गुंडों ने हाईजैक कर लिया , वो नेता नाकाम है ;
फौरन इसको पद मुक्त करो , इसका अब क्या काम है ?
जब तक रहेगा अपने पद पर , हानि राष्ट्र की करता रहेगा ;
बहुत लुट चुका राष्ट्र हमारा,आखिर कब तक लुटता रहेगा ?
योग्य पुरुष की कमी नहीं है , तब भी क्या मजबूरी है ?
कायर और कुटिल नेता को , ढोने की क्या लाचारी है ?
क्या हाईजैक हो गई पार्टी ? ये तो लगता असंभव है ;
या फिर सारे महामूर्ख हैं , ये भी तो नहीं संभव है ।
या सबका डीएनए बदला , कोई नहीं सपूत है ;
सारे के सारे कायर हैं , जिम्मी और कपूत हैं ।
ऐसा कैसे हो सकता है ? कितना ये दुर्भाग्य है ?
सबसे बड़ी पहेली ये है , क्या गुंडों का सौभाग्य है ?
हजार – बरस में कर न पाये , क्या गुंडे अब कर पायेंगे ?
मुगल -काल में कर न पाये , क्या गजवा अब कर पायेंगे ?
निष्क्रियता जितनी शासन की , उससे ये शक होता है ;
गलत लोग सत्ता में आये , जिनका नेता रोता है ।
अच्छा है ये बात झूठ हो , सक्रियता शासन में आये ;
कायर नेता के स्थान पर , परम- साहसी नेता आये ।
ऐसा एक नजर में मेरी , यूपी का भगवाधारी है ;
देर – सबेर वही आयेगा , अबकी उसी की बारी है ।
पुण्यभूमि है मेरा भारत , सौभाग्य उदय होके ही रहेगा ;
गुंडों के पाप का घड़ा भर गया,अब तो वो फटके ही रहेगा।
गांधी-नेहरू की जो साजिश थी, उसकी पोल खुल रही है ;
वरदान बना है सोशल मीडिया,सच्चाई सब दिख ही रही है।
बचे- खुचे जो गांधीवादी , कायर , कुटिल, कपूत हैं ;
जल्दी ही ये मिट जायेंगे , आयेंगे वो जो सपूत हैं ।
राजनीति की गंदी – धारा , जल्दी ही ये सूखेगी ;
राष्ट्रनीति की निर्मल – धारा , बहुत शीघ्र ही आयेगी ।
चमकेगा सौभाग्य राष्ट्र का , धर्म – सनातन छायेगा ;
वामी ,कामी ,जिम्मी ,जेहादी , मिट्टी में मिल जायेगा ।
सौभाग्य राष्ट्र का उदय हो रहा , हिंदू क्रमशः जाग रहा है ;
धर्म – सनातन की अंगड़ाई , गुंडा डर कर भाग रहा है ।
स्वर्णिम – युग आने वाला है , स्वागत में सब हिंदू आओ ;
धर्म – सनातन की ताकत से , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”