भारत का मीडिया ही नहीं पूरी दुनिया का मीडिया आज बिकाऊ बनती जा रही है। सऊदी अरब इस्लामी सुन्नी-बहावी कट्टरता को बढ़ाने के लिए दुनिया भर की मीडिया में जमकर पेट्रो डॉलर उड़ेल रहा है। विकीलिक्स ने फिलहाल यह खुलासा किया है कि कनाडा और आस्ट्रेलिया की मीडिया में बड़े पैमाने पर सऊदी अरब का पेट्रो डॉलर लग रहा है। सऊदी अरब सरकार से लेकर वहां की बड़ी हथियार निर्माता कंपनियां विभिन्न देशों के मुसलिम संगठन, एनजीओ आदि के जरिए मीडिया को इंफ्लूएंस रही है। इसी का परिणाम है कि भारत जैसे देश में कठुआ कांड जोर-शोर से उठाया जाता है, लेकिन सीवान में चार साल की बच्ची से रेप और उसकी हत्या की खबर दबा दी जाती है, क्योंकि आरोपी मजहबी होता है! इस रिपोर्ट के आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि भारत सहित दुनिया के हर देश की मीडिया में अरब इंफ्लूएंस का खुलासा शीघ्र विकीलिक्स करेगा।
वैसे पाठक चाहें तो खुद खबरों की चीड़-फाड़ कर ऐसे मीडिया हाउस और पत्रकारों को चिह्नित कर सकते हैं, जिनकी रिपोर्ट मजहबी कट्टरता को पोषित करने वाली होती हैं। जाहिर तौर पर अरब भारत सहित दुनिया में बहावी-सुन्नी कट्टरता को बढ़ाने के लिए ही काम कर रहा है।
मुख्य बिंदु
* अपने प्रति निष्ठा रखने वाले ऑस्ट्रेलियाई और कनाडाई मीडिया को खरीद रहा सऊदी अरब
* विकीलीक्स ने किया खुलासा, कनाडा स्थित मुसलमानों के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठन को दिया है 150 हजार डॉलर
ज्ञात हो कि विकीलिक्स ने पिछले सप्ताह केबल जारी कर इसका खुलासा किया है कि सऊदी अरब ऑस्ट्रेलिया से लेकर कनाडा जैसे देशों के मीडिया विशेषकर अखबारों में बेशुमार पैसे झोंक रहा है। उसका कहना है कि सऊदी अरब की सरकार ने कनाडा के अखबारों में काफी पैसे निवेश किए हैं। कनाडा के सबसे बड़े मुसलिम गैर सरकारी संगठन को करीब 150 हजार डॉलर दिया है। विकीलिक्स ने इस संदर्भ में दस्तावेज भी प्रकाशित किया है जिसमें विदेश एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा कनाडा के प्रतिष्ठानों को फंड जारी करने को लेकर की गई चर्चा समाहित है।
दुनिया की अधिकांश सरकारें अपनी आलोचना कम करने के लिए लोक संपर्क अभियान चलाती है तथा प्रभावशाली संस्था तथा संगठनों से संबंध बढ़ाती है। विकीलिक्स ने ऐसा ही खुलासा अपने राजनयिक केबल के माध्यम से सऊदी अरब के बारे में किया है। विकीलिक्स के खुलासे के मुताबिक सऊदी अरब करीब एक दशक से अपनी छवि को नियंत्रित करने के लिए आस्ट्रेलिया और कनाडी स्थित बड़े मीडिया हाउस में पैसे लगा रहा है। विकीलिक्स के जारी एक दस्तावेज के मुताबिक कनाडा के अखबारों में संस्कृति एवं सूचना मंत्रालय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सऊदी अरब सरकार करीब आठ हजार अमेरिकी डॉलर खर्च करेगी। हालांकि रियाद में सरकार ने इस दावे को गलत करार दिया था। सऊदी अरब जिन अखबारों में अपनी भागीदारी चाहता था उसमें द्विमासिक इजिप्टियन-कैनेडियन पत्रिका एल-रेसाला, तथा अल मुहाजिर अखबार था। हालांकि विकीलिक्स के लीक दस्तावेज से यह तो खुलासा नहीं हो पाया है कि इसका असली समय क्या है, लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह खेल 2004 से चल रहा है।
#SaudiCables show how money flowed to newspapers in Canada https://t.co/Mm2yosaSLz
— WikiLeaks (@wikileaks) August 22, 2018
जिस प्रकार कनाडा या ऑस्ट्रेलिया के अखबारों में सऊदी अरब के पैसे लगे होने का खुलासा हुआ है, उसी प्रकार एक आध सप्ताह में भारत के नामचीन अखबारों में भी विदेशी पैसे लगे होने का खुलासा हो तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। कहा जा रहा है कि भारत में कई ऐसे मीडिया हाउस या अखबार हैं जो हवाला के जरिए आए विदेशी फंड से चल रहे हैं और भारत के खिलाफ विदेशी सरकारों के गुणगान करते हैं। हो सकता है कि भारत के ऐसे अखबारों और मीडिया हाउस का खुलासा हो।
मीडिया में बड़े पैमाने पर पंप हो रहा है सऊदी अरब का ‘पेट्रो डॉलर’ देखिये विडियो में:
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