सुभाष चन्द्र। सद्गुरु जग्गी – हिन्दुओं को
सद्भावना का पाठ पढ़ा कर
विधर्मियों का साथ क्यों देते
हो –इतिहास में उन्होंने क्या
किया और आज भी क्या कर
रहे हैं, ये तो ध्यान कर लेते –
-गतांक से आगे –
सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी ने जो
सद्भावना के उपदेश हिन्दुओं को
दिए,वो थोड़े से मुस्लिम समुदाय
को भी दे देते कि जो विदेशी
आक्रांता थे, उनसे आपका कोई
नाता नहीं है —
उन्होंने जो पाप किये मंदिरों को
तोड़ कर, उसमे भागीदार क्यों
बनते हैं –
सद्गुरु जी, पाषाण युग में जो
उन्होंने किया सनातन संस्कृति के
विनाश के लिए, उसे तो याद रखना
जरूरी है, उनकी आज चल रही
हरकतों को देख कर —
वो कह रहे हैं कि जिन्हें हमारा
शरिया पसंद नहीं, वो भारत छोड़
कर चले जाएं, ये मुल्क हमारा है –
आप बताएं , क्या शरिया कुबूल
करेंगे?
उनके 10 साल बच्चे ने PFI की
रैली में नारा लगाया कि घर में
चावल और बाकी सामग्री तैयार
रखो, मौत देवता तुम्हें मारने को
आएंगे, तुम हमारे साथ शांति से
नहीं रहोगे, तो हमें पता है, हमें
तुम्हारे साथ क्या करना है —
उन्होंने श्रीराम मंदिर का भूमि
पूजन होते ही ऐलान किया कि
अयोध्या के नए मंदिर को भी
तोड़ दिया जायेगा और बाबरी
मस्जिद बनाई जाएगी —
वो 350 वर्ष से भगवान् शंकर के
ज्ञानवापी मंदिर के शिवलिंग पर
वजू करते रहे, उस पर थूकते रहे
कुल्ला करते रहे मगर किसी को
आज भी अफ़सोस नहीं है और
आप एक शब्द उनके विरोध में
बोलने को तैयार नहीं हैं –
वो हिन्दुओं को जलील करने के
लिए खाने में थूक डाल कर देते
हैं और उनकी किताबों में जो
लिखा कोई बोल दे तो सिर कलम
करने के फतवे देते हैं –ऐसा ही
फतवा आज नूपुर शर्मा के लिए
दिया हुआ है –आप कुछ कहेंगे
उनके मौलानाओं को ऐसा ना
करने के लिए –
वो तो आज ब्रिटेन के राजमहल
“बकिंघम पैलेस” को भी मस्जिद
बना देना चाहते हैं –ऑस्ट्रेलिया
की 140 वर्ष पुरानी विक्टोरिया
चर्च का विध्वंस कर दिया 2020
जनवरी में मुसलमानों ने और
फ़िलीपीन्स की प्रचलित चर्च को
2017 में धराशाई कर दिया था –
हजारों वर्ष की तपस्या कर और
बदले की चिंगारी जलाए रख कर
यहूदियों ने 14 मई 1948 को
अपने लिए अलग मुल्क इजराइल
बनाया मगर सभी मुस्लिम देश
उसे मिटाने के लिए जोर लगाते
रहे लेकिन इजराइल ने हर बार
उन्हें धूल चटाई –
सद्गुरु जी, ये भी याद रहे कि
जिस दिन उन्हें पहला ही मौका
मिलेगा, वो “आदियोगी शंकर”
जी को (आपके ईशा फाउंडेशन)
तोड़ने में विलम्ब नहीं करेंगे चाहे
आप कितना ही अली मौला पर
नृत्य करते रहें —
हिन्दू समाज के लिए अग्रणी बने
गुरु अगर स्वयं ही भटक जायेंगे
तो समाज का मार्ग दर्शन कैसे
होगा -क्या भजन कीर्तन से काम
चलेगा ?