कोरोना को ‘अवसर’ की तरह देखने वालों में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन का नाम सबसे ऊपर आता है। इस समय बिल गेट्स एक धन लोलुप पशु की तरह जीभ लपलपाए भारत के दरवाज़े पर आकर खड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की समिति के कार्यकारी अध्यक्ष बने डॉक्टर हर्षवर्धन के एक ट्वीट से बखेड़ा खड़ा हो गया है। हर्षवर्धन के विवादास्पद ट्वीट का आशय ये है कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे। बिल गेट्स का फाउंडेशन कोरोना वैक्सीन का परीक्षण भारत के लोगों पर करना चाहता है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस में बिल गेट्स ने ये कहकर इशारा दे दिया कि ‘दुनिया पर कोरोना के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव को कम करने में भारत की अहम भूमिका है । जो कि सबके लिए कोरोना की ‘वैक्सीन के परीक्षण’और इलाज का रास्ता साफ करती है।’
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन पर नाइजीरिया में कोरोना वैक्सिनेशन करवाने के लिए करोड़ो डॉलर की रिश्वत बांटने का आरोप लगा है। वहां के प्रमुख विपक्षी दलों ने एक स्वर में वैक्सिनेशन का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। रिश्वत वाले प्रकरण को लेकर बिल गेट्स इस समय बहुत चर्चा में हैं। इस बात से जाहिर होता है कि बिल गेट्स अपने फाउंडेशन के जरिये विकासशील देशों को कोरोना वैक्सीन के परीक्षण की प्रयोगशाला बना देना चाहता है। भारत में भी उसका इरादा यही है, जिसे फिलहाल प्रधानमंत्री समझ नहीं पा रहे हैं। डॉक्टर हर्षवर्धन के बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मधुर रिश्ते हैं और ये आज से नहीं है। उनका विवादित ट्वीट दबे स्वर में बिल गेट्स के साथ उनकी मधुरता का परिचय देता है।
सन 2014 में भारत सरकार ने ‘मिशन इंद्रधनुष‘ शुरू किया था। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन शुरूआती दौर में ही इस मिशन से जुड़ गया था। मिशन इंद्रधनुष के समय डॉक्टर हर्षवर्धन ही स्वास्थ्य मंत्री थे और उस वक्त से आरोप लगने लगे थे कि मिशन इंद्रधनुष बिल गेट्स के प्रभाव में काम कर रहा है। इस योजना से हर्षवर्धन को कुछ ही महीनों में हटा दिया गया था। सन 2017 के अंत तक पता चला कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन इस कार्यक्रम में गड़बड़ियां पैदा कर रहा है। इसके बाद फाउंडेशन की भूमिका इस कार्यक्रम में सीमित कर दी गई। जानते हैं इस फाउंडेशन के वैक्सीन प्रोग्राम की भारत को क्या क़ीमत चुकानी पड़ी। इस वैक्सीन प्रोग्राम के कारण देश के साढ़े चार लाख से अधिक बच्चें लकवाग्रस्त हो गए। इसके बाद केंद्र सरकार ने ये प्रोग्राम बंद करवा दिया था।
भारत के नागरिक परीक्षण वाले लैब के मेंढक नहीं हैं, जिन पर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन अपनी कोरोना वैक्सीन टेस्ट करना चाहता है। डॉक्टर हर्षवर्धन ने जब इस फाउंडेशन को ट्वीट किया तो नागरिकों ने इसका तीव्र विरोध किया। नरेंद्र मोदी सरकार को इस फाउंडेशन से हाथ मिलाने से पहले एक बार उन नागरिकों के ट्वीट्स देख लेने चाहिए। सरकार को बिल गेट्स के फाउंडेशन का पुराना रिकार्ड देख लेना चाहिए। क्या इस सरकार की स्मृति इतनी क्षीण है कि वह ये भूल जाए कि इस फाउंडेशन को एक बड़ी भयंकर गलती के बाद बाहर किया गया था। ये धन लोलुप जीव चाहता है कि सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रभाव में आकर वैक्सीनेशन कार्यक्रम में उसे सहयोगी बना दे।
भारत सरकार को थोड़ी खोज करके डॉक्टर शिवा अय्यादुराई के ताज़ा वीडियो देखने चाहिए। जानना चाहिए कि वे क्या कहने की कोशिश कर रहे हैं। भारत सरकार को इसकी भी खोजबीन करनी चाहिए कि डॉक्टर हर्षवर्धन ने उन तमाम आयुर्वेदाचार्यों को ठेंगा क्यों दिखा दिया, जो कोरोना के इलाज का दावा कर रहे थे। इंदौर के अस्पताल में बाबा रामदेव की पतंजलि कम्पनी की औषधियों का कोरोना रोगियों पर परीक्षण से इंकार क्यों कर दिया जाता है। हमारे आयुर्वेद में कोरोना को पराजित करने की शक्ति थी, लेकिन जानबूझकर उसे साइडलाइन क्यों किया गया। कितने ही डॉक्टरों और आयुर्वेदाचार्यों ने डॉक्टर हर्षवर्धन से मिलने की गुहार लगाई लेकिन वे नहीं मिले। ये समय विश्व को आयुर्वेद की शक्ति दिखाने का था, उस अवसर को जानकर क्यों गंवाया गया।
धन लोलुप जीव बिल गेट्स जानता है कि भारत के नागरिकों की इम्यून पॉवर अच्छी है। वह क्यों अच्छी है, इसके पीछे का कारण भी वह जानता है। हमारा पारंपरिक भोजन, हमारा रहन-सहन, हमारा आयुर्वेद, हमारी जड़ी-बूटियां ऐसे वायरसों से लड़ने में सक्षम हैं। यदि आयुर्वेद को अनुमति दे दी जाती तो विश्व में भारतवर्ष का परचम लहरा जाता।
अब इस फाउंडेशन के प्रयास हैं कि भारत सरकार इनको फिर से भारत में अपने जानलेवा परीक्षण करने की अनुमति प्रदान कर दे। इसके लिए सरकार में हर्षवर्धन जैसे हितैषी बैठे हैं, जो फाउंडेशन की वापसी के लिए वातावरण बना रहे हैं। स्वयं नरेंद्र मोदी को इस मामले को देखना चाहिए। उन्हें फाउंडेशन की समीक्षा करनी चाहिए। उन्हें बिल गेट्स के तर्कपूर्ण विरोधियों की बात सुननी चाहिए और निश्चित ही वे इस ओर ठोस कदम उठाएंगे।
Dr. Harswardhan SOLD OUT TO B.GATES THE SATAN
This will be the worst thing if they will allow B.gates to experiment in India. Also, we will be losing the popularity of Indian Ayurveda.
Agree we must stop all corrupt practices of Dr Harshvardhan, Health Minister. PM Modiji, please look into the matter quickly, seriously and decisively. Quick action we demand for this.
Pharmaceutical industry in India doesn’t want upsurge of Ayurved and Ayurvedic medicines…this hits their main agenda…….of lingering the disease….. partially treating the symptoms…so that patient is dependent on recurrent medicines….
Allopathy mindset goes hand in glove with pharmaceutical industry and mindset….DO NOT CURE COMPLETELY….
Right said vipul