हम भारत के लोग एक अजीब किस्म के राष्ट्र के नागरिक हैं यहाँ पर भारत की स्वतंत्रता के लिए एक ईंट भी न उठाने वाले नेल्सन मंडेला को भारत रत्न मिल जाता है लेकिन भारत माता की स्वतंत्रता के लिए भीषण कष्ट उठाने वाले वीर सावरकर को, “हिन्दू राजा के आठ वर्षीय शासनकाल” में भी भारत रत्न नहीं मिल पाता
हम इतने अजीब राष्ट्र हैं कि सरेआम खुल्लमखुल्ला धर्मांतरण कराने वाली मदर टेरेसा की मृत्यु पर राजकीय शोक मनाते हुए, तिरंगा झुकाते हुए, उसकी अंत्येष्टि में मंत्रियों की उपस्थिति के साथ लाईव प्रसारण देखते हैं
लेकिन सनातन धर्म के सबसे बड़े पद शंकराचार्य के स्वर्गारोहण पर “800 वर्ष बाद मिले हिन्दू राजा” (ऐसा क्लेम मैं नहीं कर रहा हूँ, बल्कि “विशेष प्रजाति” के लोग करते हैं), की तरफ से न कोई राजकीय शोक, न ही अंत्येष्टि के समय किसी मंत्री की उपस्थिति