आदित्य जैन । मुस्कुराते चेहरे , शानदार विजुअल इफेक्ट्स वाली वीडियो , इंस्टाग्राम पर ढेर सारी खुशियों वाली तस्वीरें , प्री वेडिंग शूट और पोस्ट वेडिंग शूट की मनमोहक तस्वीरों के साथ विभिन्न न्यूज चैनल्स द्वारा 1 – 1 घंटे का शो , विभिन्न प्रिंट मीडिया में फुल पेज आर्टिकल आपको मिलेंगे , लेकिन ऐसी ग्लैमरस शादियों में आपको न तो पवित्र अग्निकुंड मिलेगा , न ही सिंदूर और न ही पारम्परिक पवित्र मंगल सूत्र । हिन्दू परंपरा की कोई भी रस्म आपको नहीं मिलेगी। और यदि मिलेगी भी तो बहुत ही हल्के और तत्त्व हीन ढंग से उसका संपादन किया जाएगा । इन शादियों में पंडित जी होते ही नहीं हैं क्योंकि ये शादी क्रिश्चियन – लेफ्ट एप्रोच से होती हैं । और यदि होंगे भी तो उन्हें महत्वहीन बना दिया जाता है ।
वधू द्वारा सिंदूर न लगाना प्रगतिशीलता का परिचायक माना जाता है । अग्निकुंड में फेरे लेना पुरातन होता है और एक दूसरे को चुंबन लेकर चाटना आधुनिक होता है । लेफ्ट की पोथी पढ़कर बड़ी हुई युवतियों और युवकों में यह सामाजिक रोग पाया जाता है । हाल ही में सेलिब्रेटीज की शादियों से इसका संबंध आप सरलता से निकाल सकते हैं ।