विपुल रेगे। अभिनेता इमरान हाश्मी को इस बात का बुरा लगा है कि अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती का सुशांत केस में मीडिया ट्रॉयल किया गया। सुशांत की संदिग्ध हत्या के एक वर्ष बाद हाश्मी ने रिया के बारे में बात क्यों की है। इसलिए कि उनकी नई फिल्म ‘चेहरे’ प्रदर्शित होने जा रही है, जिसमे उनके साथ रिया और अमिताभ बच्चन ने अभिनय किया है। बॉलीवुड में आपकी बदनामी भी एक दिन इस तरह फिल्म के प्रमोशन के लिए काम आती है।
इन दिनों किसी भी बयान की तीव्रता इस बात से तय होती है कि वह किस टाइमिंग के साथ दिया गया है। इमरान हाश्मी का बयान फिल्म रिलीज के समय आया है। इसका मतलब ये समझा जा सकता है कि रिया का एक वर्ष पुराना विवाद फिल्म के प्रमोशन के लिए भुनाया जा रहा है। इमरान के अनुसार उनकी को स्टार रिया चक्रवर्ती के साथ हुआ वो बिल्कुल भी सही नहीं है।
उन्होंने कहा ‘ये जो भी मीडिया ट्रॉयल उनके साथ हुआ था वो मेरे हिसाब से बिल्कुल भी सही नहीं था। आपने लगभग एक परिवार की जिंदगी बर्बाद कर दी।’ इमरान का क्रोध वास्तविक सा दिखाई देता, यदि ये बात उन्होंने एक वर्ष पूर्व कही होती। वें मीडिया ट्रॉयल की बात करते हैं। जब भी बॉलीवुड किसी प्रकरण में फंसता है तो मीडिया ट्रॉयल की छतरी लेकर न्यायालय की शरण में पहुँच जाता है।
पिछले दिनों अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा पोर्न मूवी केस में फंसे थे। जब समाचार टीवी पर आने लगे तो शिल्पा शेट्टी न्यायालय की शरण में चली गईं और समाचार रुकवाने की अपील की। ऐसे ही रिया चक्रवर्ती ने सुशांत केस के समय कोर्ट जाकर समाचार रुकवाने की गुहार लगाई थी। इसी समय बॉलीवुड में ड्रग्स के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की ख़बरें बाहर आने लगी थी।
पाठकों को याद होगा कि फिल्म उद्योग के पचास से अधिक लोगों ने न्यायालय जाकर मीडिया ट्रॉयल रुकवाने की अपील की थी। मीडिया का काम है सत्य को बाहर लाना, आप उसे मीडिया ट्रॉयल का नाम देकर कैसे रोक सकते हैं। आपको रिपोर्टिंग के तरीके पर आपत्ति हो, समाचार में दिखाए गए किसी तथ्य पर परेशानी हो तो न्यायालय की शरण ले सकते हैं किन्तु समय-समय पर फिल्म उद्योग अपने बारे में आ रहे समाचारों को मीडिया ट्रॉयल का नाम देकर रुकवाने के प्रयास करता है।
मुझे इस बात का भी आश्चर्य है कि निर्देशक रुमी जाफ़री की जिस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन जैसा अभिनेता कार्य कर रहा है, उसे बेचने के लिए रिया के पुराने विवाद का सहारा लेना पड़ रहा है। स्पष्ट है कि रिया चक्रवर्ती की फिल्म देखने की रुचि नब्बे प्रतिशत दर्शकों में नहीं है। निश्चित ही ये फिल्म दर्शकों की निगाहों में अब तक चढ़ नहीं सकी है। फिल्म में रिया न होती तो एक बार इसे देखने के लिए दर्शक अवश्य विचार करता।
सुशांत की मृत्यु के एक वर्ष पश्चात् भी रिया चक्रवर्ती के लिए लोगों में कोई सहानभूति नहीं है। सुशांत की मौत ने एक ज़िद्दी दाग़ की शक्ल अख़्तियार कर ली है। लाख धोने के बाद भी वह जस की तस बना हुआ है। विगत एक वर्ष में बॉलीवुड की फिल्मों का लोगों ने क्या हाल किया, ये लिखने की आवश्यकता नहीं है। इमरान हाश्मी का बयान एक उदाहरण है कि फिल्म उद्योग के गर्त में जाने का एक कारण इस तरह के कथन भी हैं। इमरान ने ये बयान देकर अपनी फिल्म की बची-खुची आशा भी समाप्त कर दी है।