दिल्ली दंगे के मास्टरमाइंड माने जाने वाले तथा आम आदमी पार्टी के निलंबित पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने पूछताछ में कबूल किया है कि वह राजनीति और पैसों की बदौलत हिंदुओं को सबक सिखाना चाहता था।
इस काम में उसकी मदद खालिद सैफी PFI से जुड़े दानिश तथा उमर खालिद ने की थी। उसने स्वीकार किया कि दिल्ली दंगे के दौरान उसने ना केवल हिंदुओं को टारगेट किया बल्कि कई लोगों को मौत के घाट उतरवाया।
सूत्र बताते हैं कि खालिद हुसैन तथा उमर खालिद के उकसावे पर ताहिर हुसैन अपने घर पर दंगे में इस्तेमाल किए जाने वाले पेट्रोल बम से लेकर डंडे गुलेल तथा ईट पत्थर जमा किए थे। ताहिर हुसैन का कहना था कि इस काम के लिए फंडिंग पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी और वह खुद से किए थे ।
ताहिर हुसैन ने पूछताछ में बताया कि मेरे परिचित खालिद सैफी ने कहा कि तुम्हारे पास राजनीतिक पावर और पैसा दोनों है । इसका इस्तेमाल हिंदुओं के खिलाफ और अपने कौम के भलाई लिए करें। मैं इसके लिए हमेशा तैयार हूं और तुम्हें भी तैयार रहना चाहिए । खालिद ने बताया कि केंद्र की सरकार मुस्लिम विरोधी कार्य कर रही है , कश्मीर में धारा 370 हटा दिया है जबकि राम मंदिर का फैसला भी हिंदुओं के पक्ष में गया है इसी बीच काला कानून सीएए भी आ गया। कुछ दिनों बाद एनआरसी भी आ जाएगा। पानी सिर से ऊपर अब जा चुका है। अब तो कुछ कदम उठाना ही होगा।
इसके बाद में खालिद की बातों में आकर हर संभव मदद देने के लिए तैयार हो गया। कबूलनामे के अनुसार खालिद सैफी ने मुझे जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से शाहीन बाग में पीएफआई के कार्यालय में मिलवाया था। जहां उमर खालिद ने बोला कि वह अपने कौम की भलाई के लिए मरने मारने को राजी है. वहीं पर मौजूद खालिद सैफी ने कहा कि पीएफआई का सदस्य दानिश हिंदुओं के खिलाफ हमारी पूरी फंडिंग में मदद करेगा।
इसी पीएफआई के दफ्तर में दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दिल्ली आगमन के समय दंगे करने के प्लान बनाए गए। मकसद यह था कि दिल्ली में कुछ ऐसा बड़ा करेंगे, जिससे केंद्र सरकार सरकार हिल जाए। इसके बाद सरकार काला कानून वापस लेने पर मजबूर हो जाएगा।
ताहिर हुसैन की माने तो उमर खालिद को भड़काऊ भाषण देकर लोगों को उकसाने का जिम्मा दिया गया जबकि खालिद सैफी का काम लोगों को सड़कों पर उतारने का था। उसके जिम्मे दंगे के दौरान हिंसा में इस्तेमाल किए जाने वाले कांच की बोतल, पेट्रोल, तेजाब, और पत्थर इकट्ठा कर अपने घर की छत पर रखने को कहा गया। सबसे पहले दंगे की शुरुआत करने के लिए खालिद सैफी ने अपने जानकारों की मदद से लोगों को सड़कों पर इकट्ठा कर धरने प्रदर्शन के लिए तैयार किया जबकि खालिद सैफी ने अपनी दोस्त इशरत जहां के साथ मिलकर शाहीन बाग की तर्ज पर खुरेजी में धरना प्रदर्शन शुरू करवाया।
प्लान के मुताबिक फिर जगह-जगह धरने प्रदर्शन शुरू हो गए। इस बीच मैंने खालिद सैफी को बताया कि हमने कबाड़ी से शराब और कोल्डड्रिंक की खाली बोतले लेकर छत पर इकट्ठा करना शुरू कर दी हैं, कंस्ट्रक्शन साइट से पत्थर इकट्ठा कर छत पर रखवा रहा हूं. इसके अलावा अपनी चारों गाड़ियों में पेट्रोल और डीजल भरकर ले आऊंगा ताकि बोतलों में पेट्रोल-डीजल भरकर बम की तरह उसे वक्त आने पर इस्तेमाल किया जाए।
इसके साथ ही मैंने कहा कि मैं अपने मजदूरों को तैयार कर रहा हूं, जो दंगे के वक्त बम और पत्थर फेंकने का काम करेंगे। ताहिर हुसैन ने आगे बताया कि मुझे तेजाब भी इकट्ठा करने को कहा गया था ताकि उसे पुलिस पर फेंका जा सके।
इसके बाद मैंने अपनी छत पर बहुत भारी मात्रा में तेजाब, पेट्रोल, डीजल और पत्थरों को भी इकट्ठा कर रख लिया था. वहीं, मैंने अपनी पिस्टल जो खजूरी खास थाने में जमा थी उसे भी दंगो में इस्तेमाल करने के लिए छुड़ा लिया।
24 फरवरी 2020 को योजना के मुताबिक, मैंने पहले से ही अपने घर की छत पर चांद बाग में रहने वाले अरशद कय्यूम, मोनू, अपने दफ़्तर के पास रहने वाले गुलफाम, शरद अहमद हाजी, मूंगा नगर के लियाकत अली उसके बेटे रिशाद अली, दयालपुर के मोहम्मद रियान अरशद और अपने यहां काम करने वाले इलेक्ट्रिशयन मोहम्मद आबादी, अकाउंटेंट मोहम्मद शादाब और राशिद सैफी के अलावा अपने भाई शाह आलम को बुला रखा था।
इन लोगों को बताया था कि कैसे और कब पत्थर, पेट्रोल बम और बोलतो में तेजाब भरकर छत से नीचे फेंकना है। इन लोगों को साफ हिदायत दी थी कि इस सामान का इस्तेमाल केवल पुलिसवालों और हिंदू समुदाय के लोगों के खिलाफ करना है. अपने समुदाय के लोगों, महिलाओं और बच्चों को किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए।
कबूल नामा बताता है कि 24 फरवरी 2020) करीब डेढ़ बजे ताहिर हुसैन ने हमने खूब पत्थरबाजी और आगजनी करवाई।
इस दौरान जानबूझकर मैंने अपने घर के बाहर और छत पर लगे सीसीटीवी के तार कटवा दिए थे, ताकि कोई सबूत न रहे। इस बीच मैंने अपने बच्चों समेत पूरे परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था और खुद भी सुरक्षित स्थान पर चला गया । बाद में खूब दंगा हुआ जिसमें हिंदुओं को चुन चुन कर मारा गया इन्हीं में से एक अंकित शर्मा को निर्मम तरीके से मौत के घाट उतार दिया गया उंदरा इसके अलावा कोई और हिंदुओं की हत्या कर लाश को फेंक दिया गया।
ताहिर हुसैन ने आगे कहा कि वह खालिद सैफी के कहने पर जानबूझकर पुलिस को बार बार फोन कर रहा था क्योंकि उस पर शक न जाए। दंगे के दौरान मैंने और मेरे भाई शाह आलम के साथ एक अन्य ने मेरी छत से फायरिंग भी की थी।
दंगे के दौरान ही वह भाग चला और अलग-अलग जगह छिपता रहा, लेकिन बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। फरारी के दौरान ताहिर हुसैन जाकिर नगर मे अपने परिचित तारिक मोइन रिजवी के घर मे छिपा । इसके बाद मूँगा नगर में इलियास के घर भी पनाह ली थी छिपा। उसने जानकारी दी है कि वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अमरोहा का निवासी है। उसके तीन भाई हैं, जिनके नाम हैं- नजर अली, शाह आलम और शाने आलम।
वह 8वीं तक पढ़ है और 1993 में अपने पिता के साथ दिल्ली आया था। शुरुआत में उसने पिता के साथ बढ़ई का काम किया।
बाद में उसने फर्नीचर कि फैक्ट्री खोली थी, उसने 2012-13 में दिल्ली के खजूरी खास में अपने लिए मकान खरीदा और वहाँ फैक्ट्री भी स्थापित की। उसी इमारत मे वो रहता भी था और साथ ही उसका दफ्तर भी उसी में था।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ताहिर हुसैन के कबूलनामें के बाद यह साफ हो गया है कि दिल्ली में दंगे किस तरीके से कराए गए थे और ताहिर हुसैन ने किस प्रकार इसमें रोल अदा किया था। क्रमशः