एक पाठक का प्रश्न:- सन्दीप जी, आप हमेशा हरे टिड्डे और सफ़ेद टिड्डे क्यों कहा रह रहें हैं, सीधा सीधा, मुस्लिम क्रिश्चियन कहिए ना! इसमें डर डर के बात कहने की क्या जरूरत है !. आप इतने निडर इन्सान हैं, आप किसी राजनेता या पार्टी के मोहताज तो है नहीं। यह हरे, सफेद कहने पर लोगों के मन मे यह विचार आ जाता है कि, आप किसी के डर में, आ रहे हैं ।
मेरा उत्तर:- ये शब्द उनको चुभते हैं और वो बिलबिलाते हैं। हमारे शास्त्रों में किसी भी राज्य के लिए छह विपदाएं बताई गई है:- अतिवृष्टि, अनावृष्टि, मूषक, टिड्डी, शुक, समीपवर्ती राजा।
इसमें एक ‘टिड्डी दल’ भी है, जो फसलों को नष्ट कर देता है। वही प्रकृति आज अब्राहमिकों (पंचमक्कारों) में है। वो जहां रहते हैं, उस देश की सभ्यता, संस्कृति, धर्म, मानवता-सबको नष्ट कर देते हैं।
इसलिए मैं उपमा अलंकार का प्रयोग करते हुए इनकी पहचान से जुड़े रंगों का उपयोग कर इनके लिए ‘हरे टिड्डे’, ‘लाल टिड्डे’, ‘सफेद टिड्डे’ और अब एक नया ‘पीले टिड्डे’ का प्रयोग करता हूं। आज मानवता को इन ‘टिड्डों’ से सर्वाधिक खतरा है।