विपुल रेगे। बॉलीवुड के नए ताज़ा-तरीन पोर्न किंग राज कुंद्रा के वकील ने कहा है कि उनके मुवक्किल द्वारा बनाई गई फिल्मों का कंटेंट पोर्न नहीं है। ये उसी तरह का अश्लील कंटेंट है, जो वेब सीरीज के रुप में दिखाया जा रहा है। पोर्न की भाषा में इस तरह की फिल्मोग्राफी को ‘सॉफ्ट पोर्न’ कहा जाता है। यदि कुंद्रा के वकील की दलील को सही मान लिया जाए तो मुंबई क्राइम ब्रांच को अब तक फिल्म निर्माता एकता कपूर को भायखला जेल भेज देना चाहिए था।
राज कुंद्रा की गिरफ्तारी ने बॉलीवुड के उस खेमे में हलचल मचा दी है, जो देहपरक फ़िल्में दिखाने को ही मनोरंजन मानता है। उस खेमे में फिल्म निर्माता एकता कपूर भी शामिल हैं। उन्होंने अपने शो ‘अल्ट बालाजी’ के द्वारा जो सॉफ्ट पोर्न परोसा, उसके लिए सन 2020 में एकता को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था। कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए एकता को चुना गया।
आज देश के नागरिक पूछ रहे हैं कि एकता कपूर को पद्मश्री क्या ‘अल्ट बालाजी’ की अर्द्ध नीली प्रस्तुतियों के लिए दिया गया था ? राज कुंद्रा भी तो वही कर रहे हैं, जो एकता कपूर ने किया। फिर एकता कपूर को पुरस्कार और कुंद्रा को जेल क्यों ? मुंबई के पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले इस केस को देख रहे हैं। उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा कि ठाकरे सरकार के ‘ऑपरेशन क्लीन’ के तहत ये अभियान चलाया जा रहा है।
ऑपरेशन क्लीन करण जौहर, एकता कपूर और अनुराग कश्यप के विरुद्ध क्यों नहीं चलाया जा सकता ? ये लोग भी आपत्तिजनक सिनेमा बनाते रहे हैं। ठाकरे सरकार को ये गलतफहमी हो गई है कि वे पोर्न के विशाल बाज़ार के एक छोटे से तिनके को पकड़कर ऑपरेशन क्लीन कर देंगे। क्या आप कुंद्रा की ज़मानत होने से रोक सकेंगे ? क्या गारंटी है कि समाज में गंदगी फैला रहा कुंद्रा नामक निकृष्ट पशु ज़मानत पर रिहा होने के बाद फिर से अश्लील फ़िल्में नहीं बनाएगा।
कोर्ट में कुंद्रा के वकील की इस दलील को कैसे पराजित किया जा सकेगा कि ऐसे कंटेंट तो ओटीटी पर पहले से ही बनाए जा रहे हैं। इस केस को लेकर मीडिया के एक धड़े का रुख़ देखकर लग रहा है कि वे कुंद्रा को क्लीन चिट दिलवाना चाहते हैं। एक मीडिया संस्थान तो लिख रहा है ‘ इस मामले में फंस गए हैं कुंद्रा।’ कुंद्रा के वकील का तो कहना है कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी कानून के अनुसार नहीं की गई है।
वे इसे न्यायालय में चुनौती देंगे। अश्लील फिल्मों का कारोबार बहुत बड़ा है। संसार भर में नीली फिल्मों का कुल व्यापार 740 हज़ार करोड़ रुपये का है। भारतीय लोग इन वेब साइट्स पर औसतन आठ मिनट से भी अधिक व्यतीत करते हैं। ये औसत संसार के सभी देशों के औसत से अधिक है। इसी बात से समझा जा सकता है कि नीले बाज़ार में भारतीय कंटेंट की कितनी मांग है।
भारतीय कंटेंट की मांग दुनिया भर में बढ़ती जा रही है तो इसका कारण एकता कपूर और कुंद्रा जैसे फिल्म निर्माता हैं। ऑपरेशन क्लीन चलाने की बात करने वाली महाराष्ट्र सरकार ये बताए कि वह बॉलीवुड में ड्रग्स की सफाई कब करने जा रही है ? वह बॉलीवुड को बंधक बनाकर बैठे गिरोह को कब साफ़ करने जा रही हैं ? क्या वह वास्तव में सफाई के लिए प्रतिबद्ध है या बदनाम हो चुकी सरकार की छवि सुधारने का एक और मरियल सा प्रयास है।