पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में चुनावी गरमाहट शांत हो गई है। कांग्रेस ने 1990 से चलने वाली हर 5 साल में सरकार बदलने की परंपरा को बरकरार रखते हुए भाजपा से सत्ता छीन ली है। हिमाचल प्रदेश के इस बार के चुनाव बहुत रोचक हुए हैं और भाजपा और कांग्रेस में केवल 0.9 प्रतिशत वोट शेयर का अंतर् रहा है। भाजपा की इस अप्रत्याशित हार के लिए भाजपा के गलत टिकिट आबंटन और कुप्रबंधन को कारण माना जा रहा है। वहीं ऐसा ही कहा जा रहा है कि कांग्रेस के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की घोषणा वरदान बनी है।
कांग्रेस की इस ऐतिहासिक जीत का श्रेय हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के तीन दिग्गज नेताओं को दिया का सकता है, जिनके नाम हैं सुखविंदर सिंह सुक्खु, रानी प्रतिभा सिंह और मुकेश अग्निहोत्री। चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री की दौड़ में भी ये तीनों नाम ही उछल रहे थे और तीनों के ही गुट माहौल बनाये हुए थे। रानी प्रतिभा सिंह हिमाचल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी हैं और लोक सभा सांसद भी हैं। इनके सुपुत्र विक्रमादित्य सिंह भी शिमला ग्रामीण से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू हमीरपुर जिला से हैं और मुकेश अग्निहोत्री ऊना जिला से हैं।
चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री बनने के लिए तीनों ही नेताओं ने अपना-अपना जोर लगाया। रानी प्रतिभा सिंह ने वीरभद्र सिंह की लेगेसी का हवाला देते हुए कुछ ज्यादा ही बैटिंग की। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने प्रतिभा सिंह को दरकिनार करते हुए सुखविन्दर सिंह सुक्खू और मुख्यमंत्री बनाया और मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री बनाकर उनके गुट को संभालने का प्रयास किया।
अब प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस आलाकमान ने रानी गुट को झटका देकर क्या वीरभद्र सिंह की विरासत को पूर्ण विराम लगा दिया है? क्योंकि उपमुख्यमंत्री पद तक रानी को या उनके पुत्र को नही मिला। दूसरे वीरभद्र सिंह की विरासत को सम्भालकर रखने का भार अब रानी प्रतिभा और बेटे विक्रमादित्य पर भी है। दोनों (माँ-बेटे) को राजनितिक तौर पर जो कुछ भी मिला है वह राजा वीरभद्र सिंह के कारण मिला है, जबकि दूसरी ओर सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री अपने बल पर संगठन में काम करके आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। वीरभद्र सिंह सबसे ज्यादा समय तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन आज उनके परिवार (जिसमें एक सांसद और 2 बार का विधायक है) को दरकिनार कर दिया गया है। इससे उनके समर्थकों में निराशा है।
एक प्रश्न और उठता है कि क्या कांग्रेस ने सुखविंदर सिंह सुक्खु को मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री को उप मुख्यमंत्री बनाकर अनुराग ठाकुर के किले को पूर्णतया ध्वस्त करने का खेल खेला है? क्योंकि दोनों ही नेता अनुराग ठाकुर के लोकसभा कोंस्टीटूएंसी से आते हैं। सुक्खू अनुराग ठाकुर के गृह जिला हमीरपुर से हैं और मुकेश अग्निहोत्री बगल के ऊना से हैं। इन दोनों जिला के साथ लगता है कांगड़ा जिला जिसमें सर्वाधिक 15 विधानसभा सीटे हैं। कांगड़ा को लेकर विडंबना यह है कि शांता कुमार के बाद वहां से दोनों ही पार्टियों में कोई भी बड़ा नेता नहीं उभरा है, जिसका राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव हो। अनुराग ठाकुर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश का चेहरा हैं। जहाँ जेपी नड्डा सीधे चुनावी राजनीती से दूर हैं और राज्य सभा सांसद है वहीं अनुराग ठाकुर चुनाव लड़ते हैं। क्योंकि अब कांग्रेस ने अपना मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री अनुराग ठाकुर की लोकसभा कोंस्टीटूएंसी से बना दिया है तो आगामी लोकसभा चुनाव में अनुराग ठाकुर को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है। इसे कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक कहा जा सकता है। क्योंकि कांग्रेस के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री अब हिमाचल की कुल 68 सीटों में से (बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना और कांगड़ा और चम्बा जिला) की 34 विधानसभा सीटों को सीधे तौर पर प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
ऐसी ही हाइपोथीसिस को भाजपा के जयराम ठाकुर मंडी जिला में प्रमाणित कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन चुनावों में मंडी जिला की 10 सीटों में से 09 सीट जीती हैं। जबकि कुछ समय पहले हुए लोकसभा उपचुनाव में इसी मंडी सीट से रानी प्रतिभा सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार को हराया था। इस चुनाव में रोचक बात यह थी कि यही सीट 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार ने 4 लाख से ज्यादा मतों से जीती थी। बाद में उपचुनाव हुआ और ये 4 लाख वोट स्विंग कर गया और कांग्रेस की प्रतिभा सिंह जीत गयीं। अब इसी मंडी जिला (जयराम ठाकुर का गृह जिला) से जयराम ठाकुर 10 में से 9 सीट जीतकर आ गए। मंडी जिला भी पहाड़ी जिला माना जाता है जहाँ के नेता कुल्लू और लाहौल स्पीति को प्रभावित करते हैं। राजा वीरभद्र सिंह की विरासत हिमाचल के पहाड़ी जिले ही थे, जिनमें शिमला, सिरमौर, कुल्लू, मंडी आदि हैं। भाजपा से सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले प्रेम कुमार धूमल हमीरपुर से थे यानी लोअर हिमाचल से थे। कांग्रेस ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को उप मुख्यमंत्री बनाकर अप्पर हिमाचल यानि राजा वीरभद्र सिंह की विरासत को नकार दिया है।
अब देखना ये है कि रानी प्रतिभा को कांग्रेस क्या देती है? उनके पुत्र विक्रमादित्य को मंत्री बनाया जाता है या नहीं? यदि बनाया जाता है तो कितना बड़ा मंत्रालय मिलता है? लेकिन इसमें एक पंच है, विक्रमादित्य से वरिष्ठ कई नेता हैं तो क्या कांग्रेस उनको दरकिनार करेगी या वरीयता देगी? कांग्रेस का अंतरकलह अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है क्योंकि उपमुख्यमंत्री पद न मिलने से कांग्रेस से सोलन जिला के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद धनीराम सांडिल्य नाराज बताये जा रहे हैं। क्या कांग्रेस उनको भी उप-मुख्यमंत्री बनाएगी? क्योंकि सोलन जिला में कांग्रेस का परफॉरमेंस बहुत अच्छा रहा है। अगर सांडिल्य को बड़ा पद मिलता है तो रानी खेमे को शायद ही बड़ा पद मिले। ऐसा कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है। और अगर सांडिल्य को भी बड़ा पद न मिला और रानी खेमे को भी नहीं तो फिर इसके भविष्य में क्या परिणाम होंगे वो देखने वाले होंगे।
कांग्रेस भले ही सरकार बना चुकी है लेकिन अभी उठापटक होना बाकी है ऐसी संकेत मीडिया के माध्यम से मिल रहे हैं। इससे सुखविंदर सुक्खू के पास बड़ी जिम्मेदारी और एक बड़ा मौका आ गया है। बड़ी जिम्मेदारी है कांग्रेस की गुटबाजी के कारण सबको साथ लेकर चलने की। वहीं बड़ा मौका है यदि वे सबको साथ लेकर चलने में सफल हो गए तो वे हिमाचल कांग्रेस के अगले वीरभद्र सिंह बन सकते हैं। क्या भविष्य में सुक्खू-अग्निहोत्री की जोड़ी अनुराग ठाकुर और जेपी नड्डा को संकट में डालेंगे अथवा नहीं? या रानी प्रतिभा और उनका गुट कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगा? क्या कांग्रेस बागियों को मनाने में सफल होगी? ओल्ड पेंशन स्कीम सरलता से लागू होगी या फिर उठापटक होगी? ऐसे बहुत से प्रश्न है जिनका उत्तर भविष्य के गर्भ में छिपा है।