सबसे ज्यादा पाखंडी था, मोहनदास करमचंद गांधी ;
पाखंडी जितने नेता हैं, पूज रहे हैं अभी भी गांधी ।
कायर, कुटिल, कपूत हैं सारे, जितने भी गांधीवादी हैं ;
बहुत बड़े डरपोक हैं सारे, कहने को हिंदूवादी हैं ।
अपने दुर्गुण छुपा रहे हैं, गांधी को आगे करके ;
जनता को ये मूर्ख बनाते, अपनी लफ्फाजी करके ।
पता नहीं कितना है लालच? राष्ट्र को कितना तोड़ेंगे?
आरक्षण की साजिश को बढ़ाकर, हिंदू एकता तोड़ेंगे ।
पहले हिंदू महामूर्ख था, इनको समझ नहीं पाया ;
धन्यवाद है सोशल मीडिया, सब को धरती पर लाया ।
जानकार हों सारे हिंदू, जागरूक भी हो जायें ;
चाहें तो गफलत में पड़कर, समय से पहले मर जायें ।
हजार साल में कई करोड़ों, अज्ञान की भेंट चढ़ चुके हैं ;
अब तो सब अज्ञान को छोड़ो, अब तो सारे जाग चुके हैं ।
ज्ञानका सूरज निकल रहा है, आंखें खोलो सत्य को देखो;
हिंदू नेता पतित हो चुके, उनको छोड़ो नये को देखो।
अबकी ऐसा नेता चुनना, परम पराक्रमी देशभक्त हो ;
जरा भी कायरता न उसमें, सावरकर सा राष्ट्र भक्त हो ।
दुश्मन से धोखा न खाये, घर के दुश्मन भी पहचाने ;
सबको एक नजर से देखे, तुष्टीकरण कभी न माने।
भ्रष्टाचारी बिल्कुल न हो, कानून का शासन वापस लाये ;
भ्रष्टाचार का दंड मृत्यु हो, ऐसा वो कानून बनाये ।
चोर लुटेरे जितने नेता, सारे मृत्युदंड को पायें ;
देश लूटने वाले अफसर, सारे सही राह पर आयें ।
सारे धिम्मी, गुंडे, अपराधी, कुछ भी छल न कर पायें ;
सदियों से जो हमें छल रहे, अपनी करनी का फल पायें ।
यह सब कुछ हो करके रहेगा , बस हिंदू विश्वास करें ;
हर हालत में एक संगठन, राष्ट्र का अब कल्याण करें ।
गर्व से बोलो हम हिंदू हैं, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे ;
गुंडों ने छीना जो हमसे, सब कुछ वापस लायेंगे ।
“वंदे मातरम- जय हिंद”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”