अर्चना कुमारी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने श्रद्धा हत्याकांड के एक मात्र आरोपी आफताब अमीन पूनावाला के नारको टेस्ट प्रसारण पर रोक लगा दिया । अदालत ने केंद्र को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि दिल्ली पुलिस की याचिका के निपटारे तक कोई भी समाचार चैनल इस प्रकार की सामग्री प्रसारित या प्रदर्शित नहीं करेगा।
यह आदेश दिल्ली पुलिस की एक याचिका पर पारित किया गया, जिसमें आरोप-पत्र और मामले में जांच के दौरान एकत्र की गई अन्य सामग्री से जुड़ी गोपनीय जानकारी को मीडिया संस्थानों द्वारा प्रकाशित करने, छापने और प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध किया गया था। बताया जाता है कि न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने मौखिक रूप से कहा,‘‘यह वाकई में बहुत ही विचित्र है।
टेलीविजन पर टेस्ट दिखाकर या प्रसारित करके कौन सा मकसद पूरा होगा।’पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अदालत को बताया कि निश्चित तौर पर इसका मकसद टीआरपी हासिल करना है। उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार की सामग्री को प्रसारित करने से कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होगी।
उन्होंने दलील दी कि समाचार चैनल ‘आज तक’ को मामले में आरोपी आफताब पूनावाला के नारको टेस्ट का वीडियो मिल गया है और निचली अदालत द्वारा चैनल को ऐसी कोई सामग्री दिखाने से रोक दिया गया था। उन्होंने कहा कि अन्य सभी चैनलों को भी मामले से जुड़ी गोपनीय जानकारी प्रकाशित या प्रसारित किए जाने से रोकने का आदेश पारित किए जाने की जरूरत है क्योंकि हो सकता है कि वीडियो दूसरों के साथ साझा किया गया हो और अगर इसे प्रसारित किया जाता है, तो इससे मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
अदालत ने दिल्ली पुलिस की याचिका पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के जरिये केंद्र सरकार, आजतक समाचार चैनल तथा पूनावाला को नोटिस जारी किये तथा मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तारीख मुकर्रर की। न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘संबंधित जानकारी हासिल कर चुका कोई भी चैनल इसका प्रसारण नहीं करेगा। इस बीच, केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी समाचार चैनल किसी भी तरीके से इसे प्रसारित न करे।
जब न्यायाधीश ने यह जानना चाहा कि समाचार चैनलों के पास यह वीडियो कैसे पहुंचा, तो प्रसाद ने कहा कि यह लीक किया गया है और यदि संबंधित पत्रकार फुटेज की प्रति तैयार कर लेता है और इसे आगे वितरित करता है, तो इस पर कोई नियंत्रण नहीं हो पाएगा होगा। अभियोजक ने दावा किया कि पत्रकार को वीडियो फुटेज पुलिस या अभियुक्त की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया है।
उन्होंने कहा कि यह पता करने के लिए एक प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता है कि आखिर कैसे यह संवेदनशील सामग्री लीक हो गयी। उन्होंने कहा कि चूंकि अधिकारियों को यह नहीं पता कि कौन से अन्य चैनल के पास यह वीडियो उपलब्ध है, ऐसे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश जारी किया जाए कि वह याचिका के निपटारे तक समाचार चैनलों को यह वीडियो न प्रसारित या प्रदर्शित करने का आदेश दे।