संदीप देव। बलूचिस्तान की निर्वासित प्रधानमंत्री डॉ नायला कदरी से मैंने यह पूछा था, बंग्लादेश को आजाद कराने के बदले हिंदुओं को बंग्लादेश में क्या मिला? फिर बलूचिस्तान के समर्थन में हम खड़े हों तो कहीं बाद में वहां के हिंदुओं के साथ बंग्लादेश तो नहीं दोहराया जाएगा?
मेरा यह सवाल पूछना शायद उनको अखर गया? वह साक्षात्कार से निकल गई तो दोबारा नहीं लौटीं। अंत में वह थोड़ा आक्रोशित भी हो गई थी। आप सब देख सकते हैं।
अंत में वह भारत, भारत सरकार और भारत की जनता पर सीधे आरोप लगाती हुई जवाब देने लगी थी। विदेश का कोई प्रतिनिधि यदि भारत, यहां के नागरिक और यहां की सरकार के विरुद्ध कुछ बोलता है, फिर मेरे द्वारा काउंटर सवाल तो बनता ही है!
घरेलू मोर्चे पर मैं भले अपनी सरकार की खूब आलोचना करूं, लेकिन विदेश के किसी आरोप पर मैं उसे तथ्यात्मक रूप से डिफेंड तो करूंगा ही! यही मेरी पत्रकारिता है।
यह मेरी विवशता है कि मैं सही, सीधा और हमेशा तीखा सवाल पूछता हूं। इसके कारण पूर्व में दैनिक जागरण में कई बार मेरा बीट बदला गया था। मैं 2002 से यही कर रहा हूं। यही मेरी पत्रकारिता की ट्रेनिंग है। मैं अपने स्वभाव का कुछ नहीं कर सकता। किसी को बुरा लगा हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं। 🙏
बलोचों पर पाकिस्तान की अमानवीयता को सामने रखने से अधिक मुझे भविष्य के बलोच राष्ट्र में हिंदुओं की क्या स्थिति होगी, इसकी चिंता है! इसी चिंता को लेकर मेरा सवाल था। धन्यवाद। #sandeepdeo
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