अर्चना कुमारी। दिल्ली की एक सत्र अदालत ने दिल्ली पुलिस की उस अपील को खारिज कर दी ,जिसमें उसने समाचार पोर्टल ‘द वायर’ के पांच एडिटर से जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लौटाने के आदेश को चुनौती दी थी। इस मामले को लेकर अदालत ने कहा कि यदि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ‘प्रेस’ को स्वतंत्र तरीके से काम नहीं करने दिया गया तो ‘लोकतंत्र की नींव’ को गहरी क्षति पहुंचेगी।
ज्ञात हो दिल्ली पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत के 23 सितंबर के उस आदेश को चुनौती देते हुए एक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जिसमें जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण द वायर के पांच पत्रकारों- सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया, जाह्नवी सेन, एम के वेणु और मिथुन किदांबी को लौटाने के लिए कहा गया था।
सनद रहे पिछले साल अक्टूबर में, पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी नेता अमित मालवीय की एक शिकायत पर पोर्टल और उसके संपादकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें मीडिया संस्थान पर धोखाधड़ी और जालसाजी” करने तथा उनकी प्रतिष्ठा को खराब करने का आरोप लगाया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन सिंह राजावत ने बुधवार को दिल्ली पुलिस द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि मजिस्ट्रेट अदालत के संबंधित आदेश ने कोई अधिकार तय नहीं किया है और केवल मामले की जांच के निष्कर्ष या निपटारे तक उपकरणों को अंतरिम तौर पर कब्जे में लेने’’ का आदेश दिया था।
अदालत ने कहा, ‘प्रेस को हमारे महान लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है और अगर इसे स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति नहीं दी गई, तो इससे हमारे लोकतंत्र की नींव को गंभीर चोट पहुंचेगी। अदालत ने याचिका को सुनवाई योग्य करार नहीं दिया और कहा कि मजिस्ट्रेट की ओर से पारित आदेश “विशुद्ध रूप से अंतरिम प्रकृति का” था और कोई भी संशोधन इसके खिलाफ नहीं होगा।
इसने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश में कोई गलती नहीं पाई और कहा कि इसने न केवल पत्रकारों के हितों की रक्षा की है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि वे अपने उपकरणों को सुरक्षित रख सकें।
दिल्ली पुलिस की दलीलों को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि उपकरणों को लौटाने का आदेश यह देखने के बाद दिया गया क्योंकि उपकरणों की ‘मिरर इमेजिंग’ की जा चुकी है और अब उन्हें कब्जे में रखने की आवश्यकता नहीं है।