विगत 10 नवंबर को माननीय राष्ट्रपति महोदय ने केंद्र सरकार को अध्यादेश जारी कर ओटीटी पर नियंत्रण रखने की शक्तियां सौंप दी थी। केंद्र के तरकश में ये नए चमचमाते तीर एक माह से सुशोभित हो रहे हैं, किन्तु चलाए नहीं जा रहे। अध्यादेश जारी होने के बाद भी ओटीटी कंटेंट को लेकर आए दिन नए विवाद सामने आ रहे हैं।
इसका अर्थ है कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय अब तक निष्क्रिय ही रहा है। नए मामले में ओटीटी पर आने वाली एक फिल्म में सनातन के तीन प्रतीकों को हाथ में बंदूक थामे दिखाया गया है। ये तीन पौराणिक चरित्र शिव, हनुमान और कृष्ण हैं। पोस्टर जारी होते ही कुछ जागरूक लोगों ने इस पोस्टर पर आपत्ति ली तो फिल्म निर्देशक ने पोस्टर ट्वीटर अकाउंट से डिलीट कर दिया और क्षमा मांग ली।
आपको ये जानकर क्षोभ होगा कि तेलगु भाषा में बनने वाली ‘मिशन इम्पॉसिबल’ के एक दृश्य की भी शूटिंग अब तक नहीं की गई है। क्या निर्देशक पोस्टर जारी कर एक टेस्ट करना चाहता था कि उस पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होती है। वैसे एक विवादित पोस्टर जारी कर फिल्म निर्देशक स्वरूप आरएसजे ने मुफ्त में करोड़ों का प्रचार पा लिया है।
तेलगु बेल्ट में इस विवादित पोस्टर की बहुत चर्चा हो रही है। किसी भी फिल्म का पोस्टर उसकी कहानी का पता बताता है। फिल्म निर्देशक के लिखे स्क्रीनप्ले में कहीं न कहीं ये दृश्य अवश्य लिखा गया होगा। इस दृश्य से फिल्म के मुख्य कथानक का भी सीधा संबंध होगा। इसे निर्देशक ‘स्वप्न दृश्य’ कहकर बाद में जस्टिफाई भी कर सकता है।
कहने का अर्थ ये है कि रचनात्मक कार्य करने वाले जानते हैं कि सांकेतिक रुप से अपनी बात किस तरह कही जा सकती है। सनातनी चरित्रों को हास्यापद दिखाने का साहस फिल्म उद्योग में इसलिए आ गया है, क्योंकि सरकारों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उन्हें दुःसाहस करने की छूट दे दी है।
अभिव्यक्ति की ये स्वतंत्रता भी सुलभता से उपयोग की जाती है। फिल्म उद्योग ऐसा दुःसाहस किसी और धर्म के लिए नहीं करता। आज से तीन वर्ष पूर्व से न्यायालयों में ओटीटी के इस भौंडेपन के विरुद्ध शिकायतें आने लगी थी। नब्बे प्रतिशत मामलों में न्यायधीश ने कहा ‘केंद्र सरकार इसके लिए उचित कानून बनाए।’
हालांकि कानून बनते-बनते सन 2020 का अंत आ गया। कानून बनने के बाद क्या परिवर्तन हो गया? मीरा नायर की फिल्म ‘ए सूटेबल बॉय’ की महेश्वर शूटिंग के दौरान एक अश्लील दृश्य मंदिर प्रांगण में फिल्मा लिया गया। इस पर विवाद होने के बाद मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने जोश में आकर नेटफ्लिक्स के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाई।
उस एफआईआर से नेटफ्लिक्स के मच्छर को भी कोई फर्क नहीं पड़ा। इस मामले में राजनेता अपडेट भी नहीं रहते। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री को इस बाबत जानकारी ही नहीं थी कि मीरा नायर और नेटफ्लिक्स को हलाल करने वाली चमकीली तलवार राष्ट्रपति जावड़ेकर जी को भेंट कर चुके हैं। मनोरंजन को लेकर इस देश की सरकार का लचरपन आप मीरा नायर के प्रकरण में देख सकते हैं।
फिर क्या हम अनिल कपूर और अनुराग कश्यप की ‘एके वर्सेज एके’ के विवाद को भूल जाए? इसी माह प्रदर्शित होने जा रही इस फिल्म में भारतीय वायु सेना की वर्दी का अपमान किया गया है। वायु सेना ने इस संबंध में आपत्ति दर्ज की है लेकिन सरकार को पता ही नहीं कि किसी फिल्म में वायु सेना का अपमान कर दिया गया है।
पहले शिवालय में अश्लील दृश्य, फिर वायुसेना का अपमान और अब हमारे भगवानों के हाथ में बंदूके? देश के सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को किसान आंदोलन में बयानबाज़ी से फुरसत मिल जाए तो शायद वे देख सके कि फिल्म उद्योग के हाथ अब भगवान की छवि तक पहुँच गए हैं।
नींद से जागिये जावड़ेकर जी। त्यागपत्र दीजिये और किसी सक्रिय व्यक्ति को इस पद पर आने दीजिये। आपकी बेशर्मी और निकम्मापन देखकर राष्ट्र अचरज में है।
Hindu dharam ka es kadar apman samjh nahi aata kaise kaise nikamme log sarkar main baithe hain OTT format par es kadar gandagi failee huyi hai lekin sambandhit vibhag andhe huye baithe hain.