अर्चना कुमारी। भगवंत मान की सरकार आते ही पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी पंजाब में उत्पाद शुरू कर दिया है । इस बार हिंदू और सिख के बीच हुई हिंसक झड़क के दौरान तलवारें भी लहराई गई और पत्थर फेंके गए। हालात को देखते हुए कर्फ्यू लगाया गया। कर्फ्यू शाम 7 से सुबह 6 बजे तक लागू रहेगा। बताया जाता है कि शुक्रवार को दो समूहों के बीच झड़प हो गई और स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ीं और इस घटना में कुछ लोग जख्मी भी हुए, जिनका उपचार किया गया।
घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वह राज्य के पुलिस महानिदेशक के संपर्क में हैं जबकि डीजीपी ने कहा कि वह अभी भी इसकी जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा, कुछ अफवाहों के कारण तनाव बढ़ गया था, लेकिन स्थिति अब नियंत्रण में है। पटियाला की उपायुक्त ने कहा, हम सभी से शांति बनाए रखने और किसी भी अफवाह पर विश्वास नहीं करने की अपील करते है।
दरअसल विवाद की शुरुआत तब हुई जब पटियाला में शिवसेना बाल ठाकरे के खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च के विरोध में कुछ गर्म ख्याली सिख युवकों ने भी मार्च निकाला। उन्होंने शिव सैनिकों को ‘बंदर सेना’ नाम देते हुए मुर्दाबाद के नारे लगाए। इसी दौरान काली माता मंदिर में हिंदू और सिख संगठनों में भिड़ंत से स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
देखते- देखते दोनों गुटों की ओर से पत्थरबाजी होने लगी। तलवारें लहराई गईं। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिसकर्मियों ने पहुंचकर 15 राउंड हवाई फायर किए। इस दौरान एक हिंदू नेता और थाना त्रिपड़ी के एसएचओ कर्मवीर सिंह घायल हुए। पुलिस ने दोपहर तीन बजे के आसपास स्थिति पर काबू पाया। घटना के विरोध में सिख संगठनों के सदस्यों ने शहर के फव्वारा चौक पर धरना पर बैठ गए है।
पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा और लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू सहित विभिन्न सियासी दलों के नेताओं ने घटना की तीखी निंदा की है। गौरतलब है कि शिवसेना बालठाकरे के पंजाब कार्यकारी प्रधान हरीश सिंगला के नेतृत्व में आर्य समाज चौक से खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च मिकाला गया। शिव सैनिक खालिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए चल रहे थे और इसी दौरान खालिस्तान समर्थकों से उनकी भिड़ंत हो गई जबकि सिख फॉर जस्टिस के मुखिया गुरपतवंत पन्नू ने 29 अप्रैल को खालिस्तान का स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की थी।
इनको जवाब देने के लिए शिवसेना ने भी 29 अप्रैल को खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च निकालने का ऐलान किया था। फिलहाल इस घटना के बाद श्री काली देवी मंदिर के बाहर चले ईंट-पत्थर के बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है और भारी संख्या में यहां पर पुलिस बल तैनात कर दिया ।