अर्चना कुमारी। उमर खालिद किसी तरह जेल से बाहर आना चाहता है और वह लगातार जमानत पाने के लिए याचिका लगा रहा है लेकिन उसके जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने साफ कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन नानी और दादी का विरोध प्रदर्शन नहीं था। इतना ही नहीं इस आंदोलन को स्थानीय लोगों का कोई समर्थन हासिल नहीं था। अब जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 31 जनवरी को है।
पुलिस का कहना है कि दिल्ली हिंसा की आरोपी उमर खालिद के जमानत को लेकर दिल्ली पुलिस की तरफ से सुनवाई के दौरान पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने शरजील इमाम के चैट का हवाला दिया। इसके अलावा बताया कि किस तरह शाहीन बाग के आंदोलन में बाहर से महिलाओं को लाया गया। पिंजरा तोड़ समूह के कुछ सदस्यों को शामिल करने के अलावा फिल्मी दुनिया के राहुल राय जैसे लोगों को इसमें शामिल किए जाने के साथ ही कुछ आईसीएलयू के वकील भी कानूनी मदद का हाथ बढ़ाने आ गए थे।
अमित प्रसाद ने कहा कि आंदोलनों के लिए सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के नामों का बेजा इस्तेमाल किया गया जबकि विरोध प्रदर्शनों के लिए जो भी स्थल चुने गए वो काफी संकरे थे। इन स्थलों के चुनाव का सीधा मकसद था कि उन इलाकों के गरीब लोगों का इस्तेमाल किया जाए। कई सारी टीमें मिलकर इसे मैनेज कर रही थीं । सिविल सोसायटी के एजेंडा से महिलाओं को कोई मतलब नहीं था। दिल्ली पुलिस के वकील ने तर्क दिया ऐसा माहौल बनाया गया, जैसे कि बंदर वाला आता है, डमरु बजाएगा और कथित आंदोलनों के लिए कलाकारों को बुलाया गया ताकि भीड़ बढ़े ।
उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी हमारी जांच चल रही है और हमने किसी को क्लीन चिट नहीं दी है। इससे पहले 28 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने कहा था कि विरोध से नागरिकता संशोधन कानून का कोई लेना-देना नहीं था, बल्कि उसके जरिये सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में बदनाम करने की नीयत थी। तर्क दिया गया 20 फरवरी 2020 में उमर खालिद अमरावती में इस तरह का भाषण किया था, जिसमें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जिक्र किया गया।
देश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों की ओर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की ओर ध्यान आकर्षित करना मकसद था और उमर खालिद ने अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री अमेरिका गए थे और हम डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे। क्या उमर खालिद ने ट्रंप से मिलने की अनुमति ले रखी थी। मतलब साफ है कि मकसद कुछ और था। इससे पहले पुलिस की तरफ से कहा गया था कि उमर खालिद वेब सीरीज का हवाला देकर याचिका का निपटारा करवाना चाहता है, उनकी दलीलों में कोई दम नहीं है।