जिन्न को चिराग में बंद करने की पुरज़ोर कोशिश हुई लेकिन वह बंद नहीं हुआ। जिन्न मुंबई पश्चिम की आरे कॉलोनी के कटे पेड़ों से लेकर दादर की कसरावाड़ी की व्यस्त गलियों तक भयावह ढंग से अट्टाहस कर रहा है। ये जिन्न एक निर्दोष लड़की की संदिग्ध मौत के बाद ही चिराग से निकल आया था, जिसके बारे में कहा गया कि वह ज़िंदगी से परेशान होकर मालवणी की चौदहवीं मंज़िल से कूद कर मर गई। इस दिशा सान्याल की खामोश मौत के बाद सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत का आपसी संबंध किसी को मालूम नहीं होता, यदि बिहार पुलिस ने सीन में एंट्री न ली होती। बॉलीवुड के अदृश्य अपराधियों द्वारा रचित ये दुःखद कथा अब उनके नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। इस ‘सेट स्क्रिप्ट’ में पटना पुलिस की मुस्तैद टीम ने खलल डाल दिया है।
जो सुशांत सिंह राजपूत के पिता बिहार के पटना में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर न करवाते, तो हम मुंबई फिल्म उद्योग और महाराष्ट्र सरकार का वर्तमान स्वरूप देख ही नहीं पाते। कंगना रनौत, शेखर सुमन, शेखर कपूर और कुछ लोगों को छोड़ बाकी सितारें मौन साधे हुए हैं। अजय देवगन, अक्षय कुमार, अनुपम खेर से इस प्रकरण में मुखर होने की अपेक्षा थी लेकिन इन लोगों ने निराश ही किया है।
एक सेट स्क्रिप्ट इन सबकी निष्क्रियता से सही रास्ते पर जा रही थी। सुशांत को अवसादग्रस्त घोषित कर ही दिया गया था और अवसादग्रस्त व्यक्ति पंखे से लटक जाए तो उसे ये सूट करता है। सुशांत के पिता के साहस के कारण ही ये केस पुनः खोला गया और जैसे-जैसे तथ्य सामने आ रहे हैं, परतें हटती जा रही है।
लॉक तोड़ने वाला दस मिनट में कैसे पहुँच गया जबकि शहर में लॉकडाउन लगा हुआ था। डुप्लीकेट चाबी अब तक नहीं मिली। दस मिनट में सुपर स्पीड से सुशांत के घर पहुँचने वाला व्यक्ति अब गायब क्यों हो गया। सुशांत का शरीर फंदे से उतारते समय ठंडा क्यों था, जबकि उनकी मौत कुछ देर पहले ही हुई थी।
छत की ऊंचाई सुशांत की हाइट के मुकाबले कम थी तो उन्होंने फांसी कैसे लगाई होगी, ये सर्वथा असंभव है। क्राइम सीन से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। सुशांत के दोस्त ने उनका शव फंदे से उतार लिया। क्राइम सीन से छेड़छाड़ अपराध की श्रेणी में आता है तो मुंबई पुलिस ने उस दोस्त से कड़ी पूछताछ क्यों नहीं की।
क्या महाराष्ट्र राज्य भारत देश के बाहर स्थित है ? महाराष्ट्र सरकार, प्रशासन और पुलिस का रवैया देखकर ऐसा ही लगता है जैसे पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी किसी और देश से उनके यहाँ जांच करने आ गए हैं। खबर है कि विनय तिवारी ने कोरोना की गाइड लाइन पूरी तरह फॉलो की, इसके बावजूद उन्हें क्वारंटीन किया गया।
उनके हाथ पर ठप्पा लगाकर अपमानित किया गया। बिहार डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने बहुत तीखा बयान देकर दो राज्यों की लड़ाई का श्रीगणेश कर दिया है। एसपी को क्वारंटीन करना, पटना पुलिस टीम को कैदियों की वैन में बंद करना। दिशा सान्याल की फ़ाइल देने से इंकार करना बता रहा है कि बॉलीवुड व महाराष्ट्र सरकार में कोई ‘बहुत मुश्किल’ में है।
सीबीआई चाहे भी तो स्वयं संज्ञान नहीं ले सकती। उसे केवल केंद्रशासित प्रदेशों में ही ऐसा करने का अधिकार है। मुंबई पुलिस पहले ही सीबीआई जाँच से इंकार कर चुकी है। सुशांत का ये केस अब दो राज्यों की लड़ाई के अखाड़े का रूप ले चुका है। बिहार के मुख्यमंत्री अपने एसपी के साथ हुए अपमानजनक व्यवहार पर पहले ही रोष व्यक्त कर चुके हैं। इतना तय है कि अब ये मामला ठन्डे बस्ते में डाला नहीं जा सकेगा।
जैसे-जैसे महाराष्ट्र सरकार का असहयोग बढ़ेगा, न्यायालय में नितीश कुमार सरकार का पक्ष मजबूत होता चला जाएगा। इस समय सारा देश मांग कर रहा है कि उस ‘छुपे आदमी’ का खुलासा होना चाहिए। उसका साथ देने वाली मशहूर हस्तियों को भी जेल भेजने का उचित समय आ गया है। जैसा कि मैंने कहा अब ये जिन्न नियंत्रण से बाहर हो चुका है। मीडिया और बिहार सरकार अपना दबाव बढ़ाती जा रही है। उस ‘छुपे व्यक्ति’ का रहस्य उद्धव सरकार ज्यादा समय छुपा सकेगी, अब ऐसा लग नहीं रहा है।