बड़ी विचित्र बात है! राज्यसभा के अंदर अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाॅप्टर घोटाले में कांग्रेस के सांसद झूृठ पर झूठ बोले जा रहे हैं, लेकिन नेता सदन अरुण जेटली की ओर से कोई विशेषाधिकार हनन का नोटिस ही नहीं दिया जा रहा है! दो दिन पहले राज्यसभा में आए डाॅ सुब्रहमनियन स्वामी ने सदन में विपक्ष के कांग्रेसी नेता गुनाम नबी आजाद की ओर से अगस्ता बेस्टलैंड को ब्लैक लिस्टेड करने के मामले में बोले गए झूठ पर जरूर संज्ञान लिया है, लेकिन भारत के वित्त मंत्री- जिनके मंत्रालय के अधीन आने वाला ईडी बकायदा इस पर जांच कर रहा है- श्रीमान अरुण जेटली जी ने राज्यसभा में उठकर गुलामनबी की इस झूठ से सदन को अवगत कराना तक जरूरी नहीं समझा!
गुलाम नबी द्वारा बोले गए एक दूसरे झूठ कि भारतीय प्रधानमंत्री Narendra Modi व इटली के प्रधानमंत्री के बीच सोनिया गांधी को फंसाने के लिए समझौता हुआ है, पर भी अरुण जेटली आक्रामक होने की जगह सफाई देते ही नजर आए! वह कठोरता से कह सकते थे कि आप भारतीय प्रधानमंत्री पर झूठा आरोप नहीं लगा सकते हैं! घोटाले में घिरी कांग्रेस जैसे अपने अध्यक्ष के लिए आक्रामक तरीके से झूठ बोल रही है, सदन के नेता जेटली उस आक्रामक तरीके से अपने नेता व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में सच तक नहीं बोल पा रहे हैं! सवाल उठता है कि अरुण जेटली जी भारत सरकार के मंत्री हैं, या गांधी परिवार के! पिछले तीन दिनों की सदन की कार्रवाई में कहीं से भी वह घोटाले के आरोपों से घिरी कांग्रेस पार्टी व उनकी अध्यक्षा सोनिया गांधी के खिलाफ आक्रामक नजर नहीं आए हैं! आखिर क्या वजह है?
डाॅ. सुब्रहमनियन स्वामी ने सदन में बुधवार को अगस्ता वेस्टलैंड डील पर चर्चा का जब नोटिस दिया था, तभी यह स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस के कई चेहरे सदन के अंदर बेनकाब होंगे, लेकिन जिस तरह से राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली बैकफुट पर दिख रहे हैं, बार-बार उनके विभाग के अंतर्गत आने वाले ईडी पर दो साल में इस डील में शामिल नेताओं से किसी भी तरह की पूछताछ नहीं करने पर सवाल उठ रहा है, उससे यह जाहिर होता जा रहा है कि भाजपा के अंदर भी कुछ नेता घोटाले में सोनिया गांधी का नाम लिए जाने के कारण असहज हैं!
अगस्ता वेस्टलैंड मामले में सदन में गुनाम नबी आजाद के झूठ पर भाजपा सांसदों की ओर से किसी भी तरह का प्रतिकार न देखकर रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर को सदन के बाहर कहना पड़ा कि अगस्ता की कंपनी को यूपीए सरकार ने नहीं, बल्कि 3 जुलाई 2014 को एनडीए सरकार ने ब्लैक लिस्टेड किया था। इसके बावजूद गुरुवार को सदन में गुलामनबी आजाद के खिलाफ भाजपा के किसी नेता के द्वारा विशेषाधिकारा हनन का मामला नहीं लाया गया, क्यों?
नेता सदन होने के कारण इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी अरुण जेटली जी पर थी, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। शुक्रवार को @Swamy39 के टवीट से पता चला कि वह इस मामले में नोटिस देने जा रहे हैं! मतलब यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सदन में स्वामी नहीं लाए जाते तो कांग्रेस-भाजपा के बीच की यह मैच फिक्सिंग देखते हुए भी मन मसोस कर रहने के लिए वो 18 करोड़ जनता मजबूर थी, जिन्होंने कांग्रेसी घोटाले से आजिज आकर भाजपा के पक्ष में 2014 में मतदान किया था और इतिहास में पहली बार उसे पूर्ण बहुमत दिलाया था!
शुक्रवार को ही सुब्रहमनियन स्वामी के घर के बाहर कांग्रेसियों के प्रदर्शन को देखकर लग गया कि क्यों गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को राज्यसभा में अध्यक्ष के समक्ष कहा कि इस आदमी को आए दो दिन हुए हैं और इनकी वजह से सदन बाधित हो रहा है, इनकी बातों को कार्रवाई से हटाना पड़ रहा है, सोचिए 365 दिन में क्या होगा? गुनाम नबी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से यह व्यक्ति सदन को उपहार में दिया गया है, जिसकी उम्र तो बढ़ गई, लेकिन संदन और सड़क की भाषा का जिसे फर्क तक पता नहीं है! पांच बार सांसद रहने वाले सुब्रहमनियन स्वामी के खिलाफ इतना कुछ बोलने पर भी भाजपाई सांसद खामोश रहे और यह तक नहीं कहा कि आप तो अपनी अध्यक्षा सोनिया गांधी को बचाने के लिए लगातार सदन में झूठ बोलकर सदन को गुमराह कर रहे हैं! घोटाले में कांग्रेस व उसकी अध्यक्षा घिरी हैं और लोकलाज से घिरे भाजपाई नेता नजर आ रहे हैं! इन नेताओं को बताना चाहिए कि उनका नेता नरेंद्र मोदी हैं या फिर सोनिया गांधी?
कुछ वर्ष पूर्व एक विदेशी पत्रिका ने सोनिया गांधी का नाम ब्रिटेन की महारानी से भी अधिक अमीर महिलाओं की सूची में शामिल किया था! कहां से आया इतना पैसा गांधी परिवार के पास? भाजपा की सरकार आते ही गांधी परिवार की आय से अधिक संपत्ति की जांच क्यों नहीं कराई गई? जब इस देश में मायावती, मुलायम सिंह यादव, जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच हो सकती है तो सोनिया गांधी के खिलाफ क्यों नहीं हो सकती है? आज अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाॅप्टर घोटाले में इटली की अदालत में इस घोटाले वाले डील को करवाने का मुख्य ड्राइविंग फोर्स सोनिया गांधी को कहा गया है!
क्या माननीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से भाजपा के 18 करोड़ मतदाता यह उम्मीद कर सकते हैं कि वह सोनिया गांधी के खिलाफ इस घोटाले के साथ-साथ आय से अधिक संपत्ति की जांच कराएंगे? आज जब अगस्ता वेस्टलैंड में दो साल से ईडी की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस के सभी नेता कुतर्क कर मोदी सरकार का उपहास उड़ा रहे हैं तो क्यों न यह माना जाए कि देश के वित्त मंत्री इस मामले में पूरी तरह से फेल हुए हैं!
माननीय अरुण जेटली जी भाजपा के 18 करोड़ मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी जी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान के लिए भाजपा के पक्ष में मतदान किया है, प्लीज उन मतदाताओं की उम्मीद को गांधी परिवार के हाथों गिरवी न रखें!
Web Title: why arun jaitley defensive on agustawestland-1
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