अर्चना कुमारी। दिल्ली दंगे की जांच में पुलिस लापरवाही बरत रही है और लापरवाही बरतने वाले कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई किया जाना चाहिए। अदालत दिल्ली दंगे के एक मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट एक आरोपी के खिलाफ अपुष्ट व अस्पष्ट वीडियो पेश करने को लेकर आपत्ति जताई और संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) से जांच में संलिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह निर्देश चार आरोपी राहुल कुमार, सूरज, योगेंद्र सिंह व नरेश के खिलाफ आरोप तय करने के मामले की सुनवाई करते हुए दिया।
कोर्ट ने कहा कि जब वीडियो CFSL को भेजा गया तो रिपोर्ट में कहा गया कि वीडियो विश्लेषण प्रणाली में डीवीडी तक नहीं पहुंचा जा सका। इस वजह से जांच नहीं की गई। कोर्ट ने कहा कि FSL रिपोर्ट पूरक आरोपपत्र के माध्यम से दाखिल की गई।
इस मामले के एक आरोपी नरेश की पहचान करने वाला कोई अन्य गवाह नहीं है। जांच अधिकारी या थाना प्रभारी अधिकारी (एसएचओ) या सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) को एफएसएल को फिर से सही वीडियो भेजनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय जांच अधिकारी ने अप्राप्य वीडियो की एफएसएल रिपोर्ट के साथ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है।
कोर्ट ने कहा कि अदालत को उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर आरोप तय करने हैं। लेकिन एक अपुष्ट DVD के आधार पर नरेश के खिलाफ आरोप तय करना मुश्किल है।
कोर्ट 7 जून को इस मामले में अगिला सुनवाई करेगा। यह घटना 25 फरवरी, 2020 की है।