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India Speak Daily > Blog > पाॅप कल्चर > बॉलीवुड न्यूज़ > इतनी सी बात आपको समझ नहीं आती कि आपकी फिल्मों से भारत खो गया है
बॉलीवुड न्यूज़

इतनी सी बात आपको समझ नहीं आती कि आपकी फिल्मों से भारत खो गया है

Vipul Rege
Last updated: 2022/08/01 at 8:05 AM
By Vipul Rege 193 Views 5 Min Read
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विपुल रेगे। बॉलीवुड की एक और फिल्म ‘एक विलेन रिटर्न्स’ को दर्शकों ने नकार दिया है। अस्सी करोड़ के बजट से बनी ये फिल्म अपनी लागत वसूल करने में भी अक्षम दिखाई देती है। ट्रेड पंडित और बड़े निर्माता समझ नहीं पा रहे हैं कि वह कौनसा कारण है, जिसके चलते हिन्दी फिल्म उद्योग उजाड़ होने की कगार पर खड़ा आ हुआ है। ऐसा क्या खो गया है, जो बॉलीवुड देख नहीं पा रहा है।

एक ट्रेड विशेषज्ञ जोगिंदर टुटेजा के अनुसार 2022 में हर तिमाही में फिल्म इंडस्ट्री को एक हज़ार करोड़ का नुकसान हो रहा है। एक औसत है कि हर तीन माह में हिन्दी फिल्म उद्योग अनुमानित इतनी राशि अर्जित कर लेता है किन्तु इस वर्ष स्थिति नाजुक दिखाई देती है। विगत दो वर्ष में हिन्दी फिल्मों से होने वाली कमाई अस्सी प्रतिशत तक घट गई है। विगत दो वर्ष में होने वाली क्षति अब 21,000 करोड़ तक पहुँच चुकी है। बड़े सितारों की फ़िल्में अब नहीं चल रही।

बॉक्स ऑफिस पर शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर खान, अक्षय कुमार, आयुष्यमान खुराना असफल सिद्ध हो रहे हैं। यशराज प्रोडक्शन जैसे बड़े निर्माता लगातार फ्लॉप झेल रहे हैं। प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया पिछले वर्ष से ही सरकार से विशेष पैकेज की मांग कर रहा है ताकि इस स्थिति से निबटा जा सके। सौ रुपये की एक टिकट पर बारह प्रतिशत जीएसटी में भी सुधार की मांग की जा रही है। आश्चर्य ये है कि अन्य भाषाओं के फिल्म उद्योग इस तरह की मांग सरकार से नहीं रख रहे हैं।

उनकी फ़िल्में लगातार ब्लॉकबस्टर हो रही हैं। यदि कोरोना काल के बाद स्थितियां इतनी विपरीत थी तो अला वैकुण्ठपुरुमूलो, मास्टर, पुष्पा जैसी फ़िल्में भी नहीं चलती। वहां कोरोना समाप्त होते ही सिनेमाघर दर्शकों से भर गए और यहाँ कोरोना के दो वर्ष बाद भी फिल्म उद्योग उबर नहीं सका है। ओटीटी और कोरोना पर दोष मढ़ने के बजाय आपको देखना होगा कि आपसे क्या खो गया है। अस्सी के दशक के बाद आधुनिकता की लहर ने हिन्दी फिल्म उद्योग को पंख लगा दिए थे।

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सन 2000 आते-आते हिन्दी फिल्म उद्योग ने अपनी मौलिक पटकथाएं लिखना छोड़ दिया था और विदेशी माल पर आश्रित रहने लगे थे। आयातित पटकथाओं ने हिन्दी फिल्मों से भारतीयता को समाप्त कर दिया। इसके बाद से फिल्मों में भारतीय संस्कृति के दर्शन होने ही बंद हो गए। पान की दूकान, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन का जीवन, भारतीय बाज़ारों के दृश्य, नदियां और घाट, पहाड़ियों के सुदर्शन मंदिर सभी गायब हो गए। पहले हिन्दी फिल्मों में आम जनजीवन की साधारण कहानियां होती थी।

कैमरे आमजन के साधारण घरों की चारदीवारियाँ दिखाते थे। पहले गाँव गायब हुए, तत्पश्चात शहरों की संस्कृतियां भी विकृत कर दी गई। इस समय बॉलीवुड अपनी जड़ो से कटा पड़ा है। दक्षिण की फिल्मों की नकल करते-करते उसने एक दशक गुज़ार दिया। फिर दक्षिण स्वयं ही बॉलीवुड के दरवाजे पर पहुँच गया। अब कोई चोर निर्माता ‘पुष्पा’ को किसी और कलाकार को लेकर नहीं बना सकता। दक्षिण के माल पर अब ताला लग गया है। विदेश की नकल अब इनसे हो नहीं सकती।

अपनी जड़ों से कटे इन्हे दो दशक बीत गए हैं। आज इनके पास ऐसे लेखक नहीं, जो भारत की कहानी कह सके। आज इनके पास ऐसे समर्पित कलाकार नहीं, जो किसी एक फिल्म को छह महीने का समय दे। आज ऐसे निर्देशक भी नहीं, जो भारत के जनमानस को समझ कर फिल्म निर्माण करते हो। बस उपाय एक ही है। बॉलीवुड को फ्लैशबैक में जाना होगा। उस दौर के समर्पित फिल्मकारों को फॉलो करना होगा। क्या इतनी सी बात आपको समझ नहीं आती कि आपकी फिल्मों से भारत खो गया है।

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TAGGED: bollywood in loss, bollywood news, Box office report, box office revenue, Ek Villain Returns, samrat pruthviraj movie, Shamshera
Vipul Rege July 31, 2022
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Vipul Rege
Posted by Vipul Rege
पत्रकार/ लेखक/ फिल्म समीक्षक पिछले पंद्रह साल से पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में सक्रिय। दैनिक भास्कर, नईदुनिया, पत्रिका, स्वदेश में बतौर पत्रकार सेवाएं दी। सामाजिक सरोकार के अभियानों को अंजाम दिया। पर्यावरण और पानी के लिए रचनात्मक कार्य किए। सन 2007 से फिल्म समीक्षक के रूप में भी सेवाएं दी है। वर्तमान में पुस्तक लेखन, फिल्म समीक्षक और सोशल मीडिया लेखक के रूप में सक्रिय हैं।
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