दाढ़ी वाले बाबा सुन लो , बस इतनी सी बात ;
लातों के जो भूत हैं होते , नहीं मानते बात ।
चीन हमारा जानी दुश्मन , कोरोना फैलाता ;
उससे बढ़कर देश का दुश्मन , भ्रष्टाचार कहाता ।
इसी वजह से देश बंटा था , पाकिस्तान बनाया ;
गद्दारों ने देश बांटकर , लाखों को कटवाया ।
सत्तर साल में किस्मत जागी , दाढी वाला आया ;
राष्ट्र ने सोचा सत्य बचेगा , सच्चा नेता पाया ।
तुझ पर इतनी जिम्मेदारी , जितने दाढ़ी में बाल ;
तीनों दुश्मन चुन चुन मारो ,खींच लो उनकी खाल।
सबसे पहले पुलिस ठीक हो , खत्म हो भ्रष्टाचार ;
तब ही कोरोना निपटेगा , मिटेंगे अत्याचार ।
इसके बाद चीन निपटाओ , कोविड का निर्माता ;
कोरोना से देश हैं पीड़ित , सारे तेरे भ्राता ।
मिलकर सारे चीन को मारो , करनी का फल दे दो ;
कोविड में मरनेवालों को , ये श्रद्धांजलि दे दो ।
सबसे अंत में पश्चिम देखो , पाकिस्तान मिटाओ ;
पाकिस्तान बंटे टुकड़ों में , काश्मीर तुम पाओ ।
ये तीनों कांटे हैं चुभते , भारत मां के पांव में ;
कांटे से कांटों को निकालो , आओ ठंडी छांव में ।
भारत मां की ठंडी छांव में , सारे सब कुछ पाओ ;
सदा ज्ञान की राह दिखाई , फिर से वही दिखाओ ।
फिर न ये दुनिया भटकेगी , सही लक्ष्य पा जायेगी ;
खून खराबा मिट जायेगा ,विश्व शांति आ जायगी ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचयिता :बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”