कमांडर नरेश कुमार मिश्रा का जन्म चित्रकूट में हुआ और अपनी प्राथमिक शिक्षा सैनिक स्कूल रीवा (म. प्र.) में प्राप्त करने के बाद 1982 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे ज्वाइन किया और जुलाई 1986 में नौसेना में कमीशन प्राप्त किया। लगभग 25 वर्ष की सर्विस के बाद उन्होंने भारतीय नौसेना से रिटायरमेंट लेकर पूरी तरह स्वयं को जन कल्याण हेतु ज़ायरोपैथी के प्रति समर्पित कर दिया।
इस विधा की शुरुआत निजी कारणों से हुई थी परंतु उस वक्त यह नहीं पता था कि आगे चलकर यह मानव कल्याण हेतु स्वास्थ्य का विकल्प बनकर खड़ी हो जाएगी। ज़ायरोपैथी पूर्णरूपेण चीर-फाड़ रहित स्वास्थ्य प्रणाली है जिसमें बीमारियों के मूल कारणों का निदान फूड़सप्लीमेंट और ज़ायरो नेचुरल्स के कॉम्बिनेशन से किया जाता है। फूड सप्लीमेंट शरीर में पोशक तत्वों की कमी को दूर करते हैं और ज़ायरो नेचुरल्स शरीर के विभिन्न अंगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और उन्हें दृढ़ता प्रदान करने का काम करती है।
ज़ायरोपैथी का मानना है कि हमारा शरीर न्यूट्रिशन से बनता है, जो हमें खानपान से मिलता और प्रत्येक शरीर में सेल्फ हीलिंग पावर होती है। अत: यदि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत है और सभी आवश्यक तत्व उपलब्ध हों जायें तो शरीर स्वयं को किसी भी बीमारी से बाहर निकाल सकता है। ज़ायरोपैथी बीमारियों के मूल कारणों के अनुरूप कॉम्बिनेशन का सुझाव देता है और शरीर स्वयं को बीमारी रहित बना लेता है।
पिछले दो दर्शकों में ज़ायरोपैथी ने विभिन्न देशों में अलग-अलग बीमारियों के लगभग एक लाख से अधिक लोगों का सफल इलाज किया है। यदि माना जाये तो ज़ायरोपैथी का दैवीय प्रारब्ध है, क्योंकि कमांडर नरेश ने डॉक्टरी की कोई भी ऑपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त की परंतु आज ”मास्टर ऑफ़ वोकेशन इन ज़ायरोपैथी” को यूनिवर्सिटी द्वारा वैल्यू एडेड कोर्स के रूप में मान्यता प्राप्त है। कमांडर नरेश ने गहन स्वाध्यन एवं अथक परिश्रम के माध्यम से कई असाध्य बीमारियों में भी ज़ायरोपैथी को अत्यंत लाभकारी सिद्ध किया है।