उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि दलितों को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की तरह ही अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी तथा जामिया मिलिया इसलामिया में आरक्षण लेना चाहिए। केंद्र के फंड से चलने वाली इन दोनों यूनिवर्सिटियों में दलितों को आरक्षण नहीं मिलने पर सवाल खड़ा किया है। यूपी के कन्नौज जिले के छिब्रामउ क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान योगी ने तथाकथित उन दलित समर्थकों पर निशाना साधा जो कह रहे हैं कि दलितों के साथ भेदभाव होता रहा है। योगी ने कहा कि आखिर वे क्यों नहीं दलितों को इन दोनों यूनिवर्सिटी में आरक्षण दिलाने को लेकर आंदोलन करते हैं? जबकि यह उनका अधिकार है। केंद्र सरकार के फंड से संचालित हर यूनिवर्सिटी और संस्थान में दलितों को आरक्षण मिलना चाहिए।
मुख्य बिंदु
* बीएचयू में दिया जा सकता है आरक्षण तो फिर एएमयू और जामिया मिलिया इसलामिया में क्यों नहीं?
* केंद्र के फंड से चलने वाली हर यूनिवर्सिटी और संस्थाओं को मुहैया कराना होगा आरक्षण
योगी के इस वाजिब प्रश्न पर कांग्रेस और बसपा जैसी क्षद्म दलित प्रेमी राजनीतिक पार्टी के साथ दिलीप , जिग्नेश मवानी, शेखर गुप्ता, राजदीप सरदेसाई जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को सांप सूघ गया है। दरअसल ये लोग उसी मसले पर अपना गला फाड़ेंगे जहां मुसलमानों को कोई नुकसान न हो। राजदीप हो या शेखर गुप्ता या दिलीप मंडल, कांग्रेस पार्टी हो या बसपा सुप्रीम मायावती सभी लोग दलितो का उपयोग करना जानते हैं। लड़ाने का अवसर हो तो फिर दलित हितैषी बन जाएंगे लेकिन जब वास्तविक दलित हित की बात आएगी तो ये लोग पीछे हट जाएंगे। आरक्षण के मसीहा बने लालू प्रसाद यादव के बेटे बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आज क्यों नहीं दलितों के हित की लड़ाई के लिए आगे आ रहे हैं? क्योंकि उन्हें तो मुसलमानों का एकमुश्त वोट दिखता है।
भाजपा ने पिछले साल ही फरवरी में इन दोनों यूनिवर्सिटी में एससी, एसटी और ओबीसी के छात्रों को आरक्षण देने का मसला उठाया था। भाजपा का का कहना है कि केंद्र के फंड से चलने वाली हर यूनिवर्सिटी में दलितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। मुख्यमंत्री आदित्य ने कहा कि केंद्र सरकार या यूपी राज्य सरकार द्वारा दलितों के कल्याण के लिए चलाई गई किसी भी योजना में दलितों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ के एएमयू और जेएमआई में दलितों को आरक्षण दिलाने को लेकर दिए बयान के तुरंत बाद एएमयू के एक प्रोफेसर शेफे किदवई ने योगी के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह यूनिवर्सिटी मजहब के नाम पर किसी को आरक्षण नही देती है। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की दाखिला पॉलिसी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के आधार चल रही है। चूंकि आरक्षण का मामला कोर्ट में हैं। जो कोर्ट का निर्णय होगा वही मान्य होगा।
ये तो मामला सरकारी और अदालती है, सवाल उठता है कि दलित के मुद्दे को लेकर भीमा-कोरेगांव हिंसा को अंजाम देने वाले आज दलित हित के लिए वे कहां हैं? आखिर क्यों नहीं राजदीप सरदेसाई, शेखर गुप्ता, दीपक मंडल जिग्नेश मेवानी जैसे लोग इस मसले को उठा रहे हैं। आज इन लोगों का दलित प्रेम कहां गया?
URL: Yogi Adityanath asked when will the reservation for dalits in AMU and Jamia?
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