डॉ विनीता अवस्थी । पहले के दो भागों में आपने पढ़ा कि कैसे हजारों साल पहले योग विद्या से आचार्य की शिष्या योगिनी ने अपने आपको भस्म कर लिया था। और आज के वर्तमान समय में वह स्थान प्रकृति ने रहस्यमई रूप से ढक लिया था। यह स्थान चंद्रभागा ( चिनाब नदी) के किनारे की पहाड़ी पर था जिस का कुछ भाग पाकिस्तान और नदी के पार का भाग भारत में था।
अब आगे… यह सन 2020 था मेजर अर्जुन को भूखे प्यासे भागते भागते 3 दिन हो गए थे हो जिस पहाड़ी के पास पहुंचे वहां से उन्हें बाई ओर घूमकर नदी के किनारे तक पहुंचना था पर अंदेशा था कि पहले ही वहां दुश्मन के सिपाही पहुंच चुके हैं और ऊपर से दुश्मन के हेलीकॉप्टर उड़ते हुए उन्हें ढूंढ रहे हैं उनके पीछा करते सिपाहियों के साथ खूंखार शिकारी कुत्तों की आवाज धीरे धीरे पास आ रही थी। मेजर अर्जुन ने अपने जेब में संभाले जरूरी दस्तावेजों पर एक नजर डाली। उन्होंने ऊपर बढ़ने का निर्णय ले लिया हालांकि स्थान मैप में नहीं दिखाया गया था यह सोचते हुए कि इसके बारे में दुश्मनों को भी पता नहीं होगा वह पहाड़ी के ऊपर की ओर बढ़ने लगे। नितांत घने जंगल और झाड़ियों के बीच वह किसी तरह अपना घायल पैर उठाते रास्ता बनाते आगे बढ़ते जा रहे थे अंधेरे में कुछ सूझ नहीं रहा था आने वाले अनजान खतरो के बारे में सोचने का समय नहीं था।
एक गहरी सांस भर के उन्होंने ऊपर की ओर बढ़ना शुरू किया कटीली झाड़ियों से उनके हाथ पैरों और चेहरे पर खरोचो के निशान पढ़ चुके थे, पैर घायल था पर किसी तरह आगे तो बढ़ना ही था ।
अंधाधुन आगे बढ़ते हुए लगा कि वह किसी पगडंडी पर आ गए हो और एक अज्ञात शक्ति उन्हें अपनी और खींच रही हो वह तेजी के साथ बढ़ते जा रहे थे पर उन्हें लगा कि दुश्मनों को उनके ऊपर जाने का रास्ता पता लग गया है । पीछे से आवाजें आने लगी थी अपनी पूरी ताकत लगाकर मेजर अर्जुन पहाड़ी की चोटी पर पहुंचकर दूसरी ओर से नीचे उतर कर नदी तक पहुंचना चाहते थे पर पास आती आवाजों से लग रहा था मुठभेड़ जरूरी है दुश्मन अब कुछ भी फर्लांग की दूरी पर रह गया था तभी एक गोली सनसनाती हुई उनके पास से निकली पर उन्होंने ऊपर चढ़ना जारी रखा नीचे पैर की तरफ नजर गई गोली पैर को छूती हुई गई थी और काफी खून बह गया था उन्होंने अपनी शर्ट को उतारकर चोट की जगह पट्टी की तरह बांध दिया।
अचानक बहुत तेजी से हवा चलने लगी ऊंचे ऊंचे पेड़ों की डालिया जमीन को छूने लगी थी वह आगे बढ़ते जा रहे थे और ऐसी जगह पहुंचे जहां जमीन समतल थी यह पहाड़ी की चोटी थी ऊपर नजर डाली तो तारों के अलावा उनका कोई साथी नहीं था। और आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था अचानक पीछे से सर पर एक जोर का वार हुआ वो घूम कर गिर पड़े और लुढ़कते हुए एक चट्टान से जा टकराए बेहोश होती आंखों से देखा भारी भरकम बूट उनकी की तरफ चलते आ रहे हैं इसके साथ ही धीरे-धीरे बेहोशी छाती गई और उनकी आंखें बंद हो गई।
हल्की बेहोशी मे भी उन्हें आसपास कीआवाजे सुनाई दे रही थी ऐसा लगा कि पास मे ही कोई बड़ा धमाका हुआ था। जिस चट्टान से वह जा टकराए थे वह एक प्रकार से उनको सहारा देकर नीचे गिरने से बचा रही थी कुछ ही देर में कुछ बड़े आकार के भयानक पक्षी ना जाने किधर से आए और सैनिकों पर प्रहार करने लगे उन्हें लगा अब उनका भी अंत करीब है ना जाने वह कितनी देर तक बेहोश रहे पर जब आंख खुली तो सूरज की किरने उनके मुंह पर प्रकाश डाल रही थी ।
किसी तरह खुद को घसीटते हुए आगे की तरफ बढ़ कर उन्होंने देखा कुछ कदम की दूरी पर दुश्मनों की लाशें गिरी हुई है जैसे कि कोई विस्फोट हुआ हो लाशों की आंखें निकाली जा चुकी थी उन्हें हैरानी हुई और चारों ओर नजर घुमाकर देखने पर अभी भी रात के तूफान की निशानियां दिखाई दे रही थी टूटी हुई डालिया कुछ गिरे हुए पेड़ पर वह इस तरह गिरे थे कि उनकी आड़ में मेजर अर्जुन को देख पाना दूसरी ओर से असंभव था उनका हाथ फिर उन जरूरी दस्तावेजों पर गया जो उन्होंने भागते -भागते अपनी कमर से बांध लिया था कुछ कदम चलने की कोशिश पर के कदमों ने साथ नहीं दिया और वह पुनः लुढ़क कर एक टूटे हुए पेड़ से जा टकराए ।
कुछ ही देर में ऊपर भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट सुनाई दी क्योंकि पहाड़ी के इस ओर भारत की सीमा शुरू होती थी आधी बेहोशी में भी एहसास हो रहा था कि उन्हें बांधकर ऊपर की ओर खींचा जा रहा है उसके बाद हेलीकॉप्टर तेजी से उड़ चला अधमुदीँ उन्होंने देखा दूर से वह चट्टान अभी भी सूरज की रोशनी में चमक रही थी वहां क्या हुआ था यह रहस्य उन्हें समझ नहीं आया पर अब उस स्थान के बारे में सिर्फ उन्हें पता था।
क्रमशः