँख में चुभने लगे हैं| मोदी जी ने अल्पसंख्यों की बढती अप्रत्यासित जनसँख्या को पालने और पावर में लाने के गाँधी से अधिक प्रयास कर रहे हैं! इनकी ९०% योजनाये मुसलमानों के लिए हैं क्यों ?
दलितों के SCST एक्ट को पास करा दिया लेकिन आज सबसे अधिक बेटियां उन्ही की उठाई जा रही है, सबसे अधिक रेप और हत्या उनका हो रहा है| गुंडे जो चाहे कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार मौन समर्थन देने के सिवा कुछ नहीं कर रही है| इस इस्लामीकरण के दौर में महाराज योगी जी ही हिन्दू को आशा की किरण दिखाई दे रहें हैं| मोदी जी विकास कर रहे हैं लेकिन देश की स्थिति कुछ और हैं| मोदी जी कर्म से सेल्स मैनेजर हैं| उनको अपपनी दुकानी चलानी है इस लिए योगी जी शीर्ष नेत्रित्व को पसंद नहीं हैं|
7 वर्षों में भारतीय हिंदुओं के लिए अगर एक भी विशेष योजना मोदी सरकार लाई हो तो बताइए. . दूसरी तरफ हम आपको विशेष तौर पर मुसलमानों के लिए लाई गई दर्जनों योजनाओं का दर्शन करा सकते हैं. . रही बात कूटनीति की तो क्या कूटनीति केवल मोदी को आती है योगी को नहीं आती? . कूटनीति में क्या चाय वाला ही महारत हासिल कर सकता है? मुल्ला मुलायम को कूट नीति नहीं आती थी… जो खुलकर अपने वोटरों का सपोर्ट करता था और उनके लिए काम करता था…कांग्रेस सरकार तो कूटनीति के मामले में निरी गधी ठहरी… जो ताल ठोक के अपने वोटरों के लिए हमेशा आगे खड़ी रही… विशेष कानून लाती रही… विशेष योजनाएं चलाती रही… कूटनीति तो केवल मोदी को आती है ममता को नहीं आती जो अपने वोटरों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है… और जा कर दिखा भी देती है… भैया भक्ति बिल्कुल करो पर देशभक्ति करो अपने दिमाग की खिड़कियां खोलकर करो… व्यक्ति-भक्ति मत करो. . अपने आप से सवाल पूछिए…क्या मोदी नाम का यह व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी नहीं है? . अगर अति महत्वाकांक्षी नहीं होता, तो क्या एक चाय वाला लोगों के पैर छू-छू कर बिना एक भी चुनाव लड़े पैराशूट से मुख्यमंत्री बन पाता? . और अगर अति महत्वाकांक्षी है, तो क्या प्रधानमंत्री बनने के बाद उसकी महत्वाकांक्षा खत्म हो गई……? जी नहीं… वो अब विश्व का नेता बन के मरना चाहता है… नोटों पर छप कर गांधी बनना चाहता है… नोबेल पीस प्राइस पाना चाहता है… भारत रत्न का आकांक्षी है… और इसी के चलते सबका साथ सबका विकास और मुसलमानों का विश्वास जीतने में लगा हुआ है. भाड़ में जाती है तो जाए हिंदू जनता. . मोदी को मोदी की खूबियों ने नहीं… सही समय पर सोशल मीडिया के प्रादुर्भाव ने और सोशल मीडिया पर पधारे नए-नए अति-उत्साही लेखकों ने आगे बढ़ाया है. . अगर आप सोचते हैं कि मोदी मुसलमान ठोकू था… तो आप गलत सोचते हैं क्योंकि 2002 के गुजरात दंगों में, मोदी ने दंगे होते ही तुरंत दूसरे राज्यों से विशेष बल की मांग की थी और दंगे रोकने के लिए, मुसलमानों को उनकी औकात दिखा रहे हिंदुओं पर भी गोलियां चलवाई थी. . पर उसकी मुस्लिम ठोकू इमेज वामपंथियों और मुस्लिम मीडिया… जो चीखता चिल्लाता बहुत है, उसने बनाई थी… और आपको लगा कि आपको तो फिर से बड़ी मुद्दतों के बाद, एक वीर लड़ाकू हिंदू योद्धा मिल गया. . अगर आप सोचते हैं कि मोदी विकास पुरुष है तो यह जान लीजिए कि गुजरात का विकास गुजरात की उद्योगधर्मी जनता ने किया है. . और गुजरात की उद्यमी जनता ना केवल गुजरात का विकास करने में कामयाब रही… साउथ अफ्रीका को भी अगर आप देखेंगे तो वहां भी गुजरातियों ने पूरा परिदृश्य ही बदल के रख दिया है… साउथ अफ्रीका के जिन देशों में गुजरातियों ने विकास किया है, वहां के लोग गुजराती भाषा बोलने लगे हैं . . अमेरिका में जितने भी मोटेल थे वे सभी अब पोटेल पुकारे जाते हैं…. गुजराती पटेल कम्युनिटी के कारण. . हिंदू एक बहुत ही ज्यादा सहिष्णु प्रजाति है जो हजारों सालों से इसी सहिष्णुता के कारण मार खाती आ रही है. . अगर मोदी सरकार इन शांतिप्रिय हिंदुओं को 7 साल में सुरक्षा तक उपलब्ध नहीं करा पाई… ना ही हिंदुओं में सुरक्षा का भाव भरपाई… . और इन दुष्ट मलेच्छ आतंकवादियों, बलात्कारियों और अपराधियों को उनकी औकात नहीं दिखा पाई… तो फिर काहे की सरकार और काहे की हिंदु एकता… और काहे का आरएसएस नाम का सब्जी-पूरी बांटता हुआ संगठन? . और कैसे भगवान और कैसे भक्त?