ऐसा बीते एक दशक में नहीं हुआ कि तीनों सुपरस्टार खान एक साथ असफल रहे हो। 2018 में दर्शक ने आमिर, सलमान और शाहरुख़ को नकार दिया है। सलमान खान की ‘रेस’, शाहरुख़ खान की ‘ज़ीरो’ और आमिर खान की ‘ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान’ बॉक्स ऑफिस पर दौड़ नहीं लगा पाई। उम्र के पचास साल पार कर चुके ये अभिनेता मुख्य नायक वाली भूमिकाओं से लगभग बाहर हो चुके हैं। इनका करिज्मा रजनीकांत की तरह नहीं है, जिनके सर के बाल लगभग उड़ चुके हैं लेकिन फैन फॉलोइंग बरक़रार है। खान तिकड़ी को सिंहासन से स्वयं उतर जाना चाहिए।
2018 के साल में एक ट्रेंड उभरकर आया। फरवरी में प्रदर्शित हुई एक अनजान फिल्म ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ बॉक्स ऑफिस पर बेहद कामयाब हुई। इस फिल्म की सफलता ने ‘स्माल टाउन मूवीज’ के ट्रेंड को शुरू किया। ये एक अप्रत्याशित सफलता थी जिससे ‘खान खेमा’ सहम सा गया। निश्चित रूप से हिंदी बेल्ट का दर्शक इस साल की शुरुआत तक दक्षिण भारतीय फिल्मों के रीमेक के अतिरेक से थक चुका था। वह ऐसी फिल्मों से थक चुका था जिनमे विदेशी लोकेशन हो, एक सुपरस्टार हो, चार गाने हो, जिनमे से एक गाना अनिवार्य रूप से सूफी तबियत का हो। ये सब पिछले दस साल से चला आ रहा था, जिसे ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ ने धराशायी कर दिया।
साल के मध्य में सलमान खान की ‘रेस-3’ बुरी तरह पिट गई। ट्यूबलाइट के बाद ये फिल्म पिट जाना एक सदमे की तरह था। दर्शक उनको नकारने लगा है। अब उनके चेहरे की सलवटे और झुर्रियां परदे पर दिखाई देने लगी है। निर्देशक से लेकर संगीत निर्देशक के चयन में दखलंदाजी सलमान को बहुत नुकसान दे गई है। ‘भारत’ उनका आगामी प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट की प्रारम्भिक रिपोर्ट नकारात्मक है। प्रभु देवा की ‘वांटेड’ ने सलमान को सितारा से ‘सुपर सितारा’ बनाया। बीते दस साल वे सफलता के आसमान पर उड़ते रहे लेकिन इस साल ने उन्हें जमीन पर ला पटका है।
शाहरुख़ खान का हिसाब सलमान से थोड़ा अलग है। उनकी पिछली धमाकेदार सफलता को दस वर्ष बीत चुके हैं। 2008 में शाहरुख़ की ‘रब ने बना दी जोड़ी’ बहुत कामयाब रही थी। इसके बाद वे लगातार फ्लॉप और एवरेज फ़िल्में देते रहे। सन 2013 में शाहरुख़ की ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ आंशिक रूप से सफल रही थी। सन 2014 में ‘हैप्पी न्यू ईयर’ सफल रही थी लेकिन उसमे कई और अभिनेता भी थे। पिछले दस साल से किंग खान केवल और केवल अपनी छवि के कारण जैसे-तैसे टिके हुए हैं। उनके प्रशंसकों में टीनएजर्स नहीं है और ये ही उनकी गिरती लोकप्रियता का मुख्य कारण है।
सन 2008 से आमिर खान के करियर में जो उबाल आया था, वह बाद के सालों में ठंडा पड़ता चला गया। देश के हालात को लेकर की गई बयानबाज़ी ने आमिर खान को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया। विज्ञापन के क्षेत्र में उनसे कई नामी ब्रांड छीन लिए गए। पहले उनके विज्ञापन भी सुपरहिट होते थे और अब उनको देखकर कोई उत्साह नहीं जागता। मिस्टर परफेक्शनिस्ट इस साल ‘ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान’ जैसी स्तरहीन फिल्म देकर शीर्ष सितारों की सूची में नए लड़के आयुषमान खुराना से भी नीचे आ गए। अब वे नेट सीरीज में कृष्ण की भूमिका निभाने जा रहे हैं। लगता है वे अपने शानदार कॅरियर का अपने ही हाथों कत्ल करना चाहते हैं।
निर्विवाद रूप से इस साल नए लड़के बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाते रहे। इनमे आयुषमान खुराना सब आगे रहे। उनकी दो फिल्मे ‘बधाई हो’ और ‘अंधाधुन’ ब्लॉकबस्टर साबित हुई। पिछले बरस उनकी ‘बरेली की बर्फी’ भी कामयाब रही थी। खान सुपरस्टार्स के लिए अब सिंहासन से उतरने का समय आ गया है। इस पर बैठने के लिए टाइगर श्रॉफ, विद्युत जम्वाल, वरुण धवन और आयुषमान जैसे युवा सितारें प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे सिंहासन से नहीं उतरे तो धकियाए जाएंगे।
URL: In 2018 the viewer rejected Aamir, Salman and Shahrukh.
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