
राष्ट्रवाद नहीं, अवसरवाद का मंझा हुआ खिलाड़ी है Zee news का संपादक Sudhir Chaudhary!
जी न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी का विवादों से पुराना नाता रहा है। उनका चैनल और शो DNA बिना सबूत बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत को ड्रग एडिक्ट बता रहा है! मृतक सुशांत आकर अपनी सफाई भी नहीं दे सकता! सुधीर और जी ने सुशांत के हंसते-खेलते और गुमशम बैठे पोज को ड्रग का प्रभाव बताकर बॉलीवुड ड्रग माफियाओं को बचने का गंदा खेल खेल रहा है!
आज की वह पीढ़ी जो सुधीर चौधरी को उसके एक शो DNA के आधार पर राष्ट्रवादी मान बैठी है, उसे शायद यह नहीं पता कि आज मोदी-मोदी करने वाला यह शख्स गुजरात दंगे के बाद उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने में सबसे आगे था। सुप्रीम कोर्ट के IST ने जी न्यूज और सुधीर चौधरी को एक्सपोज किया था। मोदी के आने की आहट को भांपते हुए 2014 से ठीक पहले चौधरी और उसके मालिक सुभाष चंद्रा ने पाला बदलते हुए मोदी-मोदी करना और राष्ट्रवाद का चोला पहनना आरंभ कर दिया। यह भी कम ही लोगों को पता है कि अरविंद केजरीवाल को खड़ा करने वालों में जी के मालिक सुभाष चन्द्रा प्रमुख रहे हैं।
ज्ञात हो कि देश के सबसे बड़े पत्रकार होने का दंभ भरने वाला सुधीर चौधरी जिंदल समूह से 100 करोड़ की उगाही की कोशिश के चलते तिहाड़ जेल भी जा चुका है जबकि उस पर टीआरपी के चक्कर में एक महिला शिक्षक को बदनाम कर उसे तबाह करने का भी आरोप है।
राष्ट्रवादी पत्रकार होने का दावा करने वाला सुधीर चौधरी अगस्त 2007 में एक निजी टीवी चैनल पर महिला स्कूल टीचर का फर्जी स्टिंग ऑपरेशन दिखाकर विवादों में घिर गए थे। प्रकाश सिंह नामक रिपोर्टर की मदद से तैयार किए गए स्टिंग में टीचर को स्कूली छात्राओं को सेक्स के लिए ग्राहकों को पेश करते हुए दिखाया गया था। यह कथित सनसनीखेज खबर उस समय लाइव इंडिया न्यूज चैनल पर प्रसारित की गई थी। उस समय सुधीर चौधरी इस चैनल के सीईओ थे।
उमा खुराना नामक महिला टीचर पर आधारित इस झूठी खबर के बाद तुर्कमान गेट स्थित सरकारी स्कूल के बाहर जमकर हंगामा हुआ था। जहां टीचर तैनात थी, वहां पर भीड़ ने उमा खुराना को जान से मारने का प्रयास किया। स्थानीय लोगों के विरोध के चलते पुलिस ने उमा खुराना को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में छानबीन के बाद उमा को बेकसूर पाया गया और कथित फर्जी स्टिंग के आरोप में रिपोर्टर को गिरफ्तार करके उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
पुलिस ने जांच में पाया कि चैनल के सीईओ सुधीर चौधरी इस पूरी घटना का सूत्रधार था और 28 अगस्त 2007 को महज टीआरपी बढ़ाने के लिए लाइव इंडिया चैनल पर स्टिंग ऑपरेशन की फर्जी खबर प्रसारित की गई थी। इस खबर के प्रसारण होते ही सरकारी स्कूल के बाहर जमकर बवाल काटा गया जबकि मौके पर पहुंची पुलिस जब हंगामा कर रहे लोगों को रोका था तब पुलिस पर पथराव कर दिया गया।
पुलिस की कई गाड़ियों में आग लगा दी गई थी। छानबीन में पुलिस को पता चला कि स्टिंग पूर्वी दिल्ली निवासी वीरेंद्र अरोड़ा के कहने पर हुआ। चिट फंड का धंधा करने वाले वीरेंद्र की उमा खुराना के साथ रुपयों का कुछ लेनदेन था। उसमें योजना के तहत रिपोर्टर प्रकाश सिंह के साथ मिलकर फर्जी तरीके से उमा खुराना को सेक्स के लिए रुपयों की बात करते हुए दिखाया। यहां तक स्टिंग में एक लड़की को भी ग्राहक को पेश करते हुए दिखाया गया। स्टिंग फर्जी पाए जाने पर प्रकाश सिंह के साथ-साथ वीरेंद्र अरोड़ा को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
टीआरपी के लिए फर्जी खबर बनाने को लेकर सुधीर चौधरी की बड़ी फजीहत हुई। बाद में खबर प्रसारित करने वाले न्यूज चैनल पर एक महीने का प्रतिबंध लगा और खबर प्रसारित करने पर रोक लगा दी गई थी। जांच में पाया गया कि टीआरपी बढ़ाने के लिए फर्जी तरीके से सारा ड्रामा सुधीर चौधरी एंड कंपनी ने रचा। बाद में पीड़ित महिला टीचर ने निजी चैनल पर मानहानि का दावा भी किया था।
इसके कुछ दिनों बाद सुधीर चौधरी ने अपने पुराने मालिक सुभाष चंद्रा जी मीडिया ग्रुप ज्वाइन किया और वहां पहुंच कर जिंदल समूह से 100 करोड़ की उगाही की कोशिश के आरोप में फंस कर जेल पहुंच गया था। उसके साथ जी मीडिया नेटवर्क के बड़े पद पर तैनात समीर अहलूवालिया को भी जेल भेजा गया था।
दरअसल यह मामला उद्योगपति नवीन जिंदल से जुड़ा हुआ था। जिसमें ज़ी न्यूज़ के दोनों धंधेबाजों को कांग्रेस सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल से उगाही करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर उद्योगपति नवीन जिंदल से कोयला घोटाले पर ख़बर ना चलाने के लिए 100 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाए गए थे।
नवीन जिंदल को इनके खिलाफ पुलिस में इस वजह से जाना पड़ा क्योंकि उन्हें दोनों के खिलाफ ठोस सबूत हाथ लग गया था। उनका कहना था कि उन्होंने जब सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया ने इस बारे में बातचीत की थी तब इस दौरान दोनों धंधेबाज का स्टिंग कर लिया था। स्टिंग की सीडी में दिखाया गया था कि ये कथित धंधेबाज पैसों की मांग किस तरह कर रहे थे और कह रहे थे कि अगर उन्हें ये पैसा मिला तो वो जिंदल ग्रुप के बारे में नकारात्मक खबरें नहीं करेंगे।
इससे पहले नवीन जिंदल ने कहा था कि ज़ी के अधिकारी उनसे पिछले चार वर्षों से बीस करोड़ रुपए मांग रहे हैं,जिसके बाद उन्होंने इसकी चुपके सीडी बनाई थी।
यह मामला सामने आने के बाद ज़ी टीवी ने जिंदल ग्रुप के ख़िलाफ़ 100 करोड़ रुपए का मानहानि का दावा किया था जबकि जिंदल ने ज़ी के ख़िलाफ़ 200 करोड़ रुपए का दावा कर दिया था।
ज्ञात हो कि कैग की रिपोर्ट में जिंदल समूह का नाम भी उन कंपनियों के साथ रखा गया है जिन्हें कोयला ब्लॉक आवंटन में फायदा पहुंचा। इसी से संबंधित खबर नहीं प्रसारित किए जाने के चलते सुधीर चौधरी एंड कंपनी पर जिंदल समूह से उगाही का आरोप लगा था।
बाद में जी समूह के मालिक सुभाष चंद्रा और जिंदल समूह के मालिक नवीन जिंदल के बीच समझौता हो गया था और दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ मामला वापस ले लिया।
राष्ट्रवाद का ढोंग रचने वाला सुधीर चौधरी ने प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के बाद यह दावा किया था कि उसे अंडरवर्ल्ड से जुड़ी खबरों के प्रसारण करने के चलते कथित धमकियां मिल रही है जिसके बाद उसे एक्स श्रेणी की सुरक्षा भी प्रदान कर दी गई।
इस कथित पत्रकार को पत्रकारिता का साधारण सा तहजीब भी पता नहीं है। आज जब सुशांत सिंह राजपूत इस दुनिया में अपनी बात कहने के लिए मौजूद नहीं है तो उस परिस्थिति में बिना कोई ठोस सबूत के उसे नशेड़ी बताने का क्या औचित्य है?
साल 1993 से पत्रकारिता किए जाने का दावा करने वाला सुधीर चौधरी ने ज़ी न्यूज़ के एक रिपोर्टर से अपने करियर की शुरुआत की। बाद में वह सहारा, इंडिया टीवी, लाइव इंडिया होते हुए ज़ी न्यूज़ तक दोबारा पहुंचा। आज उसके कारण जी न्यूज से कई प्रतिभाशाली पत्रकार छोड़कर जा रहे हैं। चूंकि जी का मालिक सुभाष चंद्रा का एस्सल ग्रुप भी बैंक का ऋण न लौटाने सहित कई वित्तीय अनियमितताओं में घिरा है, तो दोनों एक-दूसरे का पीठ खुजलाते हुए एक-दूसरे को सह रहे हैं। आरोप है कि जी स्टूडियो के सिनेमा साम्राज्य को बचाने के लिए ड्रग माफियाओं के फेवर में सुशांत सिंह राजपूत को जानबूझकर नशेड़ी साबित करने का प्रयास किया जा रहा है। हमाम के सभी नंगे उस मृतक पर आरोप लगाने के लिए कूद पड़े हैं जो आज अपनी सफाई भी नहीं पेश कर सकता है।
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पूर्णतः सत्य सन्दीप जी असल में हमें इन जैसे नकली लोगों से ज़्यादा खतरा है।