देश में महज सात महीने 39.36 लाख नए रोजगार सृजन हुए हैं। महज इस साल के मार्च महीने में ही 6.13 लाख नई नौकरियां लोगों को मिली हैं जो फरवरी महीने से 24 हजार ज्यादा है। यानि इसी साल फरवरी महीने में सरकार ने 5.89 लाख लोगों को नई नौकरियां दी है। यह आंकड़ा रोजगार भविष्य निधि संगठन का है। इसका मतलब यह हुआ है कि रोजगार इससे कहीं ज्यादा लोगों को मिले हैं। क्योंकि रोजगार भविष्य निधि संगठन उन्हीं लोगों का आंकड़ा रखता है जिसे पेरोल पर नौकरी मिलती है और जिसका पीएफ कटता है। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो देश की छवि अच्छी देख ही नहीं सकते।
मुख्य बातें
* रोजगार भविष्य निधि संगठन के हालिया आंकड़ों से दिखी ‘अच्छे दिन’ की तस्वीर
* इस साल के सिर्फ मार्च महीने में 6.13 लाख लोगों ने विभिन्न क्षेत्रों में पाई नई नौकरी
रोजगार भविष्य निधि संगठन के नए आंकड़ों के मुताबिक इसी साल के मार्च महीने में ही 6.13 लाख नौकरियां सृजित हुई हैं जो फरवरी माह में सृजित 5.89 लाख नौकरियों से भी अधिक है। इन आंकड़ों को गौर से देखें तो पाएंगे कि इनमें से आधी नौकरियां विशेषज्ञ सेवा क्षेत्र में सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सृजित हुई हैं। जिन क्षेत्रों में लोगों को अधिक नौकरियां मिली हैं उनमें इलेक्ट्रिक, मैकेनिकल या फिर जनरल इंजीनियरिंग उत्पाद के अलावा भवन और निर्मान उद्योंग, व्यापार व वाणिज्य संगठनों तथा कपड़ा उद्योग शामिल हैं।
रोजगार भविष्य निधि संगठन के आंकड़ों से भी यह भी स्पष्ट होता है कि जितनी नौकरियां मिली हैं उनमें से आधी नौकरियां देश के महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में स्थित संगठित क्षेत्र में मिली है। और ये सारी नौकरियां इस साल के मार्च तक सात महीनों के दौरान मिली हैं। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो देश में महज सात महीने में 39.36 लाख नौकरियां मिली हैं। रोजगार भविष्य निधि संगठन ने अपना पेरोल डाटा का पहला सेट पिछले महीने ही जारी किया था।
हम घोड़े को नदी किनारे तक ले जा सकते हैं लेकिन उसे पानी नहीं पिला सकते। वैसे ही अगर कोई देश की अच्छी तस्वीर देखना ही नहीं चाहे तो आप उसे जबरदस्ती नहीं दिखा सकते हैं। तभी तो कुछ विशेषज्ञों ने रोजगार भविष्य निधि आयोग के इस आंकड़े पर संदेह जताया है। उन्होंने इसे आंकड़ों की कलाबाजी सिद्ध करने पर तुले हैं और आरोप लगाया है कि ये आंकड़े असली नहीं हैं बल्कि बनाए गए हैं।
अब ऐसे विशेषज्ञों का क्या कहना जो भविष्य निधि संगठन जैसी एजेंसियों पर संदेह करते हैं। संगठन ने अपनी वेबसाइट पर सारा डाटा अपलोड कर रखा है। जो पीएफ नहीं देते वे तो चोरी कर भी सकते हैं लेकिन जो अपने कर्मचारियों को पीएफ देते हैं वे क्यों छिपाएंगे। ईपीएफओ ने तो उन्हीं लोगों का डाटा सार्वजनिक किया है जिन्हें पीएम मिल रहे हैं। अब ऐसे में कैसे संदेह किया जा सकता है।
URL: 39.36 lakh new jobs created in seven months in modi government
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