अर्चना कुमारी । पूर्व केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा उर्फ ललित बाबू मिथिलांचल के ही नहीं, पूरे देश में एक कद्दावर नेता थे लेकिन करीब 47 साल पहले उनकी रहस्यमय तरीके से हत्या कर दी गई थी और इस मौत की गुत्थी अब तक सुलझ नहीं पाई है।
उनके पोते वैभव मिश्रा लगातार प्रयास कर रहे है कि उनके दादा की हत्या की सही से जांच हो और उन्हे न्याय मिल सके । अब उनकी मांगों के समर्थन में दिल्ली से लक्ष्मी नगर के भाजपा विधायक अभय वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और इसकी कॉपी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजी है।
भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश प्रवक्ता और लक्ष्मीनगर से विधायक अभय वर्मा ने ललित बाबू की हत्या की दोबारा जांच को लेकर पत्र दिया है। उन्होने कहा है कि ललित बाबू के पोते वैभव मिश्रा ने उन्हे इस बात से अवगत कराया, जिसके चलते वह यह पत्र लिख रहे है । आगे उन्होने लिखा ललित नारायण मिश्रा इस देश के बहुत बडे़ नेता रहे है।
उनकी लोकप्रियता दिल्ली और हमारे मूल प्रदेश बिहार के मिथिला क्षेत्र मे काफी रही है। मै भी इसी इलाके से संबध रखता हूँ । इसलिए मै भी चाहता हूँ कि इस मामले की नये सिरे से दोबारा जांच हो, जिससे इतने समय से लंम्बित न्याय उनके शुभचिंतकों को मिल सके । भाजपा विधायक ने कहा है कि मेरी जड़ें पूर्वी भारत के मिथियांचल क्षेत्र से हैं, इसलिए मैं भी मांग कर रहा हूं की, ललित बाबू की हत्या की निष्पक्ष और पुन: जांच की जाए ताकि मामले का अंतिम और पूर्ण न्याय हो सके।
गौरतलब है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा कि करीब 47 साल पहले समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बम धमाके में मौत हो गई थी। ललित नारायण मिश्र का जन्म 2 फरवरी 1923 को सहरसा जिले के बसनपट्टी गांव में हुआ था जबकि उन्हें समस्तीपुर से मुजफ्फरपुर की बड़ी लाइन के उद्घाटन करते समय हत्या की सुनियोजित साजिश का शिकार बनाया गया था।
उस समय उद्घाटन मंच पर ललित बाबू भाषण पूरा यह जाने के बाद नीचे जब उतरने लगे तो वहां मौजूद दर्शकों की भीड़ में से किसी शख्स ने मंच की ओर बम फेंक दिया। जिसमें ललित नारायण मिश्र जख्मी हो गए थे लेकिन हैरानी की बात यह है कि
उस समय बम ब्लास्ट में घायल हुए कई लोगों को इलाज के लिए नजदीक के दरभंगा भेजा गया लेकिन ललित बाबू को पटना ट्रेन से ले जाया गया, जिसकी वजह से उपचार में देरी होने के चलते उनकी मौत हो गई थी।
सियासी गलियारों में अब भी कहा जाता है कि, मिथिला के सबसे बड़े जननेता ललित नारायण मिश्र की लोकप्रियता, बढ़ते कद से इंदिरा गांधी को सियासी खतरा का आभास था और उनकी जानबूझकर हत्या करा दी गई। इस हत्या में सीबीआइ ने पहले आनंदमार्गियों का हाथ बताया, लेकिन बाद में अरुण ठाकुर तथा अरुण मिश्र नामक दो अन्य आरोपी पकड़े गए ।
ललित बाबू की हत्या की गुत्थी सुलझाने को लेकर उनकी पत्नी कामेश्वरी देवी ने भी पूर्व में केंद्रीय गृह मंत्री व बिहार के मुख्यमंत्री को इस बाबत पत्र लिख नए सिरे से जांच की मांग रखी थी। अब ललित बाबू के पौत्र वैभव मिश्रा की नए सिरे से निष्पक्ष जांच की अपील की है और इसके लिए वह केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई तक उनका दरवाजा खटखटा चुके हैं ।