- भार्या अर्थात् जो भरण-पोषण करे
- पत्नी अर्थात् जो पतन की राह पर जाने से बचाए।
- अर्द्धांगिनी अर्थात् जो एक पुरुष को पूर्ण करे।
भारतीय शास्त्रों में पत्नी का जो गरिमामयी स्थान है, वह उसके एक-एक पर्यायवाची से ध्वनित होता है। दुनिया की किसी सभ्यता में पत्नी के लिए इतने सुंदर और भावपूर्ण शब्द नहीं हैं।
और शब्द केवल, शब्द नहीं होते, वह अपने अंदर संपूर्ण संस्कृति को समेटे रहते हैं।
विष्णु पुराण में जब भी पालनकर्ता भगवान विष्णु संकट में दिखते हैं तो प्रतिउत्पन्नमति माता लक्ष्मी उन्हें अपने उत्तर से निरुत्तर कर देती हैं। और भगवान विष्णु मुग्ध हो जाते हैं।
किसी भी स्त्री के लिए पिता और पति के बीच एक अनकहा खिंचाव हमेशा रहता है। उसके लिए कौन श्रेष्ठ है, इसका उत्तर ढूंढना हमेशा कुएं से पानी खींचने के समान रहा है।
कल मेरी इच्छा भार्या Shweta Deo को छेड़ने की हुई। मैंने कहा, हमारे विवाह को २१ वर्ष पूरे हो चुके हैं। क्या अब बता सकती हो कि पिता और पति में कौन तुम्हें अधिक प्रेम करता है?
कुछ सेकेंड के अंदर उनका जो जवाब आया, वह मुझे चुप कर गया! वैसे भी पत्नी के आगे चुप रहना ही उचित है। 😂
भार्या श्वेता ने कहा, मेरे पिता मुझे बहुत प्रेम करते थे (थे, क्योंकि अब वो नहीं हैं), परंतु मुझसे अधिक भैया को प्रेम करते थे। और आप मुझसे अधिक किसी को प्रेम करके तो दिखाइए?
फटाक मुझे मेरी वास्तविकता का एहसास हो गया! आप सबको भी ऐसे एहसासों से गुजरने का अनुभव तो अवश्य होगा?
उनके इस उत्तर से मैं कुछ बोलने के लायक ही नहीं रहा! इससे मुझे माता लक्ष्मी की स्वत:स्फूर्त उत्तर देने की कला याद आ गयी। शायद माता ने यह शक्ति हर नारी के अंदर भरी है! 😀
नारी तू नारायणी है,
तूने ही यह संसार रचा है! 🤫