अर्चना कुमारी। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को अपने जलगांव दौरे में देश के चुनाव आयोग को दृष्टिहीन होने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि चुनाव आयोग दृष्टिहीन है वह एक रैली को संबोधित कर रहे थे। रैली को संबोधित करते हुए कि जलगांव में उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो माहौल है, उससे यह पता चल गया ‘शिवसेना’ असली किसकी है।
उन्होंने चुनाव आयोग पर दिल का गुबार निकालते हुए कहा कि पाकिस्तान को पूछा जाएगा, तो वह भी बता देगा ‘शिवसेना’ किसकी है। लेकिन, हमारी पार्टी के कई लोगों को मोतियाबिंद हो गया है। चुनाव आयोग को मोतियाबिंद हो गया है। शिवसेना किसकी है यह चुनाव आयोग को समझ नहीं आता है।
गौरतलब है, कि उद्धव ठाकरे के कुर्सी की खातिर बालासाहेब ठाकरे की प्रखर हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता कर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने को लेकर शिवसेना के दो फाड़ हो गए थे। शिवसेना के कई विधायक उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ गए और करीब 9 महीने पहले उनकी सरकार गिर गई थी। और, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बीजेपी के साथ युति की सरकार बनी।
चुनाव आयोग ने नियम और प्रावधानों के मद्देनजर शिंदे गुट को असली ‘शिवसेना’ माना और पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ भी शिंदे गुट को दिया।
इस बात का मलाल तो है ही, हाथ से असली शिवसेना की डोर छूटने का दर्द उद्धव ठाकरे को लगातार परेशान करता रहा है, जिसकी टीस कभी उनकी पार्टी ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में नज़र आती है, कभी उनके बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे के बयानों में दिखती है, कभी उनके प्रवक्ता संजय राउत के मार्फत दर्द छलकता है, तो कभी वे ख़ुद भड़ास निकालते नज़र आते हैं।
उद्धव ठाकरे के पार्टी का भविष्य का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि उसके चुनाव चिन्ह चिन्ह वापस हो गया है,लेकिन, हमेशा ही उद्धव ठाकरे शिंदे गुट को चुनाव में पटखनी देने की चुनौती भी लगातार देते दिख रहे हैं। हालांकि, ‘शिवसेना’ पर असली दावेदार का मामला सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है। ऐसे में उद्धव ठाकरे की पीड़ा और कठिनाई साफ झलकती दिखाई देती है।