एक माह की जाँच के बाद सीबीआई की टीम मुंबई से दिल्ली लौट गई है। लगभग 21 दिन की सघन जाँच के बाद सीबीआई की ओर से एक भी आधिकारिक बयान न आने के बाद मीडिया ने एक बार फिर ख़बरें फैलानी शुरू कर दी है। कुछ मीडिया संस्थान लिख रहे हैं कि सीबीआई को इसमें ऐसा कोई प्रमाण हाथ नहीं लगा है, जिससे इसे हत्या सिद्ध किया जा सके। सीबीआई एक बार फिर से मुंबई आने की तैयारी में है और अबकी बार उसका फोकस दिशा की मौत की जाँच हो सकता है।
सुशांत सिंह राजपूत की निर्मम हत्या के तीन माह हो गए और देश अब तक इसके सच के बाहर आने की प्रतीक्षा कर रहा है। एक माह बाद भी नहीं बताया गया कि जाँच किस दिशा में आगे बढ़ी है।
मुंबई में केंद्रीय जाँच एजेंसियों की जाँच सुशांत की हत्या का पता लगाने के लिए हुई थी लेकिन समय के साथ-साथ इसमें आर्थिक धोखाधड़ी और ड्रग्स का एंगल भी जुड़ गया। रिया और शौविक चक्रवर्ती से पूछताछ की ख़बरें समाचार माध्यमों से बाहर आती रही है।
गौरतलब है कि सीबीआई ने अब तक एक भी आधिकारिक बयान नहीं दिया है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अवश्य अपनी कार्रवाई की जानकारी जनता को दे रहा है लेकिन सीबीआई ने अब तक एक सामान्य सी प्रेस रिलीज भी इस केस को लेकर जारी नहीं की है।
सुशांत वारियर्स में अब निराशा का भाव जागने लगा है। सुशांत के परिजनों ने भी अब इस केस में कुछ भी कहना बंद कर दिया है। शुरुआत में रफ्तार से भागती दिखाई दे रही ये जाँच अब थमती सी दिखाई दे रही है।
सुशांत केस पर अब बयानबाज़ी की राजनीति हावी होने लगी है। कंगना रनौत, जया बच्चन और अब अनुराग कश्यप विवाद ने सुशांत केस की ख़बरों की जगह ले ली है। मीडिया रिपोर्ट्स में अब सुशांत को लेकर ख़बरों का फ्लो कम होता जा रहा है।
क्या सुशांत का केस भी सुनंदा पुष्कर केस की तरह दबा दिया जाने वाला है। सीबीआई की इक्कीस दिन की जाँच का हिसाब सुशांत वारियर्स मांग रहे हैं। पहले कहा गया कि विसरा रिपोर्ट आने से पहले हत्या के एंगल से जाँच शुरू नहीं कर सकते।
सुशांत के आसपास रहने वाले संदिग्धों पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करने के बजाय सीबीआई विसरा रिपोर्ट की प्रतीक्षा करती रही और समय बर्बाद होता रहा। क्या भरोसा है कि आगे कोर्ट रिया और शौविक की रिमांड बढ़ाने की इजाजत दे या नहीं, क्योंकि ड्रग्स सेवन के अलावा एनसीबी और सीबीआई उनसे कुछ नहीं उगलवा सकी है।
सुशांत के लिए लड़ रही उनकी बहन श्वेता ने भी सोशल मीडिया से कुछ दिन के लिए ब्रेक ले लिया है। उनका परिवार इस हादसे से उबरने का प्रयास कर रहा है। इस केस में कोई बड़ी लीड ही इस परिवार का दुःख कम कर सकती है।
इस केस को लेकर हो रही राजनीतिक बयानबाज़ी, अन्य अभिनेताओं का प्रचार युद्ध सुशांत के परिवार को दुःख ही पहुंचा रहा है। और सबसे बड़ी बात केंद्रीय एजेंसियों की दक्षता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। भारत की जनता की स्मरण शक्ति कमज़ोर होती है। मीडिया किसी बड़ी घटना की प्रतीक्षा में है, जिसके नीचे सुशांत के परिवार की पुकार को दबाया जा सके। एक बार उन्होंने ये कर दिया तो भारत की जनता स्वयं ही भूल जाएगी कि उसने सुशांत की निर्मम हत्या को लेकर न्याय की मांग की थी।
kuch nahi hoga jese sungandha pushkar maamle me hua, agasta wesland me kisi neta ka naam nahi aaya, 2g,3g coalgate kisi neta ko kuch nahi hua yaha bhi nahi hoga.