अर्चना कुमारी । आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर तथा उसके पति को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। सीबीआई का कहना है कि वीडियोकॉन ग्रुप को रेगुलेशन के खिलाफ जाकर दिए गए करोड़ों रुपए के लोन के मामले में गिरफ्तारी हुई है।
सीबीआई की तरफ से बताया गया है कि जब ये लोन दिए गए थे उस समय चंदा कोचर आईसीआईसी बैंक की सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर थी। दावा किया गया है कि इन लोन्स के NPA होने से बैंक को 1730 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। गिरफ्तारी से पहले
चंदा कोचर उसके पति दीपक को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया जहां पर पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई के तरफ से कहा गया कि दोनों जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और सवालों का टालमटोल जवाब दे रहे थे। दीपक और चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने ICICI बैंक की ओर से वीडियोकॉन को दिए गए लोन के जरिए फ्रॉड किया।
ये लोन बाद में नॉन परफॉर्मिंग एसेट में बदल गए। इस मामले में दीपक और चंदा कोचर के खिलाफ CBI, ED, SFIO और आयकर विभाग जांच कर रहे हैं। इसमें साल 2012 में वीडियोकॉन को दिया 3250 करोड़ रुपए का लोन शामिल है।
आरोपों के अनुसार, वीडियोकॉन ग्रुप के पूर्व चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कोचर की कंपनी नूपॉवर रिन्यूएबल्स में वीडियोकॉन को लोन मिलने के बाद करोड़ों रुपए का निवेश किया था।लोन को एक कमेटी से मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी मेंबर थीं। अक्टूबर 2018 में इस मामले को लेकर चंदा को इस्तीफा देना पड़ा था।
मामले की जांच 2016 में शुरू हुई थी जब दोनों फर्मों, वीडियोकॉन ग्रुप और ICICI बैंक में एक निवेशक अरविंद गुप्ता ने लोन अनियमितताओं के बारे में चिंता जताई थी। गुप्ता ने RBI और यहां तक कि प्रधानमंत्री को इस बारे में लिखा था, लेकिन उनकी शिकायत पर उस समय कोई ध्यान नहीं दिया गया।
मार्च 2018 में एक अन्य व्हिसल-ब्लोअर ने शिकायत की। बताया जाता है कि बैंक के टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ की गई शिकायत के बाद कई एजेंसियों का ध्यान इस ओर गया। उसी महीने बैंक ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है। वीडियोकॉन ग्रुप के लोन पास करने में चंदा की कथित भूमिका की जांच के बाद यह बयान दिया गया था।
एजेंसियां अपनी जांच करती रही और बैंक पर बढ़ रहे प्रेशर के बाद उसने भी जांच शुरू की। इसके बाद CBI ने 24 जनवरी 2019 को FIR दर्ज की।CBI ने लोन फ्रॉड मामले में चंदा कोचर, दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को IPC की क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी, चीटिंग और करप्शन से जुड़ी धाराओं के तहत रजिस्टर्ड फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (FIR) में आरोपी बनाया था।
2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने कोचर परिवार की 78 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की थी। इस के बाद एजेंसी ने कई दौर की पूछताछ के बाद दीपक कोचर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था।