संदीप देव। दुनिया के University में टॉप 100 में ताइवान, सिंगापुर, कोरिया जैसे छोटे आकार के देशों की University है, लेकिन हमारा कोई भी IIT, IIM या विश्वविद्यालय क्यों नहीं है?
आप जानते हैं क्यों?
यह देखिए देश के महत्वपूर्ण संस्थान IIM का कटऑफ लिस्ट :-
समान्य वर्ग के लिए 95%
EWS- 90%
OBC- 78%
SC 55%
ST 30%
आरक्षण आधारित व्यवस्था कभी गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था का निर्माण नहीं कर सकती, यह केवल लहलहाते वोटों का निर्माण करती है!
बाबा साहेब आंबेडकर ने 10 साल के लिए आरक्षण कहा था, राजनेताओं ने अपने वोट के लिए आरक्षण को अंतहीन सड़क बना रखा है, जिस पर उनकी राजनीति सरपट दौड़ रही है, परंतु अभी तक देश न गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था का निर्माण कर पाया है, न गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था का ! यह वह तथ्य है जिससे हर कोई आंख बचाकर निकलना चाहता है!
नोट:- डॉ भीमराव आंबेडकर ने आरक्षण पर संविधान सभा में जो कहा, वह ठीक से पढ़िए। कुछ लोग हर बार आ जाते हैं कि आंबेडकर ने केवल चुनाव में 10 साल आरक्षण की बात कही थी, शिक्षण संस्थानों व नौकरियों के लिए नहीं।
ऐसे ही झूठ बोल-बोल कर न जाने कितने झूठ गढ़ दिए गये हैं। स्वयं आंबेडकर ने कहा कि वह संविधान निर्माता नहीं हैं, लेकिन झूठ बोलकर जबरदस्ती उन्हें संविधान निर्माता घोषित कर पूजन चल रहा है। तीर्थ क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं! आज वो होते तो इन नकली आंबेडकरवादियों को देख कर बेहद दुखी होते!
डा भीमराव आंबेडकर ने खुद संविधान बनाते वक्त उसमें आरक्षण की स्थाई व्यवस्था नहीं की थी। उन्होंने कहा था “10 साल में यह समीक्षा हो कि जिन्हें आरक्षण दिया गया, क्या उनकी स्थिति में कोई सुधार हुआ या नहीं’? (यह संपूर्ण सिस्टम के लिए कहा गया था, न कि केवल चुनाव के लिए। गाल बजाने वाले इस लाइन को पुनः-पुन: पढ़ें!)
उन्होंने यह भी कहा था कि “यदि आरक्षण से किसी वर्ग का विकास हो जाता है तो उसके आगे की पीढ़ी को आरक्षण का लाभ नहीं देना चाहिए।”( यह भी ठीक से पढ़ें)
इसके पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा था, “आरक्षण का मतलब बैसाखी नहीं है, जिसके सहारे पूरी जिंदगी काट दी जाए। यह विकसित होने का एक मात्र अधिकार है।”
आज एक भी पार्टी या नेता क्या डॉ आंबेडकर के इस कहे को मान रहा है? कोई एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी को आरक्षण छोड़ने को कह रहा है?
IIT, IIM में आरक्षण से प्रवेश तो मिल जाता है, परंतु बीच में कोर्स छोड़ने अर्थात ड्रॉप आउट रेट पर कोई चर्चा कर रहा है?
आंख मिलाकर समस्या का समाधान ढूंढा जाता है न कि झूठ बोल कर और लोगों को भ्रमित कर!