तुम अपने मंदिर में ‘उनसे’ नमाज पढ़वा कर या इफ्तार रखवा कर भाईचारे की ‘तुरही’ बजाते हो!
देख लो! ‘वो’ तुम्हें ईदगाह मैदान में गणेश बैठाने तक नहीं देते! तुम्हें रोकने के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ‘वो’ सारा जोर लगा देते हैं!
याद रखो, इस एकतरफा भाईचारे में तुम सिर्फ एक ‘चारा’ हो!
यदि तुम
‘धर्मो रक्षति रक्षित:’ के सिद्धांत पर नहीं चले, तो तुम्हारी आने वाली पीढ़ियों का विनाश तय है, जिसके जिम्मेदार तुम, हां सिर्फ तुम होगे, कोई और नहीं!