मूसेवाला की हत्या में आरोप प्रत्यारोप से हट कर अपने गिरेबान में झांके केंद्र सरकार, क्या ये केंद्र की जिम्मेदारी नहीं है कि ये जो विदेशों से एक नया अंडरवर्ल्ड खड़ा किया जा रहा है जो भारत में हत्याओं और गैर कानूनी हरकतों को अंजाम दे रहा है उस पर कार्यवाही करे, क्या भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए कोई ठोस कदम उठाई है? पन्नू अमेरिका से खालिस्तानी आंदोलन चला रहा तो कोई कनाडा से नया अंडरवर्ल्ड चला रहा है तो कोई ब्रिटेन से कुछ चला रहा और भारत सरकार कुछ नहीं कर पा रही उनका।
उनके प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार ने अमेरिका या कनाडा से कोई डील की? भारत सरकार बस रूस से दोस्ती निभाते रहेगी। अभी यूक्रेन मामले में मौका था अपने हित साधने का तो अमेरिका से मांग लेते पन्नू और ऐसे वो सारे गैंगस्टर जो विदेशों में बैठ कर भारत में अशांति फैलाते है। उन सबको यहां लाते और इलाज करते। अभी मौका है जब अमेरिका सब करने को तैयार है बस भारत उसके साथ कोई एक डील कर ले लेकिन जयशंकर जी को तो यूरोप को कोसने के अलावा आंतरिक सुरक्षा पर सोचने की फुरसत ही कहां है।
दोहरे मापदंड केंद्र सरकार खुद लेकर चल रही है जहां कोई देश दूसरे देश पर कब्जा करता है तो पीछे के दरवाजे से समर्थन और फिर चीन की विस्तारवादी नीति पर संगठन बना कर मीडिया में वाह वाही लूट रहे है। एक बार को थोड़ा गौर करके देखो सिवाय स्टंट वाली बयानबाजी और मीडिया कवरेज के विदेश मंत्री ने कोई खास काम किया? ये जो इवैक्युएश हुआ है नागरिको का ये सुष्मास्वराज जी ने नीव रखी थी जोकि उलूल जुलुल बयान दे कर मीडिया में टीआरपी नहीं बल्कि देश के लिए काम करती थी।
क्या ये जो सरे आम हत्याएं हो रही ये एक नए तरीके का आतंकवाद नहीं है? क्या ये मल्टीस्टेट नेटवर्क महज एक कानून व्यवस्था का मामला है? क्या ये देश की आंतरिक सुरक्षा का मामला नहीं है? क्या इस पर गृहमंत्रालय और विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी नहीं बनती? इसकी जांच और कार्यवाही एनआईए जब तक नहीं करेगी ये ऐसे ही चलता रहेगा और अनेकोनेक लोग इनकी बली चढ़ते रहेंगे और केंद्र को बस आरोप लगाने के अलावा आता ही क्या है, बंगाल में क्या कर दिया केंद्र ने अपने अनगिनत कार्यकर्ताओं की हत्याओं के मामले में, ममता मनमर्जी चला रही है बीएसएफ को रोक रही है क्या कर दिया केंद्र ने?